हिंदी दिवस एंकरिंग स्क्रिप्ट – हिंदी दिवस मंच संचालन स्क्रिप्ट, हिंदी दिवस प्रस्तोता स्क्रिप्ट

हिंदी दिवस एंकरिंग स्क्रिप्ट – उड़ती बात के सभी प्रशंसकों को Amit Maulik का स्नेहिल अभिवादन। साथियों, 14 सितम्बर को हिंदी दिवस है। जिसे हम हिंदी भाषा को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापक बनाने के लिए आयोजित करते हैं। हमारे देश की बिडंबना देखिए की हमें हमारी मातृभाषा के प्रसार, प्रचार, योगदान, महत्ता और सार्वभौमिकता को प्रतिपादित करने के लिए प्रति बर्ष आधा पखवाड़ा व्यय करना पड़ता है। दशकों से करते आ रहे हैं। उसके पश्चात भी हिंदी की सर्वस्वीकार्यता वैसी नहीं हो पा रही जैसी कि अनिवार्य है। यह आर्टीकल हिंदी दिवस एंकरिंग स्क्रिप्ट मैंने अपने उन पाठकों के अनुरोध पर लिखा है जो कि हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में कुछ न कुछ सार्थक गतिविधि कर रहे हैं।
हिंदी दिवस पर मंच संचालन का मूल प्रयोजन हिंदी के योगदान को तथ्यात्मक रूप में प्रस्तुत करना होना चाहिए जिससे कार्यक्रम में रोचकता के साथ आयोजन का मूल उद्देश्य पूर्ण हो। मैंने अपनी लघु मेधा का भरसक उपयोग करते हुये इस आर्टिकल हिंदी दिवस एंकरिंग स्क्रिप्ट कुछ तथ्य परोसने का प्रयास किया है। आशा करता हूँ कि आप सब सुधीजनों को और प्रवीण मंच संचालकों को यह लेख कुछ सहायता प्रदान करेगा। मैंने इस लेख में पूर्णतः प्रयास किया है कि केवल और केवल इसमें हिंदी भाषा के शब्दों का ही प्रयोग हो। किन्तु कहीं कोई अतिक्रमण हुआ हो तो मेरे संज्ञान में अवश्य लायें। तो आइये पढ़ते हैं हिंदी दिवस एंकरिंग स्क्रिप्ट ।
हिंदी दिवस एंकरिंग स्क्रिप्ट
एंकर फीमेल – मंच पर विराजित परम् श्रद्धेय प्राचार्य महोदय, सभी श्रद्धेय गुरुजन, और मेरे अभिन्न सहपाठियों। सर्व प्रथम मैं ………….. आज 14 सितम्बर के इस पुनीत हिंदी दिवस के समारोह में आप सबकी गरिमामयी उपस्थिति को प्रणाम करती हूँ।
वैसे तो भारतीय इतिहास में अगणित साहित्यकारों, संतो, समाजसेवियों एवं राजनेताओं ने हमारी उत्कृष्ट हिंदी भाषा को अपने सार्थक विचार, लेखन और शिक्षाओं से परिपूर्ण किया है। और करते भी आ रहे हैं किंतु एक रचनाकार से मैं बहुत प्रभावित हूँ जिन्होंने जन – जन की भाषा में परंपरा से परे अद्भुत कार्य किया। आप सब निश्चित रूप से उन्हें जानते होंगें। और वो हैं ऐतिहासिक मनीषी अमीर ख़ुसरो साहेब।
परंपरा के विरुद्ध हिंदी भाषा का पूर्णतः प्रयोग करते हुये, अपनी सरल पहेलियां, कवितायें, दोहे और रुबाइयों से उन्होंने जन मानस के सरल ह्रदय को जितना छुआ वह अभिनंदनीय है। मैं उनकी दो पंक्तियों के माध्यम से इस कार्यक्रम का शुभारंभ करना चाहती हूँ कि ..
