कश्मीर में पत्थरबाजों के एनकाउंटर पर कविता – सेना द्वारा पत्थरबाजों के एनकाउंटर पर कविता

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अब दलाल नेता बन बैठे,
ताक़त पाकर वोटों में
गिरवी रखा ज़मीर तुम्हारा,
पाकिस्तानी नोटों में।

लाखों रोज कमाते हैं ये,
आतंकी आकाओं से
चंद नोट में पत्थर फिकवाते,
हैं रोज युवाओं से।

जन्मे जिये पले भारत में,
मन से पाकिस्तानी हैं
ये दलाल ही पाकिस्तानी,
सबसे बड़े हरामी हैं।

गज़ब तमाशा हमने देखा,
बर्षों केशर घाटी में
दूध पिया जिस माँ का,
घोंपा खंज़र उसकी छाती में।

घाटी के गद्दारों सुन लो,
पाकिस्तानी मीत सुनो
या तो मौत चुनो मर जाओ,
या जन गण मन गीत चुनो।

सुधर जाओ ‘मौलिक’ की मानो,
ज़हर ना घोलो मौजों में
साँप पालना छोड़ दिया है,
हिंदुस्तानी फ़ौजों ने।

  • कवि अमित ‘मौलिक’

इस आर्टिकल कश्मीर में पत्थरबाजों के एनकाउंटर पर कविता पर आपकी प्रतिक्रिया के इंतज़ार में।

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