15 अगस्त की एंकरिंग स्क्रिप्ट । Independence Day Anchoring script । 15 अगस्त की मंच संचालन स्क्रिप्ट । स्वतंत्रता दिवस की मंच संचालन स्क्रिप्ट

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एंकर फीमेल-

एकबार और शानदार तालियों की गड़गड़ाहट। धन्यवाद। और मैं यशवंत आपसे सहमत हूँ। अगर हम सब मिलकर चीन के सामानों का बहिष्कार करें। न खरीदें न बेचें तो निश्चित रूप से हमारा प्रतिद्वंदी कमज़ोर पड़ेगा। आज पूरे देश में चीनी सामानों का बहिष्कार हो रहा है। आगाज़ अच्छा है तो अंज़ाम भी अच्छा होगा। इस बात की हमें पूर्ण आशा है। मुझे भी कुछ पंक्तियाँ याद आ रहीं है कहना चाहती हूँ कि-

 

कुछ परिंदे उड़ रहे हैं, आंधियों के सामने
उनमें ताकत ना सही पर, हौसला होगा ज़रूर।
इस तरह से गर नदी, बहती रही तो देखना
तय समंदर तक इक दिन, फासला होगा ज़रूर।।

 

क्रम 9-सांस्कृतिक कार्यक्रम नृत्य नाटिका

एंकर मेल-

बहुत सुंदर। आज देश मे आक्रोश है। क्रांति की चिंगारी उठने लगी हैं। हमारे देश के व्यापारियों ने चीनी सामानों का बहिष्कार करना शुरू कर दिया है। और इसका तात्कालिक असर चीनी मीडिया और चीनी नेताओं के बयानों में दिखने लगा है। ज़ोरदार तालियाँ उन सभी देश प्रेमी व्यापारियों और नागरिकों के लिये जिन्होंने चीनी उत्पादों का विरोध करके एक मुहिम छेड़ी।

वाह काव्या, आपने कितना सुंदर संदेश दिया। समय आ गया कि हम सब अपने शहीदों के योगदान को याद करें। मैं आपको एक ऐसी नृत्य नाटिका की प्रस्तुति की ओर ले चल रहा हूँ जिस को देखकर हमारे देश प्रेमीयों की बाजुएँ फड़क उठेंगी। नस नस में लावा फूट पड़ेगा। अंग्रेजों के ज़ुल्म देखकर आँखें दहक उंठेंगी तो हमारे शहीदों के ज़ज़्बे को देखकर हुंकारें फूट उठेंगी।

मैं इस प्रस्तुति के प्रतिभागियों के नाम का वाचन करके उन्हें मंच पर आमंत्रित करता हूँ class……….के छात्र 1………, 2…….., 3………, 4………., 5…….वो आयें और अपनी प्रस्तुति पेश करें। कृपया यथाशीघ्र प्रस्तुतिकरण करें।

एंकर फीमेल-शानदार। शानदार। अद्भुत अद्भुत। अंगारे बरसाने वाली इस प्रस्तुति के लिये शानदार तालियाँ। नमन करती हूँ हमारे देश के शहीदों को।

हमारे देश के शहीदों की इस शहादत से हमें जो प्रेरणा मिली उसे मैं हमारे देश के भूतपूर्व महान प्रधानमंत्री एवम कवि माननीय श्री अटल बिहारी जी की दो पंक्तियों में व्यक्त करना चाहती हूँ कि-

 

दांव पर सब कुछ लगा है रुक नही सकते
टूट तो सकते हैं हम मगर झुक नही सकते।

क्रम 10- प्रतिभाशाली छात्र छात्राओं का सम्मान

एंकर मेल-बहुत ख़ूब काव्या। और सच कहें तो हमारा देश तभी विश्व गुरु बनेगा जब हम सब लगातार इस देश को आंगे ले जाने में अपना सर्वस्व अर्पण करेंगें। हम जिस भी कार्य को कर रहे हैं, चाहे व्यापार हो, चाहे उद्योग हो, चाहे हम सरकारी दफ्तर में किसी पद पर अपनी सेवाएँ दे रहे हों, चाहे हम चिकित्सक वकील के रूप में अपनी सेवाएँ दे रहे हों या चाहे हम छात्र छात्राओं के रूप में अध्ययनरत हों, जब तक हम कर्तव्यनिष्ठ हो कर ईमानदारी से लगातार मेहनत नही करेंगे तब तक हमारा देश शिखर पर नही पहुंचेगा।

हमारे महाविद्यालय के ढेरों छात्र अपनी अपनी प्रतिभाओं से अपने संस्थान, अपने शहर और अपने देश का नाम रौशन कर रहे हैं। समय है ऐसी सभी छात्र प्रतिभाओं को समान्नित करने का। मैं चार पंक्तियाँ देश के भविष्य के नाम करते हुऐ इस क्रम का संपादन काव्या को सौंपना चाहता हूँ कि-

 

जब फूल चमन में खिलते हैं, बासंती रुत आ जाती है
उनकी ज़िद जज़्बों के आंगें, हर दुश्वारी झुक जाती है।
इनकी सुगंध से महकेगा, यह चमन गुलसिताँ चहकेगा
इनसे ज़न्नत इनसे ज़ीनत, इनसे ही रौनक आती है।।

 

एंकर फीमेल-जी विल्कुल यशवंत। बिल्कुल ठीक कहा आपने मित्र।
यही सब हमारे देश की शान हैं। मैं यहां से सभी प्रतिभाशाली छात्र छात्राओं के नाम का वाचन करती जाऊँगी। उनसे निवेदन है कि वो अविलंब मंच पर आते चले जायें और हमारे आज के मुख्य अतिथि, कार्यक्रम अध्यक्ष और विशिष्ट अतिथि से सम्मान प्राप्त करते जायें।

(छात्र छात्राओं के सम्मान का समापन)

क्रम 11- प्राचार्य का उद्बोधन और आभार

एंकर मेल-मित्रो, आज का आज़ादी का उत्सव अपने आखिरी चरण में है। मैं हमारे प्रेरणास्रोत, जिनकी सुशीतल छाँव में हम अपने जीवन का नव निर्माण कर रहे हैं हमारे आदर्श हमारे प्राचार्य डॉ……….जी से निवेदन करता हूँ कि इस पावन बेला पर वो हम सब विद्यार्थियों को अपने प्रेरक उद्गारों से मार्गदर्शित करें और आभार प्रदर्शन करके इस का कार्यक्रम का सुखद समापन करें। ज़ोरदार करतल ध्वनि हमारे प्रिंसिपल सर के लिये। शुक्रिया। धन्यवाद जय हिंद।

(प्रिंसिपल का उद्बोधन-आभार प्रदर्शन)

एंकर फीमेल-तालियों की ज़ोरदार गड़गड़ाहट हमारे प्रिंसिपल सर के लिये। एक बार पुनः आप सबको आज़ादी की शुभकामनाएं। जय हिंद-जय भारत।

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