उज्जवल बरन अधीन तन, एक चित्त दो ध्यान।
देखत मैं तो साधु है, पर निपट पार की खान।।
व्याख्या करने की आवश्यकता तो नहीं किन्तु दृष्टिपात किया जाए तो हमारे देश के अभिजात्य वर्ग की यही स्थिति हो गई है। हम सब हिंदी भाषा के विस्तार और प्रसार के लिए प्रतिबर्ष हिंदी दिवस का आयोजन करते हैं। सौगंध लेते हैं। प्रण करते हैं किन्तु दिन बीतते ही वही ढाक के तीन पात वाली स्थिति में आ जाते हैं। मानों कथनी और करनी में अंतर रखना हमारी स्वाभाविक प्रवृत्ति बन गई हो।
दीप प्रज्ज्वलन – इन्हीं संवेदनशील विसंगतियों पर कुठाराघात करने, हिंदी भाषा के मान-सम्मान को प्रचुरता प्रदान करने हेतु हम सभी आज यहाँ एकत्रित होकर हिंदी दिवस को एक उत्सव के रूप में मनाने जा रहे हैं। कार्यक्रम को गति देते हुये मैं आज के मुख्य अतिथि प्राचार्य महोदय माननीय श्री ………… जी और सभी गुरुजनों से माँ सरस्वती जी के चित्र के समक्ष इन पंक्तियों के साथ दीप प्रज्जवन का अनुरोध करती हूँ कि …
कलुषित ह्रदय यह हो गया, भाषा की शुचिता गौण है
आक्रांत होती जा रही, अब हिंदी मेरी मौन है
माँ शारदे हे उज्ज्वला, यह तम भगा दो ह्रदय से
कोई अन्य अमृत भर सके, इस सृष्टि में अब कौन है।
( दीप प्रज्जवन का समापन) साथियों, समवेत स्वर में करतल ध्वनि हो जाये इस पवित्र क्रम के लिए। धन्यवाद
स्वागत गीत – क्रम हमारे विद्यालय के महा मनीषी गुरुजनों के सम्मान में एक सुमधुर स्वागत गीत का है। मैं कक्षा …… की 1……. , 2…….., 3…….. को मंच पर एक सुरीले स्वागत गीत के लिए आमंत्रित करती हूँ। कृपया शीघ्र आयें।
(स्वागत गीत का समापन) तीव्र करतल ध्वनि इस स्वागत गीत के लिए। धन्यवाद
मित्रों, हम सभी जानते हैं कि एक शिशु जब जन्म लेता है तो प्रथम शब्द जो वो माँ से सुनता है वो, मेरा प्यारा बच्चा, मेरी प्यारी बेटी, मेरी गुड़िया रानी होते हैं। और हिंदी में होते हैं। जब हम स्वाभाविक रूप में सोचते हैं, प्रतिक्रिया करते हैं तो तो मातृभाषा में ही करते हैं। चाहे हम कितना भी आधुनिक हो जाएं, परिवर्तित हो जाएं किन्तु नस- नस में रची बसी यह सच्चाई, यह भाषायी सुगंध कभी नहीं जा सकती। आइये हम शनैः शनैः बढ़ते हैं अपनी उसी भाषायी सुगंध की ओर।
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अतिथि स्वागत – कार्यक्रम को गति देते हुये हम मंचासीन मनीषियों के स्वागत क्रम की ओर चलते हैं। मैं हिंदी भाषा को समर्पित हमारे पूज्य प्राचार्य महोदय जी के चमत्कृत कर देने वाले व्यक्तित्व को चार पंक्तियाँ अर्पित करते हुये उनके स्वागत हेतु हमारे विद्यालय के कक्षा …… के छात्र प्रतिनिधि …….. जी और उनके साथी ………. एवं …….. को आमंत्रित करती हूँ कि वो आयें और प्राचार्य महोदय जी का पुष्प गुच्छ और रोली चंदन से वंदन करें कि …
पथ तो सब बतलाते किन्तु, कुछ उँगली थाम चलाते हैं
प्रण पन से जो निज वसुधा पर, संस्तुति के पुष्प खिलाते हैं
ऐसे सज्जन हैं वंदनीय, निज भाषा का सम्मान करें
हिंदी लिखकर – हिंदी कहकर, हिंदी मय हिंदुस्तान करें।
सम्मान के इस क्रम में हमारे अन्य श्रेष्ठ गुरुजन श्री ……….. जी का स्वागत करने के लिए कक्षा ….. के …… जी, गुरुजन श्री ……….. जी का स्वागत करने के लिए कक्षा ….. के …… जी, गुरुजन श्री ……….. जी का स्वागत करने के लिए कक्षा ….. के …… जी, गुरुजन श्री ……….. जी का स्वागत करने के लिए कक्षा ….. के …… जी एवं गुरुजन श्री ……….. जी का स्वागत करने के लिए कक्षा ….. के …… जी शीघ्रता से मंच पर आ जायें। मैं चार पंक्तियाँ हमारे विद्वत गुरुजनों के सम्मान में पढ़ते हुये इस गरिमामयी क्रम को परिपूर्ण करना चाहती हूँ कि …
हम सीखे हैं हम सीखेंगें, कैसे बन पायेंगे शिक्षक
कोई भी क्षेत्र मिले हमको, भाषा के होंगें अनुरक्षक
है शपथ हमें निज भारत की, सवांद करेंगें हिंदी में
हम गुरुजनों की सीख ह्रदय, अक्षुण्ण रखेंगें जीवन में।
