रोमांटिक शायरी ‘इश्क की आहट । Romantic shayri ‘ishq ki aahat’
ये आँखें ख्वाबगाह बन गईं
तुम्हारे तसब्बुर में सोते सोते
सारा असबाब तरबतर हो गया है
तेरे ख्याल में रोते रोते
हम पर तुम्हारी मुहब्बत का
नशा इस तरहा तारी है
कि हम कमजोर दिल के होते
तो दुनिया से चल दिए होते
फर्क है बात मे सच भी है झूठ है
सुर्ख सूरज हुआ शबनमी धूप है
खाक होने लगा मैं तेरे प्यार मे
मैं बदल सा गया क्या कही खूब है
बढ़ा के प्यास समंदर की बात करते हो
गुलों की प्यार की चंदन की बात करते हो
किया फरेब बनावट के फूल दे के मुझे
कहाँ से आयेगी सन्दल की बात करते हो
किया फरेब मुहब्बत में कुछ मलाल नही
रवायतों का तकाजा है कुछ कमाल नही
हमारी इल्तजा है कुछ इसे दुआ देदो
किया है तुमने मेरा दिल लहूलुहान यहीं
दिल की बेचैनी चैन पाने को कसमसाती है,
एक बार गले तो लगो इश्क़ की आहट आती है
काश तुम ज़रा सा भी ठहर जाते तो देख लेते
तड़प की ताब तो चेहरे पर नज़र आती है
बहुत ख़ास है तेज रफ़्तार में सुस्त होना
ख़ूबसूरत एहसास है बेतरतीबी दुरुस्त होना
ज़िन्दगी अब क़रीने से लगती ही नहीं है
बहुत मुश्किल है दोस्त फिर से तंदुरुस्त होना
होंठ तो सी लोगी लफ्ज़ भी दफ़न हो जायेंगे
नज़र का क्या करोगी वो भी तो बोल देती है
मुहब्बत में तपिश होती है आंच आ ही जाती है
चेहरे का क्या करोगे उदासी राज़ खोल देती है
हमारा दिल जलाने को बहुत तैयार रहते हो
कभी तल्खी कभी नरमी इसे तुम प्यार कहते हो
हमें तो अब भी हैरानी है क्यों ना जान पाया हूँ
किसे तुम प्यार कहते हो किसे तुम प्यार करते हो
इशारों में सही कह दो की तुम कैसे बहलते हो
ज़माने को सम्भाला है मगर तुम ना सम्भलते हो
तुम्हें कह दूँ बता दूँ मैं मुहब्बत का सबक लेकिन
है हैरानी मुझे तुम अब भी बच्चों से मचलते हो
इस तरहा बातों बातों में बहुत दूर ना जायें
तुम्हारे खुलने से पहले हम कहीँ ऊब ना जायें
दिल की दीवार में तो सुराख कर ही दिये तुमने
डरता हूँ कहीँ समंदर में हम डूब ना जायें
अब अपनों से मिलने नंगे पैर नही दौड़ा जाता
कोई घूंघट अब किसी मुंडेर पर नही शरमाता
अब कहाँ कोई किसी को चिट्ठियां लिखता है
अब कोई नहीँ कहता तुम्हारे बिन रहा नहीँ जाता