December 9, 2016
मन की बात पर कविता । Poem on Man ki baat ।
‘मन की बात’ सत्य हो जाये, ऐसा इक परिवेश बने
नेता जब नंबर वन अपना, देश भी नंबर एक बने
यही है मौका आंगे आओ, मिल जुल ऐसा काम करो
विश्व गुरु कहलाने वाला, फिर से भारत देश बने
चाहे जितना भी तप कर लो, शिव संभू क्या कर लेंगे
किया धरा सब अपनों का है, इल्ज़ामों को सर लेंगे
चमन रौंदने वाले ये, दुर्गंध फ़िज़ा में भर देंगे
इन्हें नहीं रोका तो पूरी, नदी विषैली कर देंगे
कालिंदी के विषधर हैं ये, संतो का गणवेश धरे
विश्व गुरु कहलाने वाला, फिर से भारत देश बने
दोहरी बातें करने वाले, जयचंदों की मत सुनना
मेरी बात ध्यान से सुनना, कैसा देश तुम्हें चुनना
शोषित होकर कोस कोस कर, जीना हो तो जी लो तुम
बेईमानों ने अमृत छाना, ज़हर बचा है पी लो तुम
या फिर रोना छोड़ो ज़महत झेलो, तो शुभ शेष मिले
विश्व गुरु कहलाने वाला, फिर से भारत देश बने
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