टीचर्स डे स्पीच – शिक्षक दिवस पर भाषण, टीचर्स डे पर भाषण

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केवल ज्ञान और विज्ञान की शक्ति से ही ख़ुशहाल राष्ट्र और उसके नागरिकों का सुखी जीवन सम्भव है।

ऐसे दूर दृष्टा थे डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्ण जी। वो जानते थे कि शिक्षा के माध्यम से ही नये भारत का निर्माण हो सकता है। हमारे देश के सर्वोत्तम अलंकरण भारत रत्न से समान्नित सर्वपल्ली जी स्वयं एक विद्वान शिक्षक रहे और 40 बर्षों तक शिक्षण कार्य करते रहे। वो अनिवार्य शिक्षा को जीवन भर महत्त्व देते रहे। भारत में शिक्षा के लिये आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराने की दिशा में उनका योगदान अमिट और अद्वितीय है।

मेरा आप सबसे अनुरोध है कि ऐसी महान विभूति के नाम पर आप सब एक बार ज़ोरदार तालियाँ बजा दीजिये। धन्यवाद।

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साथियों, हमने बचपन में ही पढ़ा है कि ..

गुरु गोविंद दोनों खड़े, काके लागूं पाँय
बलिहारी गुरु आप हैं, गोविंद दियो बताय।

इसका जो अर्थ मैं समझा हूँ वो यह है कि यदि ईश्वर और आपके गुरु आपके समक्ष उपस्थित हों, और आपको निर्णय लेना हो कि किसका चरण वंदन सर्वप्रथम करूँ तो आप पहले गुरु के चरणों की वंदना करें उसके बाद ईश्वर की। क्योंकि ईश्वर ने भी जब-जब अवतार लिया है उन को गुरु की आवश्यकता पड़ी है। गुरु बिन ज्ञान असंभव है। और ज्ञान के बिना इंसान का महत्व और उसकी भूमिका शून्य हो जाती है।

वो शिक्षक ही होते हैं जिन्हें, ज्ञान तो अर्जित करना ही पड़ता है, साथ ही साथ उत्कृष्ट चरित्र का उदाहरण भी बनना पड़ता है। क्योंकि हम स्टूडेंट्स जितना उन्हें सुन कर पढ़ते हैं, उतना ही उन्हें देख कर अपने आप को गढ़ते हैं। वो शिक्षक ही होते हैं जो देश को प्रतिभा सम्पन्न इंजीनियर, डॉक्टर, वैज्ञानिक, अधिकारी या राजनीतिज्ञ तैयार करके देते हैं। देते आये हैं।

आज अवसर मिला है कि हम अपने सभी परम् श्रद्धेय टीचर्स के त्याग, समर्पण और उनके अनुपम योगदान का अभिनंदन करके उनका आशीर्वाद लें जिससे कि जीवन पथ पर हमें कभी भी पराजय का सामना ना करना पड़े।

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