मंच संचालन स्क्रिप्ट- संगीत संध्या । Anchoring script-musical night

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दिल सुलगने लगा अश्क बहने लगे
जाने क्या क्या हमें लोग कहने लगे 

निश्चित रूप से आप सब अगले गीत के बारे जान चुके होंगे । जी हां,

अगला गीत है-वो जब याद आये बहुत याद आये
जिसे अपनी आवाज़ से नवाजा है- रफ़ी साहिब और लता दीदी ने,
चित्रपट का नाम है -पारसमणि,
गीतकार हैं -ज़नाब असद भोपाली साहिब
और संगीतकार-लक्ष्मीकांत जी प्यारेलाल जी।

तो आइये इस युगल गीत की प्रस्तुति के लिए मैं आमंत्रित करता हूँ मेलोडी एंड रिदम के गायक श्री रूपेश रावत जी को और गायिका सुश्री सुनीता लखेरा जी को।

अद्भुत! अद्भुत! कितने अद्भुत लोग थे वो जिन्होंने ऐसी सुमधुर संगीत रचना की। रूपेश जी और सुनीता जी ने मनमोहक तरीके से इस गीत को निभाया। एक बार जोरदार तालियां इस प्रस्तुति के लिए।

-दोस्तो, कहते हैं प्यार को कभी मापा नहीं जा सकता। मुहब्बत की कोई इंतहा नहीं होती। प्यार करने वाले तो सागर की गहराइयों और आसमान की ऊंचाइयों को भी गौण करते आये हैं। दोस्तो, यह तो ज़ज़्बात की बातें हैं, ये दिल की बातें हैं, ये मुहब्बत की बातें हैं और वही समझ सकता है जिसने कभी किसी को प्यार किया हो..

अगला गीत आपको ज़ज़्बातों की उस चरम सीमा का अहसास करा देगा जिसे दीवाने मुहब्बत कहा करते हैं। तो आइये ले चलते हैं आप सभी को इस ख़ास प्रस्तुति की ओर..

गीत का नाम है-हमें तुमसे प्यार कितना ये हम नहीं जानते..
जिसे अपनी आवाज़ की कशिश दी है-श्री किशोर दा ने
संगीत से सजाया है-पंचम दा ने
जिसमें अपनी लेखनी से ज़ज़्बात उड़ेले हैं-श्री आनंद बक्शी साहिब ने और फिल्म का नाम है-कुदरत

इसे अपनी आवाज़ से सजायेंगे हमारे शहर के दूसरे किशोर साब श्री के के सिंग जी । तो आइये लुत्फ़ लें इस जादुई प्रस्तुति का।

आपकी तालियों की गड़गड़ाहट बता रही है आप गीत से सीधे जुड़े हुए थे । धन्यबाद केके सिंग जी ।

-किशोर दा का एक और गीत प्रस्तुत करने के लिए के के सिंग जी की प्रस्तुति का पुनः आग्रह आया है। मैं आप सबको निराश नहीं करूँगा, और कर भी कैसे सकता हूँ। किशोर कुमार साहिब आवाज़ की दुनिया के वो सुरीले शहंशाह थे जिन्होंने सारे ज़हान को अपनी हरफन मौला और अलमस्त अंदाज़ की गायिकी से सम्मोहित कर रखा था वल्कि मैं तो दावे के साथ कह सकता हूँ नई पीड़ी भी उनकी उतनी ही दीवानी है।

दोस्तो, जब जब भी किशोर दा की गायकी की बात आती है मुझे एक शेर अक्सर याद आ जाता है कि..

सरगम कहती है कि थम जाओ
अब वो परवाज नहीं होगी
बहुत आवाज़ें होंगी दुनिया में
मगर वो आवाज़ नहीं होगी

एक बार जोरदार तालियां हरदिल अज़ीज़ किशोर दा के लिए।

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