-Love Poem- दिल से दिल तक जब नभ की अगुणित सीमायें शीतल शशिमय हो जाती हैं जब धरा हिमालय से उठकर स्वागत में मलय चलाती है तब ऐसा क्या कुछ होता है हर बात सुखद हो जाती है तब ऐसा क्यों कुछ होता है सौगात सहज हो जाती है जब खुशी मौज सी मचल उठे
Birthday wishes Poem – दोस्तो, इस आर्टिकल में हम आपके लिये लाये हैं जन्मदिन की शुभकामनाएं आधारित शार्ट पोएम्स। हर कोई चाहता है कि वो अपने हरदिल अज़ीज़ के happy birthday पर शुभकामनाएं देने के लिये ऐसे शब्द लिखे या कहे जो दिल के जज़्बातों को बयान करने में सक्षम हों। इस पोस्ट Birthday wishes Poem for
दो हंसो की जान को कलियों सी मुस्कान को उसने जन्नत से भेजा करने अच्छे काम को। कहते हैं जोड़ियाँ तो जन्नत में तय होती हैं। ये आधा सच लगता है। जन्नत में महज़ जोड़ियाँ ही नही तय होतीं, उनके किरदार भी तय होते हैं। उनके उत्तरदायित्व, उनके कर्तव्य, उनकी कर्मभूमि ही
Love poem-मोह हाँ शायद, मैं नही जानता और कैसे जानूँ तुमने ह्रदय पट ही नही खोले बहुत कुछ कहा होगा कहा है मगर कुछ भी तो नहीं बोले मंदाकिनी हो तो बहती भी होगी किन्तु क्षमा करना दायरों में ही रहती होगी तो आस का क्या वो तो टूटेगी अब तुम्हीं बताओ टूटन में क्या
अब कौन किसे रुला रहा है नादान नही हूँ सब जानता हूँ। इतना कम वक्त ऊपर से उनके झगड़े या खुदा रहम कर रहम कर रहम कर। तुमने मुझे आप कहा तो खुश हूँ बहुत इत्मीनान है तुम्हें मेरी कद्र अभी भी है। ये भी पढ़ें:- तड़पते दिल की दो मोहक ग़ज़लें चार पंक्तियों की
‘कौन है’ कंपकंपाती भौंहें थरथराता ललाट नशीली आँखें मुंदी पलकें पलकों की बेसुध कोरें कोरों में नमी नमी में तसव्वुर तसव्वुर में मुस्कराता कौन है जो मौन है सघन-घने सुरमई गेसू गेसुओं की चन्द उन्मत्त लटें टोली से बाहर विद्रोह कर उतर आती हैं कपोलों पर किलोलें करने कपोलों पर लज़्ज़ा जहाँ फैली है हया
ग़ज़ल-बदमाश मेरा हाल क्या है न पूछिये ये न ख़ास था ये न ख़ास है दिल कल भी था यूँ ग़मज़दा और आज भी ये उदास है। यूँ तमाशा होता है रात दिन मेरी हसरतों का न पूछिये गोया रहनुमा हो बहार का जिसे खुश्बुओं की तलाश है। ये नज़ारे चाँद धनुक घटा तेरा नूर
कभी मैं होश खो बैठूँ, कभी बेहोश तुम हो लो सदा तेरा रहा हूँ मैं, कभी तुम भी मेरी हो लो। समंदर सा मचलता हूँ, उफनती सी नदी बन कर कभी आगोश में आओ, कभी आगोश में ले लो। खुशी दे जाऊँगा तुझको, तेरे हर गम को सह लूँगा इशारे में तेरी पलकों की, कोरों
बेख़बर हो इसलिये मुआफी है जान के करते तो जान ले लेता। नादानियाँ इतनी भी बुरी नही होती ज़्यादा इल्म ही इनको बुरा बनाता है। तू जैसे चाहे मुझसे इंतकाम ले ले बस एक बार आजा फिर चाहे जान ले ले। अब तुम्हारे बहाने जायज़ लगने लगे हैं शायद इश्क एक मुकाम पर पंहुच गया।
तकलीफें सहन है साहेब बस कोई अपना न दे। ख़ुद को तुझमें मिला लिया है तुझसे मिलना छोड़ दिया अब। मेरे मेहबूब तेरी रहमतें देख मेरी आँख भर भर आती है हमारी गुज़ारिशें कम न हुईं तुम्हारी नवाज़िशें कम न हुईं। ये भी पढें-रोमांटिक शायरी ‘इश्क़ की आहट’ ये भी पढ़ें-प्यार में होने की