( स्वागत क्रम संपन्न ) तीव्र करतल ध्वनि इस गर्वित करने वाले क्रम के लिए। धन्यवाद
मित्रों, हिंदी भाषा हिंदुस्तान को एक सूत्र में पिरोती आई है। यह सच्चे अर्थों में जनमानस की भाषा है। महात्मा गांधी जी ने तो इसे राष्ट्रभाषा का सम्मान दिलाने के बहुत प्रयास किये थे किन्तु संकीर्ण मानसिकता से ग्रसित हमारे राजनेताओं ने अपनी आंचलिक राजनैतिक महत्वकांक्षाओं के रहते इसे राष्ट्रभाषा घोषित नहीं होने दिया।
अनन्तः संविधान में यह नियत कर दिया कि हिन्दी भाषा को राष्ट्रभाषा के स्थान पर राजभाषा घोषित कर दिया गया। अब हम प्रत्येक बर्ष 14 सितम्बर को हिंदी को राजभाषा से राष्ट्रभाषा में परिवर्तित होते देखने की वांछा लिए गतिविधियां करते रहते हैं। हमारे क्षीण मनोबल के चलते विश्व में अंग्रेजी और चीनी भाषा के पश्चात चौथा स्थान रखने वाली हिंदी भाषा राष्ट्रीय भाषा न बनकर, राजकीय भाषा बनकर सिमट गई।
कार्यक्रम को गति देती हूँ और आप सबको सूचित करना चाहती हूँ कि हमारे विद्यालय के हिंदी के वरिष्ठ गुरु जी श्रीमन ……. जी पूर्ण समर्पण से हिंदी भाषा की साहित्य साधना में रत हैं। उनकी गणना एक कुशल शिक्षक में ही नहीं वरन एक सिद्धहस्त लेखक, उच्च स्तरीय कवि और प्रभावी चिंतक के रूप में होती है। निश्चित रूप से हम सभी विद्यार्थियों पर ही नहीं इस विद्यालय के प्रांगण की सीमाओं को लांघकर उनकी सुगंध सर्वत्र आच्छादित है।
मैं सभी साथियों से अनुरोध करती हूँ कि धमाकेदार करतल ध्वनि से उन्हें कुछ रचनायें सुनाने के लिये आमंत्रित करने में मेरी सहायता करें।
(प्रस्तुति समाप्त) अद्भुत। मोहक। अनिर्वचनीय। पुनः सपुष्ट करतल ध्वनि हमारे गुरुवर के लिए। धन्यवाद
गुरु जी का काव्य पाठ सुनकर जो सीख मिली है उन्हें चार पंक्तियों के रूप में वृस्तित किया जाये तो कहूँगी कि …
देवों के द्वारा विरचित है, ऋषियों ने वृस्तित किया जिसे
अपने मौलिक अनुशीलन से, कवियों ने अमृत किया जिसे
यशवंत शासकों ने दी थी, जिसको नूतन परिभाषा है
वह हिन्दोस्तां की अलबेली, जन-जन की हिंदी भाषा है।
आभार श्रीमन का। कार्यक्रम को गति देती हूँ और आपको बताते हुये प्रसन्नता हो रही है कि केवल हमारे शिक्षक गण ही नहीं हमारे विद्यालय के विद्यार्थी कम मौलिक नहीं हैं। अपनी चिंतनशील मेधा से हमारे विद्यालय के कई साथी हिंदी भाषा की सेवा कर रहे हैं। कुछ न कुछ रचनात्मक योगदान दे रहे हैं। वो हिंदी भाषा के लिए अच्छा सोचते ही नहीं वरन अच्छा बोलते भी हैं।
ऐसे ही मौलिक प्रतिभाओं के मध्य आज एक हिंदी भाषा के बारे में स्वस्थ वाद-विवाद स्पर्धा का आयोजन आप सबके समक्ष होने जा रहा है। इस स्पर्धा के निर्णायक मंडल में हमारे गुरुजन श्रीमन …… जी, श्रीमन …….. जी, श्रीमन ……. जी सम्मिलित हैं। मैं इस स्पर्धा के निर्णायक मंडल और प्रतिभागियों का स्वागत करती हूँ और आप सबसे इनके अभिनंदन में प्रबल तालियों बजाने का आग्रह करती हूँ। धन्यवाद
(वाद विवाद स्पर्धा का समापन) अद्भुत। अकथनीय। मुझे हमारे साथियों के मौलिक चिंतन और उनकी वाकपटुता पर गर्व है। पुनः तालियों की गर्जना का अनुरोध है।
साथियों, गत 2 बर्षों से हमारे देश को एक बहुत बड़ा अंतराष्ट्रीय सम्मान मिला है। आप सबको विदित है कि हमारे देश की विलक्षण कला योगा को 177 देशों ने अपनाकर हमें गर्व की अनुभूति कराई है। हमारे वर्तमान प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेंद्र मोदी जी के अनुपम प्रयासों के फलस्वरूप हमें यह गौरव प्राप्त हुआ है। किन्तु बिडम्बना है कि ऐसी ही दृढ़ता हम अपनी हिंदी को, सयुंक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषा कराने में 129 देशों का समर्थन नहीं जुटा पाये। कहीं न कहीं दृढ़ता और प्रतिबद्धता की कमीं के चलते यह सम्मान मिलना शेष है।
वक्त हो चला है हमारे आज के मुख्य अतिथि हमारे प्राचार्य महोदय के सारगर्भित उद्बोधन का। मैं इन पंक्तियों के साथ श्रीमन को आमंत्रित करना चाह रही हूँ कि ..
