मोहब्बत की 3 सुरीली ग़ज़लें। इश्क़ की 3 ग़ज़लों की श्रृंखला। 3 Love Ghazals। 3 Very sweet Ghazals।

Buy Ebook

ग़ज़ल -दुआ

दर्द बढ़ जाये तो बता देना।
इश्क़ हो जाये तो जता देना।।

ज़ख्म भरने लगे सभी मेरे
आओ आकर कभी हवा देना।

कत्ल के बाद भूल मत जाना
चार आँसू कभी बहा देना।

तुम तो माहिर हो झूठ कहने में
फिर बहाना कोई बना देना।।

तेरे पहलू में मौत आये मुझे
तेरी बाहों का आसरा देना।

अब न कोई दवा असर देगी
चंद साँसें हैं बस दुआ देना।

शोर ज़्यादा है तेरी गलियों का
आयेंगे एक दिन पता देना।।

ये भी पढें- ग़ज़ल क्या कमी है

ग़ज़ल-प्यार

ये इबादत है मुझे, हद से गुज़र जाने दे
प्यार करने दे मुझे, प्यार में मर जाने दे।।

एक अरसे से मेरे अंदर इक समंदर है
आज न रोक मुझे, टूट के बह जाने दे।

गम न कर यार मेरे मैंने, दुआ मांगी है
चाँद होगा तेरे दामन में, असर आने दे।

यूँ तमाशा न बना, मेरी तमन्नाओं का
थोड़ा सा और क़रीब आ, या मुझे आने दे।

इश्क़ है खेल नहीं है, जो कुछ तर्जुबा हो
सोचा इक रोज़ तुझे कह दूँ, मगर जाने दे।

ये भी पढें-तड़पते दिल की दो ग़ज़लें

ग़ज़ल-तिज़ारत

कहाँ चले हो नज़र बचा के, अभी तो महफ़िल शुरु हुई है
बिना कहे क्यों बिना सुने क्यों, तुम्हारी रंगत उड़ी हुई है।

समेट लाई रुमानियत को, मैं चुन के लाई हूँ रंज सारे
जो तुमने बाँटे सलाहियत में, बटोर लाई हूँ तंज़ सारे
नया नया है मेरा रवैया, मिज़ाज़ ओ तवियत नई नई है
कहाँ चले हो नज़र बचा के, अभी तो महफ़िल शुरु हुई है।

तमाम सुनते थे मशविरे हम, तुम्हें हैं आतीं हज़ार बातें
ज़िरह तुम्हारी ज़िगर पे भारी, के सुनके हमने भिगोईं रातें
मैं ज़र्रा ज़र्रा बिखर गई हूँ, तुम्हारी फ़ितरत अभी वही है
कहाँ चले हो नज़र बचा के, अभी तो महफ़िल शुरु हुई है।

ग़ुनाह मेरा ख़ता हमारी, जो प्यार हमने किया था तुमसे
तुम्हें बता दूँ कि तुम न जीते, मैं हार बैठी हमारे दिल से
बहुत सुनी दिल की सौदेबाज़ी, तेरी तिज़ारत नई नई है
कहाँ चले हो नज़र बचा के, अभी तो महफ़िल शुरु हुई है।

2 Comments

Leave a Reply