ग्रेटर नोएडा के रेयान इंटरनेशनल स्कूल में सात साल के बच्चे प्रधुम्न की हत्या ने समूचे देश में एक तूफान खड़ा कर दिया। वैसे तो स्कूलों में बाल छात्रों के उत्पीड़न की घटनाएं गाहे-बगाहे सामने आती रहीं हैं। लेकिन इस बार की यह घटना एक हाईप्रोफाइल स्कूल और एक सम्पन्न परिवार से जुड़ी हुई
ग़ज़ल -दुआ दर्द बढ़ जाये तो बता देना। इश्क़ हो जाये तो जता देना।। ज़ख्म भरने लगे सभी मेरे आओ आकर कभी हवा देना। कत्ल के बाद भूल मत जाना चार आँसू कभी बहा देना। तुम तो माहिर हो झूठ कहने में फिर बहाना कोई बना देना।। तेरे पहलू में मौत आये मुझे तेरी बाहों
ग़ज़ल-सोहबत ये शोर कैसा है धड़कनों में, ऐ दिल बता कि क्या चल रहा है क्यों सारा आलम ये सारा मौसम, ज़हान सारा मचल रहा है। मैं कैसे कह दूँ क्या हो रहा है, कि सीने में इक कसक उठी है घुला हुआ है शहद फ़िज़ा में, कोई गुलाबों पे चल रहा है। हमारा
है मंच सार्थक है मंच उपकृत, श्रीमान जी जो यहाँ पधारे। हम आज गर्वित ह्रदय हैं हर्षित, अहोभाग्य हैं बड़े हमारे।। ये जन मनोहर छवि तुम्हारी, कि जैसे सूरज गगन पर चमके। यूँ मन सुकोमल जहाँ की सारी, मृदुलता वाणी से जैसे छलके। कि क्या दें परिचय बड़ा है अतिशय, नमन को आतुर नयन हमारे।।
प्रस्तुत है उड़ती बात स्पेशल आर्टिकल मंच संचालन हेतु शानदार ताली शायरी । आशा है सभी मंच संचालकों को इस आर्टिकल से मदद मिलेगी। अपनी कद्रदानी को इस तरहा ना छिपाइए अगर प्रस्तुति पसंद आई हो तो तालियाँ बजाइये। भ्रमर परागों पर बैठेगें धरी रहेगी रखवाली खुश्बू ख़ुद उड़ने को आतुर क्या कर लेगा जी माली
अतिथि स्वागत के दोहे – उड़ती बात पर प्रकाशित मंच संचालन के चर्चित आर्टिकल मंच संचालन शायरी, ताली शायरी, मंच संचालन स्क्रिप्ट की श्रखंला को आंगे बढ़ाते हुये आप सब के समक्ष प्रस्तुत है अतिथि स्वागत के दोहे के रूप में लिखी अतिथि स्वागत शायरी का ऐसा संग्रह जो कि आपको मुदित कर देगा। अक्सर
जाने-अनजाने में मैंने अपने शब्दों से या व्यवहार से आपके निर्मल मन को कभी आहत किया हो-ठेस पहुंचायी हो तो मुझे नादान समझ कर क्षमा करें। —————————– एक मानव होने के नाते हम सब कहीँ ना नहीँ-कभी ना कभी अहम्, द्वेष, अहंकार, दुश्मनी, वैमनस्य जैसे मानवीय अवगुणों से चाहे अनचाहे ग्रसित हो
घोर अमावस रात में, नीरवता इतराय वैसे ही अज्ञान में, कुमति पुष्ट हो जाय। मति है नीरज तुल्य ये जानो, ह्रदय पात्र सम है ये मानो जैसा इसमें द्रव्य मिलाओ, जस का तस परभाव विचारो। नीम मिलाओ कड़वा पानी, कर्कशता ना जाय बखानी घोलो इसमें शहद चासनी, सरस मधुरतम होवे प्राणी।। घोला
रोमांटिक कविता-उफ़ान आतुरता का व्याकुलता की ओर यह प्रवाह आह!! गुमान ही ना था कोई अनुमान ही ना था। लज़्ज़त के गगन से टप्प टप्प बूँद गिरती रही हृदय के रजत कटोरे में चुपके से, लबालब चांदनी भरती रही। ये भी पढ़ें- Love Dohe । इश्क़ के दोहे ये भी पढ़ें-प्यार में
एंकर फीमेल- आज की इस मधुर बेला में, मैं आप सबका पंक्तिमय अभिवादन करके आज के कार्यक्रम को आरम्भ करना चाहती हूँ कि- चांदनी चांद से मिलती है, तो रौशन ज़माल करती है खुशी से खुशी मिले, तो ख़्वाहिश कमाल करती है ये विद्वता के नूर की, रौनके महफ़िल है मेरे