मंच संचालन स्क्रिप्ट- संगीत संध्या । Anchoring script-musical night

Buy Ebook

फूल तुम्हें भेजा है खत में , छोड़ दे साड़ी दुनिया किसी के लिए, हमने अपना सब क़ुछ खोया प्यार तेरा पाने को, मैं तो भूल चली बाबुल का देश और अंतिम वो गाना जिसने मुकेश साहिब को आसमान की बुलंदियों पर बिठा दिया वह था चन्दन सा बदन चंचल चितवन।

तो आइये दोस्तो, इस बेमिसाल गाने का लुत्फ़ उठायें। गायक पुनः जनाब फिरोज अंसारी जी।

बेमिसाल! बेमिसाल! क्या कहने …. कितने सुन्दर लफ़्ज़ों का तिलिस्म.. 

ये काम कमान भँवे तेरी,
पलकों के किनारे कजरारे 
माथे पर सिंदूरी सूरज,
होंठों पे दहकते अंगारे 
साया भी जो तेरा पड़ जाए,
आबाद हो दिल का वीराना 

 

वाह। एक बार जोरदार तालियाँ हमारे अंसारी साब के लिए , नियाहत ही खूबसूरती के साथ इन्होंने इस गीत को निभाया। साथ ही मेलोडी एंड रिदम के सभी प्रवीण कलाकारों के लिए भी जोरदार तालियां बनती हैं जिन्होंने हूबहू संगीत का संसार यहाँ रच दिया है। धन्यबाद

-दोस्तो, पुनः आपको किशोर दा की तरफ ले चलते हैं। उनके बारे में एक आम राय है कि वो बहुत ही चुलबुले और मज़ाकिया किस्म के व्यक्ति थे। लेकिन मैंने कहीं उनके बारे में पढ़ा है कि इसके बिलकुल उलट एक कोमल हृदय और सवेंदनशील व्यक्ति थे।

जब कोई बात उनके कोमल मन को चोट पहुँचाती थी तो वो उस बात पर मज़ाक का मुलम्मा चढ़ा देते थे । कई कई बार साफ़ साफ़ ना कह कर अजीबो गरीब हरकतें करके उस व्यक्ति को डरा देते थे जिससे वो नाराज़ होते थे। लेकिन उनके अंदर का कोमल आदमी आहत हो जाता था।

सन 1985 में तो उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री के लोगों को अवसर वादी कहकर मुम्बई छोड़ खंडवा जाने का निश्चय कर लिया था। उनके आहत मन का दर्द जानने के लिए आइये आपको सुनवाते हैं एक बहुत ही सवेंदन शील मधुर गीत..

गीत का नाम है-वो शाम कुछ अजीब थी
चित्रपट का नाम है-ख़ामोशी
गीत के बोल हैं-गुलज़ार साहिब के
संगीतकार हैं-श्री हेमंत कुमार साहिब

इसे प्रस्तुत करने आ रहे हैं श्री के के सींग जी..

सचमुच ही क्या कैफ़ियत थी उनकी आवाज़ में । जोरदार तालियां दोस्तो इस मोहक प्रस्तुति के लिए।

-दोस्तो, सुना है कि मुहब्बत में ऐसा मुकाम भी आता है कि हम ना तो हाले दिल किसी को बयां कर सकते हैं न ही हम छिपा सकते हैं। ऐसे हालात का मुकम्मल तब्सिरा करतीं ये पंक्तियाँ कि.. 

 

पूछे कोई के दिल को कहाँ छोड़ आये हैं
किस किस से अपना रिश्ता-ए-जां तोड़ आये हैं
मुश्किल हो अर्जे हाल तो हम क्या ज़बाब दें
तुमको ना हो ख़्याल तो हम क्या ज़बाब दें 

जी हाँ दोस्तो ये पंक्तियां उस गीत की हैं जो कि हमारी अगली प्रस्तुति में आपके सामने आने वाला है।
इस गीत को लिखा है -ज़नाब साहिर लुधयानवी साहिब
संगीत से सजाया है-श्री रोशन साब ने
फिल्म का नाम है-बहु बेगम
इसे गाया है-लता मंगेशकर जी ने
और गीत तो आप समझ गए होंगे, जी हां-दुनिया करे सवाल तो हम क्या जबाब दें।

12 Comments

Leave a Reply