September 11, 2016
रोमांटिक कविता – हुनर/ Romantic poem-hunar
हुनर
वाह दोस्त
तेरे हुनर के
क्या कहने
जब चाहो
जिसकी चाहो
जितनी चाहो
उतनी
पतंग उड़ाओ
ये लाओ
वो लाओ
ये गाओ
वो सुनाओ
हवा चलाओ
आस्मां बनाओ
और
मन भाये तो
ठीक
मन चाहे तो
हाथ छोड़ दो
डोर तोड़ दो
पँतग मरोड़ दो..
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