हम चमकें नभ पर चंदा से, माथे हिंदी के बिंदी ज्यों
ऐसा दर्शन दे – दें हमको, हिंदी से मिले बुलंदी यों
नस – नस में हिंदी दौड़ उठे, यह भारत हिंदी बोल उठे
इस विश्व पटल पर हिंदी मय, ध्वज हिन्दोस्तां का डोल उठे।
(भाषण की समाप्ति) अतीव करतल ध्वनि इस ओजमयी उद्बोधन के लिए। बहुत बहुत आभार गुरुवर आपका इस पथ प्रदर्शन के लिए।
हमने हिंदी भाषा के प्रति चिंता प्रकट कर ली। संकल्प भी लिये। हिंदी भाषा का स्तवन भी किया। किन्तु एक सराहना भी करने को रह गई। महामना रविन्द्र नाथ टैगोर जी, महामना विवेकानंद जी से लेकर निराला जी, मैथिलीशरण जी, शिवमंगल सिंह सुमन जी, सुभद्रा कुमारी चौहान जी, महादेवी जी, प्रेमचंद जी, और हरिवंशराय बच्चन जी तक अगणित साहित्यकारों ने हिंदी को धनाढ्य किया और हिंदी को सम्मान दिलाया। एक बार प्रचंड तालियाँ हमारे देश के इन विराट साहित्यकारों के लिए बजा दें। धन्यवाद
दूसरी मुख्य बात यह कि पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी जी ने 1975 में वैश्विक पटल पर हमारे प्रवासी भारतीयों और सयुंक्त राष्ट्र संघ में भाषाई आधिकारिकता के लिए विश्व हिंदी सम्मेलन की नींव रखी थी। यह आयोजन प्रत्येक 3 बर्ष में आयोजित किया जाता है।
प्रथम आयोजन राष्ट्रभाषा प्रचार समिति बर्धा के सहयोग से नागपुर में हुआ था और अभी अभी अंतिम सम्मेलन मॉरीशस में माननीय मंत्री सुषमा स्वराज की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ। देश बढ़ रहा है। नई चमक गढ़ रहा है। हमें विश्वाश है कि एक दिन सारे संसार में हिंदी भाषा शिखर पर होगी। और हिंदुस्तान भी वैश्विक नेतृत्व की भूमिका में होगा।
मैं अंतिम पंक्तियाँ आप सबको सौंपकर एक संदेश देकर आज के इस कार्यक्रम को समापन की ओर ले जाना चाहती हूँ कि…
हिंदी की केवल बातें हैं, हिंदी से हमने मुँह मोड़ा
गुड नाईट मॉर्निंग गुड डे है, शुभ संध्या शुभ प्रभात छोड़ा
सब खिचड़ी कर ली बोलचाल, ना इंग्लिश हिंदी ना उर्दू
थोड़ी तो शर्म करो मित्रों, हिंदी से प्यार करो थोड़ा।
एक बार प्रचंड करतल ध्वनि आप सबके नाम भी हो जाये क्योंकि इतने गंभीर कार्यक्रम में आपने इतनी उच्च ऊर्जा और उत्साह से भागीदारी की। धन्यवाद
अब हम समवेत स्वर मे भारत माता की जयकारा का जयघोष कर के विराम लेंगें। भारत माता की……… , भारत माता की ………। धन्यवाद आप सभी का।
आप सभी को यह आर्टीकल हिंदी दिवस एंकरिंग स्क्रिप्ट कैसा लगा। अवश्य बतायें
Superb script
धन्यवाद आपका पटेल साहेब।
बहुत खूब
धन्यवाद आपका लीला जी। बहुत आभार
🌹
अद्धभुत अकल्पनीय सटीक लेखन चित्रण के चित्रकार को मन मानस के आलोक से आलोकित हृदय के गहनतम तल से वंदन🙏..
