December 16, 2018
कश्मीर में पत्थरबाजों के एनकाउंटर पर कविता – सेना द्वारा पत्थरबाजों के एनकाउंटर पर कविता
अब दलाल नेता बन बैठे,
ताक़त पाकर वोटों में
गिरवी रखा ज़मीर तुम्हारा,
पाकिस्तानी नोटों में।
लाखों रोज कमाते हैं ये,
आतंकी आकाओं से
चंद नोट में पत्थर फिकवाते,
हैं रोज युवाओं से।
जन्मे जिये पले भारत में,
मन से पाकिस्तानी हैं
ये दलाल ही पाकिस्तानी,
सबसे बड़े हरामी हैं।
गज़ब तमाशा हमने देखा,
बर्षों केशर घाटी में
दूध पिया जिस माँ का,
घोंपा खंज़र उसकी छाती में।
घाटी के गद्दारों सुन लो,
पाकिस्तानी मीत सुनो
या तो मौत चुनो मर जाओ,
या जन गण मन गीत चुनो।
सुधर जाओ ‘मौलिक’ की मानो,
ज़हर ना घोलो मौजों में
साँप पालना छोड़ दिया है,
हिंदुस्तानी फ़ौजों ने।
- कवि अमित ‘मौलिक’
इस आर्टिकल कश्मीर में पत्थरबाजों के एनकाउंटर पर कविता पर आपकी प्रतिक्रिया के इंतज़ार में।
6 Comments
वाहहह…. वाहहह….. जबरदस्त… बहुत खूब…रक्त में उबाल आ गया अमित जी….बेहद.ओजपूर्ण सार्थक संदेशात्मक रचना…बधाई इस अनमोल सृजन के लिए।
आदरणीया श्वेता जी। आप स्वयं सिद्धहस्त कवियत्री हैं। आपकी सराहना मेरे लिए बहुत महत्त्व रखती है। आपका ह्रदय से अनुपम धन्यवाद। अतुल्य आभार। पुनः पधारें
बहुत अच्छे शब्दों को ढाला है आपने इस कविता में बहुत अच्छी कविता लगी हमें आपकी
बहुत बहुत धन्यवाद अनिल जी। आप की सराहना ऊर्जा से भर देती है।
बहुत सुंदर और शानदार रचना सर जी👌
बहुत बढ़िया भैया 👌👌👌