नववर्ष पर कविता – नव वर्ष की शुभकामनाओं पर कविता। New year wishes poem
नववर्ष पर कविता – दोस्तों नव वर्ष की आप सभी को ढेरों शुभकामनाएं। इस पोस्ट में आपके लिये प्रस्तुत है नववर्ष की शुभकामनाओं पर कवितायें। शुभकामनाओं के रूप में नववर्ष पर कविता देना लेना सभी को बहुत पसंद आता है। आशा है आपको यह पोस्ट पसंद आएगा।
नववर्ष पर कविता
मधुमास की मीठी मीठी, सुरभित पवन झुलाये
शरद पूर्णिमा का चंदा, तुमको रसपान कराये।
टहनी टहनी पुष्प सुवासित, ऋतू बसंती आये
गुंजन भ्रमर करें नित नूतन, कोयल गीत सुनाये।
प्रभा प्रफुल्लित हो कर नाचे, दूर अँधेरा भागे
वैभव चले तुम्हारे पीछे, लक्ष्मी आंगे आंगे।
मिले नम्रता शजरों जैसी, फल आयें झुक जायें
ऊष्ण काल में शीतलता से, तप्त ह्रदय सुख पायें।
हो अनंत गहराई जैसे, सप्त सिंधु का पानी
पिघल जाये मन दुःख दारुन, से ऐसी हो ज़िन्दगानी।
यह मौलिक नव बर्ष तुम्हारे, जीवन को महकाये
सच हो जायें तुम्हारे सपने, खुशहाली यूँ आये।
ये भी पढें- नवबर्ष स्वागत समारोह का आमंत्रण पत्र
नववर्ष पर कविता
आया वक्त नया दिन बदला, आई रात नवेली
साल नया लाने वाला हो, किस्मत यूँ अलबेली।
तन से लिपटे धूप मुलायम, पूस माघ की छैंया
लाड़ करे सूरज ले जाये, नेह से भरीं बलैयां।
फूली सरसों चटक चटक कर, खलिहानों में बिखरे
फुलवारी खुश्बू फैलाये, घर आँगन में महके।
आशा हो हर पूरी मन की, गम काफ़ूर सभी हों
दिल से यही कामना है, जीवन में महज़ ख़ुशी हो।
New year poem
madhumaas kee mithi meethi
surbhit pawan jhulaaye
sharad poornima ka chanda
tumko raspaan karaaye.
tahnee tahnee pushp suvaasit
rut baasantee aaye
gunjan bhramar karen nit nutan
koyal geet sunaaye.
prabha prfullit ho kar naache
Door andhera bhaage
vaibhav chale aapke peechhe
lakshmee aange aange.
mile namrata shajaron jaisi
phal aayen jhuk jaaye
ushn kaal me sheetalta se
tapt hraday sukh paayen.
ho anant gahrayee jaise
sapt sindhu ka paani
pighal jaaye man dukh darun se
aisi ho jindgaanee
yah maulik nav barsh aapke
Jeevan ko mahkaaye
sach ho jaanye aapke sapne
khushhaalee yoon aaye.
New year poem
aaya samay naya din badla,
aayee raat navelee
saal naya laane vala ho,
kismat yun albeli.
tan se lipte dhoop mulyaam,
poos maagh ki chhainya
laad kare sooraj le jaaye,
neh se bhareen balaiyaan
phoolee sarson chatak chatak kar,
khalihaanon me bikhre
Fulvaari khushboo failaaye,
ghar aangan me mahke.
aasha ho har Puri man kee,
gam kafoor sabhee hon
dil se yahi kaamna hai,
jeevan me mahaj khushi ho.
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About Author
Amit Jain 'Maulik'
मैं एक कवि, लेखक एवम एंकर हूँ । 'उड़ती बात' के माध्यम से मैंने स्वरचित रचनायें आपके समक्ष प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। आपसे विनम्र अनुरोध है कि अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रिया एवम सुझाव अवश्य दें जिससे हम जैसे नव रचनाकारों का मनोबल बढ़े एवम उड़ती बात के स्तर में गुणात्मक अभिबृद्धि हो..
I really like your posts
Beautiful nice and satisfied posts
बहुत बहुत धन्यवादम आभार
मैं भी अमित ,आप भी अमित।
फिर जीवन क्यो हो सीमित ।
नव वर्ष की तेरी बात निराला।
दिल से सींचा है दिल वाला।
जय हिन्द
वाह वाह अमित जी। अमित को अमित जैसा ही होना चाहिए। आप हैं भी। अतुल्य शुभेक्षायें