Kahani Bhram – कहानी भ्रम, एक ऐसी कहानी जो सोचने पर मज़बूर कर देगी
सिया एकदम झटके से चेयर से खड़ी हो कर स्तब्ध रह जाती है और अपने दोनों हाथों को अपने गालों पर चिपका कर कहती है ‘यह क्या कह रही है नीलू तू!!!, कहीं मुझे मार्च के महीने में ही तो अप्रैल फूल नहीं बना रही, मुझे तो बिल्कुल भी यकीन नहीं हो रहा है।
‘इतनी सुशील पढ़ी-लिखी ‘शौर्या, क्या ऐसा क़दम उठा सकती है ? और ‘शीर्ष, जज साहब में कमी ही क्या है ? देखने में हैंडसम हैं और समाज में मान-सम्मान, प्रतिष्ठा, समृध्दि, किस चीज़ की कमी है।’
‘पता नीलू, आज ऐसी ही एक ख़बर आज न्यूज़ पेपर में पढ़ने के बाद मेरे मन में बार-बार एक ही विचार आ रहा था कि यह छोटी जात के लोग जो पढ़े -लिखे नहीं हैं वो अपने घर – परिवार, समाज जैसी चीजों की चिंता भी नहीं करते। क्योंकि ऐसे लोगो के जीवन में इस प्रकार की बातें मायने नही रखती हैं।’
‘तो क्या? ‘मैं, अब तक भ्रम में जी रही थी ?’
नीलू ने तो जैसे उसकी बात ही न सुनी हो। वह तो जाती हूँ बाद में आऊँगी कह कर यह, वह जा हो गई।
और निढ़ाल सी सिया फिर से एक गहरे चिंतन में खो जाती है।
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कुछ दिनों बाद फिर से न्यूज पेपर में निकला “संध्या, जो औरत अपने तीन मासूम बच्चों को छोड़ कर अपने पूर्व प्रेमी के साथ भागी थी, आज वह उसी प्रेमी के चंगुल से अपनी इज्जत, आबरू खोने के बाद जैसे-तैसे अपनी जान बचा कर भाग आयी है।”
…….क्योंकि की उसका प्रेमी ही उसकी देह का सौदा करने लगा था। जब यह बात संध्या को पता चली तो उस ने इस बात का विरोध किया।
इस बात से आग-बबुला हो कर उस के प्रेमी ने पहले तो संध्या को खूब मारा-पीटा और शहर के बाहर किराए से एक घर लेकर संध्या को उसमे बन्द कर दिया और चला गया।
जब वह शाम को वापिस आया तो संध्या ने पूछा ‘तू मेरे साथ ऐसा क्यों कर रहा हैं, मैंने तो तेरे प्यार के खातिर अपने बच्चों और पति को छोड़ा है, जो मुझे बेहद सम्मान देता था, मेरी इज़्ज़त आबरू का ध्यान रखता था और तू मेरी उसी आबरू का सौदा कर के पैसा कामना चाहता है?’
‘अरे रहने दे, यह सती-सावित्री वाली बातें तेरे मुंह से अच्छी नहीं लगती, प्रेमी ने चिढ़कर कहा, जब तू अपने पति और बच्चों की न हो सकी तो तू किसी और की क्या होगी ?’
‘यह तो तेरे अंदर की वासना थी जो तुझे छः,वर्षों बाद भी मेरे पास ले आयी और मैंने तो तूझ से प्यार कभी किया ही नहीं था, यह तो मेर पेशा है कि लड़कियों को अपने झूठे प्रेम जाल में फ़साओं फिर जी भर कर उन से खेलों फिर उनका सौदा कर पैसे कमाओ और ऐश करो। यह मेरा असली रूप तब सामने आता जब लड़कियां, औरतें जब पूरी तरह से बर्बाद हो जाती हैं, अब समझी तू। उसका प्रेमी जिसे की राक्षस बन गया था।