सद्गुरु के उपकार को, कोउ चुका न पाय रंग चोखो लग जात है, उतरे न उतराय। पिता जन्म देता महज़, कच्ची माटी होय गुरुजनों के शिल्प से, मिट्टी मूरत होय। अवगुण कुमति निहार के, गुरु देवें मुस्काय ज्यों लख उत्तम शिला को, शिल्पकार हर्षाय। अंधकार चहुँ दिशि घना, रात अमावस आय रवि सम सतगुरु देत
मित्रों, आज के इस लेख में हम चर्चा करेंगे कि एक अच्छी प्रेस विज्ञप्ति कैसे लिखें। प्रेस विज्ञप्ति का प्रारूप कैसा होना चाहिये। एक सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रेस विज्ञप्ति लिखने के नियम क्या होते हैं। मित्रों, हमारा देश उत्सव, जश्न, आयोजनों के लिये विख्यात है। देश मे सामाज़िक विभिन्नता अवश्य है लेकिन
इक दीप जलाकर कर श्रद्धा का, भीगी भीगी सी अंखियाँ कुछ । कुछ विनत भाव कुछ ह्रदय चाव, आज़ाद पार्क क़ुछ जलियाँ कुछ। बिस्मिल का दिल मन भगतसिँह, रग-रग में राजगुरु हों कुछ। आओ कर लें उस जज़्बे को, अर्पित फूलों की कलियाँ कुछ।। स्नेहिल स्वजनों, जय हिंद-वंदे मातरम।। वक्त आ गया कि
मंच पर विराजमान आज के कार्यक्रम अध्यक्ष…….जी, माननीय विशिष्ट अतिथि……….जी एवम प्रिय देशवासियों। आप सबको आज़ादी के पर्व स्वन्त्रता दिवस की ह्र्दय से बहुत-बहुत बधाईयां-शुभकामनायें प्रेषित करता हुँ। मित्रों, आज हम आज़ादी के पावन महोत्सव को मनाने के लिये एकत्रित हुये हैं। आज हम तिरंगे को और उत्तंग ऊँचाई पर स्वच्छन्दता से फहराने के लिये
एंकर फीमेल- ज़िद करो और जीतो- मुझे लगता है कि आज के जश्न का अगर कोई टाइटल-कोई शीर्षक रखना हो तो इससे बेहतर नही हो सकता। ऊंचे इरादों, कठिन परिश्रम और सतत सफलता प्राप्त कर सदा जयवंत रहने वालीं, एक मिसाल प्रस्तुत करने वालीं दो विजेताओं के अभिनदंन समारोह में, मैं
क्रम 1- Intro-entry-भूमिका एंकर मेल- दृढ़ता हो लौह पुरुष जैसी, कुछ भगत सिंह सी मस्ती हो नेताजी जैसा ओज मिले, आज़ाद के जैसी हस्ती हो। उधम का उधम दिल बिस्मिल, मंगल पांडे का ताव मिले हे ईश्वर जन्म दुबारा दो तो, भारत माँ की छांव मिले।। स्वतंत्रता दिवस की इस पावन बेला
ग़ज़ल-नवाज़िश नींद में चांद चल रहा होगा।। ख़्वाब कोई मचल रहा होगा। हूक़ उठती है दिल लरज़ता है कोई कहके बदल रहा होगा। वो हवाओं से बैर क्यों लेगा जो चिरागों सा जल रहा होगा। आँख नींदों से भर गया कोई ख़्वाब नैनों में मल रहा होगा। आप आये बड़ी नवाज़िश है आपका दिल पिघल
साभार pixabay. com मीठे मीठे शहद सा, मीठा मीठा यार ना जाने कब हो गया, मीठा मीठा प्यार। बात बात में लड़ गये, नैनन से यह नैन झलकत है नैनन वही, सूरतिया दिन रैन। नैनन नैन समाये ना, नैन नैन खो जाय मौन मौन के बीच ही, बातें होतीं जाय। उँगली उँगली मिल गई, अंगुल
-चित्र साभार गूगल से- हाइकु जापानी काव्य विधा का एक छंद है जिसे आजकल बहुतायत में लिखा जा रहा है। हिंदी काव्य में हाइकु का प्रयोग एक अभिनव प्रयोग है और बहुचर्चित कवियों ने अपने काव्य लेखन में इस छंद को स्थान दिया है। केवल तीन पंक्तियों के छंद हाइकु में प्रथम पंक्ति में
जो पूरे होते हैं, वही अधूरे होते हैं। सुनो, तुम सुरमें का टीका भी लगाया करो। हुस्न वालों को ख़ुद की नज़र भी लग जाया करती है।। ये जो तुम जरा-जरा सी बात पर सोचने लग जाते हो हैरत है कि तुमने मोहब्बत करने की हिम्मत कैसे कर ली। तुम अपने काम से काम क्यों