हास्य कवि सम्मेलन मंच संचालन शायरी – Hasya kavi sammelan shayari, कवि सम्मेलन एंकरिंग शायरी, कवि सम्मेलन शायरी
हास्य कवि सम्मेलन मंच संचालन शायरी – हर्ष की बात है कि उड़ती बात के प्रशंसकों में कुछ उभरते हुये मंचीय कविगण भी हैं। कुछ कवि मित्रों के आग्रह पर कि कुछ हास्य कवि सम्मेलन की संचालन शायरी लिखूँ, मैं यह आर्टिकल, हास्य कवि सम्मेलन मंच संचालन शायरी आप सबके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ। प्रयास कितना सफल रहा मैं नहीं कह सकता लेकिन आँशिक सफलता भी मिली होगी तो मुझे खुशी होगी। उन नवोदित कवियों को जो हालिया किसी कवि सम्मेलन के संचालन का दायित्व संभाल चुके हैं, या संभालना है, के लिये इस आर्टिकल में से चंद पंक्तियाँ भी मददगार साबित होतीं हैं तो मुझे अत्यंत ख़ुशी होगी।
हास्य कवि सम्मेलन मंच संचालन शायरी आर्टिकल कैसा लगा अवश्य बतायें। आप लोगों की प्रतिक्रिया के अनुसार इस विषय पर कोई अगला आर्टिकल लिखूँगा। धन्यवाद
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हास्य कवि सम्मेलन मंच संचालन शायरी
पता कम है, पड़ताल ज्यादा है
उत्तर कम है, सवाल ज्यादा है
इसको तालियों की ख़ुराक देते रहना
ये व्यक्ति कवि कम, बवाल ज्यादा है।
ये कवि किसी अजूबे से कम नहीं
हँसी कोई रोक ले किसी में दम नहीं
संभल के बैठना नहीं तो उड़ जाओगे
हास्य कवियों में इससे बड़ा कोई बम नहीं।
देखिये, इस इंसान को देख कर डरिये मत
मैं आप सबको यकीन दिलाता हूँ कि
ये कवि ही है, बस दिखता भूतों जैसा है।
ये व्यक्ति कवि कम, आइटम ज्यादा है
गुलाटी ज़वानी वालीं हैं, उम्र से दादा है
लेकिन माल चोखा और गारंटी वाला है
आपको लोटपोट कर देगा, ये मेरा वादा है।
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जो उठ गये उनकी आत्मा को शांति मिले
और जो उठ रहे हैं उनको घर में क्रांति मिले।
मुसाहिब में बहस में ये, बड़ा अधिकार रखते हैं
कि ये हाज़िर जवाबी में, डिग्रियाँ चार रखते हैं
कई मुँह ज़ोरियों पर, शोध करके ये यहाँ पहुँचे
हास्य कवियों की दुनियां का, इन्हें सरताज़ कहते हैं।
आप लोग इस व्यक्ति की हिम्मत की दाद दें
ये पत्नी पीड़ित इंसान है फिर भी हँसाने आया है।
आप लोग इस आदमी के डील डौल से ना घबरायें
ये सिर्फ दिखता ही खतरनाक है, काटता नहीं है।
आपको बता दूँ कि इनकी पत्नी को ये घोर आपत्ति है
कि ये व्यक्ति उनकी नहीं कवि सम्मेलन की संपत्ति है।
भाईसाब पत्नी पीडितों की भी एक समाज होती है
और ये कवि उस समाज की एक चर्चित हस्ती है।
कभी बुलबुल कभी तितली, कभी गुलज़ार लगती है
शुरू में हर नई पत्नी, स्वर्ग का द्वार लगती है
मैं किन लफ़्ज़ों से बतलाऊँ, जिसे छप्पन छुरी माना
वही बीबी मुझे अब आजकल, तलवार लगती है।
मिश्रा जी को खिलखिलाते देख इतना तो यकीन हो गया
कि चुटकुला अच्छा हो तो हाँथी को भी हँसी आ जाती है।
माना कि ये व्यक्ति कवि कम, दुकानदार ज्यादा लगता है
ये भी माना कि ये बरामदे में पड़ा, कोई सामान लगता है
मगर भाईसाब, ये मशीन जैसा दिखता आदमी कवि ही है
और हमारे देश के हास्य कवियों में, ख़ास पहचान रखता है।
इस पोस्ट हास्य कवि सम्मेलन मंच संचालन शायरी के बारे में आपके कॉमेंट्स का इंतज़ार रहेगा।
im amar arman im a writer
please sir add my fb ac [email protected]
वाक्य में बहुत ही सराहनीय प्रयास है आपका
बहुत बहुत धन्यवाद आभार सतीश जी।
अमितजी मैंने ऑनलाइन बुक का पेमेंट किया है कुल १०-१२ दिन हो गऐ परंतु अभी तक बुक मिला नहीं..Pls reply
Sanjay Mantri
Sajawat Handlooms
Nirala bazar
Aurangabad
9890163369
बहुत बहुत धन्यवाद संजय जी। बहुत आभार। आपको बुक तो मिल गई है लेकिन आपने प्रतिक्रिया नहीं दी कि बुक कैसी लगी। कमेंट का wait कर रहा हूँ।
Sir Mera Nam Manjeet Jaiswal hai mai Allahabad se hu Mai ek yuva funny writer hu .aur kai achi hasy kavitaye likh Chuka hu but kabhi munch pr nhi pdha please munch pr padne ka koi rasta bataye thank you
Mo no 9559696023