आभार शायरी – सभी मंच संचालक मित्रों को स्नेहिल अभिवादन। मंचीय प्रस्तुतिकरण में अगर कोई सबसे महत्वपूर्ण क्रम होता है तो वो होता है अतिथियों का स्वागत क्रम। इस आर्टीकल आभार शायरी में अतिथि स्वागत शायरी एवम Gratitude shayari का प्रथम collection आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ। आशा है इससे आप सबको कुछ सहायता
सबसे पहले तो मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हूँ कि मंच संचालन करना बिल्कुल भी कठिन काम नहीं है। मेरे अनुसार इसमें एक ही सिद्धान्त काम करता है कि ‘अगर आप बातचीत कर सकते हैं तो आप मंच संचालन भी कर सकते हैं।’ जी हाँ, मंच संचालन उतना ही सरल है जितना की बातचीत
अतिथि स्वागत गीत – स्वागत गीत की श्रृंखला में प्रस्तुत है अतिथि स्वागत गीत -2 यह आर्टिकल आपको कैसा लगा अपनी प्रतिक्रिया ज़रूर व्यक्त करें। अतिथि स्वागत गीत धन-धन हमारे भाग हैं, श्रीमन हमारे साथ हैं हम नमन अभिनंदन करें, तव जोड़कर द्वय हाथ हैं। अनुगृहित है मन मुदित है, श्री मन पधारे जो यहाँ
ताली शायरी पार्ट 1 – उड़ती बात के सभी प्रशसंकों को अमित मौलिक का स्नेहिल अभिवादन। दोस्तों, मंच और ताली एक दूसरे के पूरक हैं। किसी भी मंचीय प्रस्तुति की सफलता का एक ही पैमाना होता है और वह है तालियाँ बजना। हालांकि कई बार अच्छी प्रस्तुति पर भी कमजोर तालियाँ आती हैं। ऐसा इसलिए
धुन्ध ही धुंध थी पूरा आसमान, सर पे उठा रक्खा था एक बार हुज़ूर क्या कह दिया हमने, आतंक मचा रक्खा था हमने इक रोज़ इमदाद मांग कर, उनकी हवा ख़राब कर दी जिन्होंने खुद को बहुत बड़ा, सुल्तान समझ के रक्खा था। बिना दुश्वारी के बिना तकलीफों के ये नामुराद ख़्वाब कहाँ संवरते
-नमस्कार दोस्तो, संस्कारधानी कला परिषद् द्वारा होली मिलन के सुअवसर पर आयोजित इस सुरों से गुनगुनाती हुई शाम में मैं अमित ‘मौलिक’ आज के कार्यक्रम के अतिथि गण, विशिष्ट जन एवम आप सब संगीत प्रेमियों का बहुत बहुत स्वागत करता हूँ-एहतराम करता हूँ । आज की इस सुरीली शाम को सुर बद्ध करने वाली
माँ सरस्वती वंदना मेरी मैया शारदे माँ मुझे अपना बना लेना तू ममता का समंदर है मुझे कतरा बना लेना। सुरीली मुग्ध सरिताएं मेरे उर में बहा दे माँ ह्रदय में बाँसुरी की धुन ज़रा संगीत भर दे माँ मैं बन जाऊँ मधुर मिश्री मुझे सुर पांचवां देना। ये भी पढ़ें: श्री गणेश
‘स्थापना दिवस’ दिनांक -09 अगस्त 2016 कार्यक्रम संचालक-अमित ‘मौलिक’ क्र.1 कार्यक्रम आरंभ की घोषणा मौलिक- हमारे दिगम्बर जैन सोशल ग्रुप जबलपुर नगर के सभी मित्रों और हमारे खास मेहमानों को जय जिनेन्द्र, प्रणाम, नमस्कार। मै अमित मौलिक आज के इस स्थापना दिवस के कार्यक्रम में आप सब का बहुत बहुत स्वागत,
आपके सामने प्रस्तुत है मंच संचालन शायरी पार्ट-3 आशा है कि आपको यह प्रयास पसन्द आयेगा। अगर पसंद आये तो अपनी राय और सुझाव कमेंट बॉक्स में अवश्य दर्ज करें। मंच संचालन शायरी ऐसा हुनर ऐसी सादगी ऐसी रहनुमाई की कैफियत नहीं देखी किरदार तो बहुत देखें हैं ज़माने में पर आप जैसी शख्सियत नहीं देखी।