कालाधन पर मोदी जी का 09/11 कविता । Black money banned in india poem

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इक झटके में ठन ठन बाबा, हमको आज बना डाला
बहुत हो उत्पाती मोदी जी, हाय राम क्या कर डाला।
रह रह कांप रहा है सीना, प्राण हलक में आता है
छप्पन इंची छाती लेकर, ऐसे कोई डराता है।
ये कैसी है साफ़ सफाई, कैसा स्वच्छता का अभियान
गुड़ को गोबर बना दिया है, सत्यानाश किया सब काम।

 

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आप क्या जानो काला गोरा, धन तो धन ही कहलाता
दंद फंद करने पड़ते हैं, तब ये हरा बजन आता।
इक नंबर में झटपट चांदी, नहीं अमीरी आती है
ऐश का जीवन दो नंबर की, बड़ी कमाई लाती है।
सिक्के कौन जमा करता है, उनसे भला कहाँ होता
चिल्लर कर डाला है पल में, फूट फूट कर दिल रोता।
आसमान से गिर जाओ तो, तुम खजूर में लटकोगे
उड़ो हवा में अगर गिरे तो, कहीं तो जा कर अटकोगे।

 

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ऐसा सुना पढ़ा था हमने, पर मोदी जी ये झटका
मिर्गी के दौरा है लगता है, सीधा धरती पर पटका।
बुद्धि काम नहीं करती है, किससे दुखड़ा रोयें हम
रद्दी हो गये नोट हज़ारी, कैसे इनको ढोंयें हम।
भनक इशारा कुछ कर देते, तो हम लेकर भग जाते
हरे-हरे थे, ढेर पड़े थे, नोट ठिकाने लग जाते।
साफ़ साफ़ ना कहते लेकिन, क़ुछ तो बात बता देते
कालाधन घोषित कर देते, क़ुछ तो हाथ बचा लेते।
रोये हैं दो नंबर वाले, क्या लाला क्या नेता जी
साइकिल वाला आम आदमी, खूब ठहाके लेता जी।
मंगल यान उड़ाकर ‘मौलिक’ बड़ा अमंगल कर डाला
बहुत हो उत्पाती मोदी जी, हाय राम क्या कर डाला।

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