Love poems । 3 बेहद रोमांटिक कवितायें । इश्क के रंग में डूबी हुई 3 कविताओं की श्रृंखला

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Love poem-मोह

हाँ शायद,
मैं नही जानता
और कैसे जानूँ
तुमने
ह्रदय पट ही नही खोले
बहुत कुछ कहा होगा
कहा है
मगर
कुछ भी तो नहीं बोले
मंदाकिनी हो
तो बहती भी होगी
किन्तु क्षमा करना
दायरों में ही रहती होगी
तो आस का क्या
वो तो टूटेगी
अब तुम्हीं बताओ
टूटन में क्या खुशी होगी
तो फांस का क्या
वो तो चुभेगी
ज़रा अनुमान लगाओ
कहाँ अंदर फंसी होगी
फिर भी खुशी है
फिर भी हँसी है
खोखली ही सही
न ही फंद है न ही दंभ है
अंतर का अंतर से
न ही आडंबर है
बस क्षणिक द्वंद है
निष्क्रियता का निरंतर से
आश्चर्य है कि फिर भी
मैं तृप्त नज़र आता हूँ
हो सकता है
अब तुम्हें क्या अनुमान
कि कैसी आकुलता होती है
जब तुम्हें अंतिम छोर पर
तटस्थ खड़ा पाता हूँ
चलो कोई बात नही
प्रारब्ध का खेल है
अभी क़िस्मत में
शुभ से मुलाकात नही
इतना भी आसां नही
हमारा ये मेल है
निश्चय ही
भाग्य में बिछोह है
विचारों का विचारों से
लहरों का किनारों से
किन्तु एक बात तो तय है
यकीन मानो
इस मौलिक को अभी भी
अपनी आशाओं से
जो तुमसे हैं, बड़ा ही मोह है।

Love poem-कसमसाहट

सब कहते हैं
कि इतना मज़मा है,
फिर भी
यूँ तन्हा से
क्यों तुम हो।
खुशियों से भरी हँसी
हँसी से भरी खुशी
क्या क्या वाकये
मज़लिश में ना हुये,
नीली रौशनी में
सितारे ओढ़कर
आई थी दुआ
सबने तो मोतीं चुने
और तुम हो कि
एक सितारा भी न छुये।
आख़िर बताओ तो कि
इस तरहा तुम
क्यों गुम हो।
ये फीकी मुस्कराहट
ये उनींदी आँखे
आने की बैचेनी
जाने की कसमसाहट
कुछ कहना है
और कुछ कहते हो
फूल गुलाबी
चेहरे शराबी
शोख़ दामन
नूर हूर खनक चहक
अब ख़ुदा ही जाने
और किसे तकते हो
मुझे पता है
कि तुम क़ुछ नही बताओगे
लेकिन इस तरहा
छिपा भी न पाओगे
तो सुनो मेरे मित्र
तुम्हारे ह्रदय में
सज़ा है किसी का चित्र
शायद
तुम्हेँ दिल का रोग हुआ है
अगर यह सच है
तो मैं तुम्हें बता दूँ
कि तुम इसे
सह नही पाओगे
और मुझे तरस आता है
यह सोचकर मौलिक
इसके बिना अब
रह भी नहीं पाओगे।

Love poem-मौन

हाँ तुमने ठीक कहा, मौन है
पर क्या कभी सोचा है
कि यहाँ से वहाँ तक
फैली स्तब्धता में
किसका ख़्याल है, कौन है।
कैसे कहुँ कैसे बताऊँ
कैसे समझोगे कैसे दिखाऊँ
कि वो तुम हो, हाँ तुम्हीं हो
तुम, जिसके आगें
सब तुच्छ है-सब कुछ, गौण है।

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