3 ख़ूबसूरत ग़ज़लों की सुंदर प्रस्तुति। 3 शानदार ग़ज़लों की शानदार प्रस्तुति। 3 Very sweet Ghazals

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ग़ज़ल-सियासत

पत्थर दिल में इश्क़ की चाहत, धीरे धीरे आती है
शाम ढले ख़्वाबों की आहट, धीरे धीरे आती है।

नया नवेला इश्क़ किया है, तुम भी नाज़ उठाओगे
रंज-तंज़ फ़रियाद शिक़ायत, धीरे धीरे आती है।

तुम तो आओ सब आयेंगे, चांद सितारे तितली फूल
ज़ीनत मस्ती ज़िया शरारत, धीरे धीरे आती है।

ज़हर ख़ुरानी दाँव पेंच सब, लोग सिखाने आयेंगे
अगुआई कर हुनर सियासत, धीरे धीरे आती है।

यार बनाया है ना तूने, साँझे में इक सौदा कर
खुदगर्ज़ी इमकाने अदावत, धीरे धीरे आती है।

चार अज़ानें पूरी करके, फ़ेहरिश्त भी पढ़ आये?
फ़ज़ल खुदाई मेहर इनायत, धीरे धीरे आती है।

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ग़ज़ल-तालीम

थोड़ा सा मदहोश हुआ हूँ, थोड़ी काबिज़ मस्ती है।
ना जाने क्यों सारी दुनिया, दीवाने पर हंसती है।

चाँद इन्हीं का तारे इनके, तितली फूल इन्ही के हैं
छोड़ो हातिम क्या रक्खा है, बेईमानों की बस्ती है।

जाने दो क्या तलबी करना, उनकी यही रिवायत है
उनके आगे हम जैसों का, ना कद है ना हस्ती है।

चार किताबें पढ़ने वाले, इल्म बाँट कर जाते हैं
अपनी भी मज़बूरी है, तालीम वहाँ की सस्ती है।

रोज़ हथेली पर उगते हैं, उनके ख़ुद के सूरज हैं
मेरे घर की चार खिड़कियाँ, नूर के लिये तरसती हैं।

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ग़ज़ल-मसला

जिसको देखो उसके दिल मे, दबा हुआ इक असला है
मेरे मौला क्या चक्कर है, आख़िर ये क्या मसला है।

आग लगाकर मुन्नी जल गई, मामूली सी बात हुई
नेता जी का धरना बन, अख़बारी सुर्खी उछला है।

इससे अच्छी वही पुरानी, अपनी प्यारी बस्ती थी
पढ़े लिखों की तहजीबों की , शायद यही इब्तिला है।

शोर दुबक कर गुमसुम बैठा, गलियों में सन्नाटा है
दीवारें हैं पास पास पर, दिल के बीच फ़ासिला है।

खून पसीना एक किया था, उसकी माँ ने उम्र तलक
साहिब बन कर आया है पर, बेटा बदला बदला है।

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