आदरणीय आपकी शैली को कुछ भी नाम देकर उसे शब्दसीमा से अभिव्यक्त करना शब्दावली का अपमान ही होगा…
यह लेख अवर्णतित ऊर्जा के अनुपम अनुप्रयोग शिल्पकार द्वारा किया हुआ वह टंकण विधा है जिसके द्वारा निर्मल चोटों से शिला से भगवान का रूप निर्माण प्रशस्त होता है….
आप द्वारा इस शिल्प से निवर्तमान पीढ़ी में भाषा के सशक्तिकरण एवम अभिव्यक्ति की जो अलख …. आप के द्वारा प्रज्वालित करी गई है निःसंदेह उसकी किरणें हमारे भारत वर्ष में एक नया सवेरा जरूर लाएगी… ऐसा मुझे दृढ़ विश्वास है ….।
पुनः आपके अथक प्रयास को नमन
जय जिनेन्द्र🙏
आदरणीय आलोक जी, जय जिनेंद्र। मुझे अतीव प्रसन्नता हुई कि स्क्रिप्ट आपको रुचिकर लगी। इस स्क्रिप्ट को लिखवाने का पूर्ण श्रेय आपको जाता है। आनंदित हूँ आपकी मनभावन शाब्दिक सराहना से। गुड़िया रानी को उसके कार्यक्रम के लिए शुभेक्षायें। बहुत बहुत आभार धन्यवाद
बहुत ही शानदार अमित जी
बहुत बहुत धन्यवाद सैनी साहेब। बहुत आभार
मुझे बहुत पसंद आई, पढ़ाने मे कारगर साबित हुई, धन्यवाद साहब……. सुनिल कडू . हिंदी अध्यापक बाबासाहेब धाबेकर विद्यालय बार्शी टाकळी जिला. अकोला महाराष्ट्र
धन्यवाद आदरणीय अध्यापक जी। हिंदी के विद्वतजनों के द्वारा सराहे जाने का अलग ही आनंद है। आभार
आदरणीय स्नेहिल्
आप द्वारा प्राप्त उपहार स्वरूप यह मौलिक ज्ञान की व्याख्या को ,मैं मात्र एक व्यक्तव्य से करना चाहूंगा,
बिटिया रानी द्वारा मंच संचालन निष्पादित होने के पश्चात सभी ने (समस्तवर्ग द्वारा) ह्रदय से शुभकामनाये प्रेषित करी ,पर सबसे ज्यादा खुशी मेरी बिटिया को उन शिक्षिका से हुई जो कभी किसी को एकाएक उत्साहित नहीं करती ,उनके द्वारा भी जब बिटिया स्नेहाशीष प्राप्त हुआ तो उसकी खुशी का वह क्षण ह्रदय को सुकून देने वाला था, मैं असाधारण सहज सरल भावों से आपका आभार व्यक्त करता हूँ ,आपने अपने बहुँमुखी प्रतिभा से हम सभी को आनंद के सागर में भीगने का अवसर प्रदान किया।
पुनः आभार
आपके आगामी लेख के इंतजार में
आलोक जैन
आदरणीय आलोक जी, सादर जय जिनेंद्र।
मुझे अभूतपूर्व ख़ुशी हुई यह जानकर कि बिटिया रानी को अप्रतिम प्रतिसाद मिला। आर्टीकल लिखना तब सार्थक होता है जब लेख के द्वारा कोई सफलता की कहानी गढ़ता है।
पुनः आभार आपकी अतुल्य शुभेक्षाओं के लिये। आपसे अनुरोध है कि यदि अनुकूलता हो तो बेटी की मंच संचालन करते हुये कुछ तस्वीरें मुझसे अवश्य साँझा करें। मैं अपने किसी आर्टिकल में उन चित्रों का प्रयोग करूँगा। धन्यवाद आपका
Bahut bahut dhanywad sir, is hinglish ke mahoul me hamari bhasha ki khichdi pak rahi hai , aise me shabd suzte hi nahi hai..aapki is script ne doobti na
iya ko aadhar diya hai.punha apka hardik dhanywad.
अतिसुंदर रचना “मौलिक जी”
हिंदी शिक्षिका अनिता निलेश
बहुत खूब, आपकी लेखनी यूँ ही सुनहरे रंग बिखेरती रहे।