एंकर कैसे बनें – एक अच्छा एंकर बनने के लिये क्या करें । एंकरिंग की शुरुआत कैसे करें। एंकर बनने के 9 नियम । 9 Tips to become an Anchor

Buy Ebook

एक अच्छा वक्ता कैसे बनें, भाषण देना कैसे सीखें, वक्ता कैसे बनें, स्पीकर कैसे बनें, माइक पर बोलना कैसे सीखें, speech dena kaise seekhen, How to become an emcee, how to become an emcee in india, how to start career in emcee, how to become a best emcee, how to become an anchor, how to become a stage anchor, how to become a compere, how I make my career in anchoring, how I make my career in emcee, how I make my career in compering, how I start my career in stage hosting, karykram udghoshak kaise bane, emcee kaise bane, compere kaise bane, anchor kaise bane, stage host kaise bane, sutradhar kaise bane, prastota kaise bane, एंकर कैसे बनें, प्रस्तोता कैसे बनें, उद्घोषक कैसे बनें, स्टेज होस्ट कैसे बनें, एमसी कैसे बनें, मैं एक अच्छा एंकर कैसे बनूँ, क्या मैं भी एक एंकर बन सकता हूँ, एंकर बनने के तरीके, एंकर बनने की ट्रिक्स, एंकर बनने की टिप्स, एंकर बनने की तकनीक, एंकर बनने के नियम, एकरिंग में कैरियर कैसे बनाऊं, एंकर बनने का विज्ञान, anchor banne ki techniques, सूत्रधार कैसे बनें, मंच संचालक कैसे बनें, क्या मैं भी मंच संचालक बन सकता हूँ, मंच संचालक बनने के नियम, मंच संचालक बनने के तरीके, मंच संचालक बनने की तकनीकें, मंच संचालक बनने के टिप्स, मंच संचालक बनना आसान है, प्रस्तोता बनने के नियम, प्रस्तोता बनने की टिप्स, प्रस्तोता बनने की तकनीक, उद्घोषक बनने के टिप्स, कार्यक्रम संचालक कैसे बनें, कार्यक्रम संचालक बनने के नियम, कार्यक्रम संचालक बनने के तरीके, कार्यक्रम संचालक बनने की टिप्स,

2. अपनी भाषा चुनें – आप कहेंगें भाषा क्यों ? क्योंकि भाषा का बहुत महत्व है एकरिंग में। हिंदुस्तान में यह क्षेत्रीय भाषाओं को छोड़ दिया जाये तो मुख्यतः 3 भाषाओं में की जाती है। हिंदी, उर्दू एवम अंग्रेजी। इन भाषाओं में एकरिंग करने का अभिप्राय शुध्द भाषा की मर्यादा नहीं है, बल्कि अधिकतम शब्दों का प्रयोग करना है।

अलग-अलग कार्यक्रम का अलग-अलग स्तर, उनके श्रोताओं की अलग-अलग क्लास होती है। जैसे कि अभिजात्य वर्ग में मूलतः अंग्रेजी का प्रयोग होता है। यह शुद्ध तो नहीं होती ज्यादातर हिंग्लिश होती है लेकिन मूलतः अंग्रेजी टोन होती है। इसी प्रकार से अन्य भाषाओं के साथ होता है।

आपकी मुख्य टोन क्या है यह आपको चुनना होगा। और उसी भाषा का दैनंदिनी प्रयोग, उसी भाषा की शब्दावली बढ़ानी होगी। फाइनली कहें तो सोचना भी उसी भाषा में है आदत भी उसी भाषा की डाल लेनी है। बाद में यही आपकी शैली यही आपका फ्लेवर बनेगा। आपने सुना और देखा होगा कि कई वक्ता या एंकर शुद्ध हिंदी का प्रयोग करते हैं और यह बहुत ही खूबसूरत और प्रभावशाली लगता है।

3. अपना शब्दकोश बढायें – आप जिस भी भाषा की टोन चुनते हैं उसी भाषा पर आपको मेहनत करनी है। अगर आप उर्दू का चुनाव करते हैं तो उर्दू का साहित्य, उर्दू शायरी, ग़ज़ल और उर्दू का शब्दकोश पढ़ना पड़ेगा।

यहाँ उर्दू से मेरा मतलब देवनागरी उर्दू या रोमन उर्दू (आज़माइश) से है, शुद्ध उर्दू या अरेबिक उर्दू ( امتحان ) से नहीं। कोशिश करें कि एक ठीक-ठाक शब्दकोष याद कर सकें। शुरुआती दिक्कत आयेगी लेकिन वही आपका ख़ास स्टाइल बन जायेगा। इसी तरह अगर हिंदी का टोन रखते हैं तो आज़माइश को प्रयत्न, प्रयास, उपक्रम कहेंगें और अपनी भाषागत टोन यही रखेंगें।

4. ख़ुद को मटेरियालाइज़्ड करें – आपको काफ़ी कुछ याद करना होगा। शेर, कवितायें, कहावतें, कोट्स, ऐतिहासिक घटनाएँ, चुटकुले, प्रेरक प्रसंग आदि याद करने का प्रयास करें। हो सके तो नियम बनायें की नित्य 3 शायरी या पंक्तियाँ कंठस्थ करेंगें तथा एक किसी वक्ता की स्पीच सुनेंगें। ऐसा 3 महीने तक करें। छोड़ना उसके बाद भी नहीं लेकिन इतने में आप बढिया मटेरियालाइज़्ड हो जायेंगे। बात-बात पर शायरी, बात-बात पर पंचेज लगायेंगे।

एक कोई साहित्यिक लेख पढ़ेंगे जिससे शब्दकोश rich हो सके। इसको आदत बना लें। यह सब आपका प्रशिक्षण है। यह सब आपके अवचेतन मस्तिष्क में चला जायेगा तो जब आप माइक पर होंगें, situation के अनुसार स्वमेव ही अच्छा-अच्छा निकलता आयेगा। और यही आपकी शैली होगी। यही आपका style होगा।

9 Comments

Leave a Reply