हिंदी दिवस पर शानदार कविता। हिंदी दिवस पर कविता। हिंदी पर बहुत ही सुंदर कविता।

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हिंदी दिवस पर कविता – अपनी मातृभाषा हिंदी को समर्पित यह मेरी रचना  हिंदी दिवस पर कविता  सभी हिंदी प्रेमियों को भेंट है। देवोपुनीत भाषा संस्कृत के बाद अगर कोई भाषा सर्वोपरि मानी जायेगी तो वो हिंदी भाषा है। संस्कार, संस्कृति, आदर, नेह, सौहाद्र और समपर्ण सिखाने वाली भाषा अगर कोई है तो वो हिंदी ही है। 

इस आर्टीकल हिंदी दिवस पर कविता  के माध्यम से मेरा हेतु किसी अन्य भाषा के महत्व को कम बताने का या उसकी निंदा करने का नही है। मेरा अभिप्राय तो बस अपनी सांस्कृतिक विरासत को प्रतिपादित करने वाली, हमारे जीवन मूल्यों को अक्षुण्ण रखने वाली भाषा को अनिवार्य प्राथमिकता देने का है।

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भाषा अपने विचारों और संदेश को संप्रेषित करने का माध्यम होती है। भाषा सदा ही दिल का विषय रही है। सुनना और उसको समझना दिमाग का विषय है लेकिन सुनना और गुनना दिल का विषय। अगर किसी भाषा को समझने के लिये दिमाग लगाना पढ़े तो यह तकनीकी व्यवस्था है। और मनोभावों को, भावनाओं के आवेग को समझने के लिये दिमाग की नही ह्रदय की आवश्यकता होनी चाहिये।

लेकिन हमारे देश की विडंबना है कि जन समूह की भाषा हिंदी होने के कारण हिंदी में सिनेमा बनाया जाता है, हिंदी में भाषण दिये जाते हैं, हिंदी में उपदेश दिये जाते हैं लेकिन तन्हाई में अंग्रेजी में बतियाया जाता है। इस रचना हिंदी दिवस पर कविता  केे माध्यम से आपसे अनुग्रह करता हूँ कि अपनी भाषा से प्रेम कीजिये और इसे बढ़ावा दीजिये। आभार

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हिंदी दिवस पर कविता

हिंदी बोलो हिंदी बोलो
दिल के सब दरबाजे खोलो
हिंदी बोलो हिंदी बोलो।

ह्रदय ह्रदय से दूर चला है
भाषाई दस्तूर चला है
छिन्न भिन्न है अभियक्ति सब
अंग्रेजी में चूर चला है
भाषा में ना व्यक्ति तौलो
हिंदी बोलो हिंदी बोलो।।

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दोहरे मापदंड अपनाके
हिंदी में चलचित्र बनाके
राजनीति में देशी भाषा
निजता में इंग्लिश बतियाके
छद्म भेष धर यूँ ना डोलो
हिंदी बोलो हिंदी बोलो।

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आप नहीं कहती अंग्रेजी
एक हुईं मौसी चाचीजी
मौसा फूफा चाचा भूले
भांजी भूले और भतीजी
रिश्तों में न संशय घोलो
हिंदी बोलो हिंदी बोलो।

हिंदी अपनी निज भाषा है
गर्व की दूजी परिभाषा है
देशबासियो फ़र्ज़ निभाओ
हिंदी से सबको आशा है
अलख जलाओ आंगे हो लो
हिंदी बोलो हिंदी बोलो।

आपको यह रचना हिंदी दिवस पर कविता  कैसी लगी प्रतिक्रिया अवश्य दें।

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