महाराणा प्रताप शायरी – महाराणा प्रताप जयंती पर शायरी, राणा प्रताप पर शायरी, राणा प्रताप जयंती शायरी
महाराणा प्रताप शायरी – उड़ती बात के सभी क़द्रदानों को अमित मौलिक का स्नेहिल अभिवादन। राजपूत योद्धा महाप्रतापी परम् वीर महाराणा प्रताप भारतीय इतिहास के एक ऐसे योद्धा रहे हैं जिनसे प्रेरणा लेकर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम मेे हज़ारों नौजवान वीर क्रूर फ़िरंगियों से लोहा लेते रहे हैं। आन बान और शान के जीवंत प्रतीक महाराणा प्रताप ने साहस और शौर्य की ऐसी मिसाल गढ़ी जिसका यशोगान भारतीय जनमानस आज तक कर रहा है और सदा ही करता रहेगा। आज के इस आर्टीकल महाराणा प्रताप शायरी के माध्यम से मैं इस परम योद्धा को पुष्पांजली अर्पित कर रहा हूँ। अगर आप शहीदों पर शायरी, राजपूतों पर शायरी या महाराणा प्रताप शायरी की तलाश में हैं तो यह आर्टीकल आप सब लोगों के काम आयेगा ऐसा विश्वास है।
महाराणा प्रताप शायरी
मद जिसका था प्रचंड, सारा दूर कर दिया
इक़बाल था बुलंद, उसे धूल कर दिया
राणा प्रताप एकमात्र, ऐसे वीर थे
अकबर का सब घमंड, जिनने चूर कर दिया।
मुगलों के यूँ ख़िलाफ़, कोई और ना हुआ
जिसका हो यूँ प्रताप, कोई और ना हुआ
बाइस हज़ार लड़ गये, अस्सी हजार से
राणा जी आप जैसा, कोई और ना हुआ।
ये हिन्द तुमको, परम् वीर याद करता है
कहाँ से आयेंगे, राणा प्रताप कहता है
यहाँ तो आज सियासत में, मोहरा बन के
वतन का नौजवान ही, फ़साद करता है।
राजा महान ऐसा, आज तक नहीं हुआ
योद्धा महान ऐसा, आज तक नहीं हुआ
बलवान बुद्धिमान वीर, ढेर हुये हैं
राणा महान जैसा, आज तक नहीं हुआ।
साहस से भरा इस तरह, बलवान ना मिला
दृढ़ता का कोई इस तरह, प्रतिमान ना मिला
इतिहास रंगा है कई, वीरों के नाम से
राणा प्रताप जैसा कोई, नाम ना मिला।
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ये हिंद झूम उठे गुल चमन में खिल जायें
कलेजे दुश्मनों के नाम सुन के हिल जायें
कोई औकात नहीं चीन पाक जैसों की
वतन को फिर से जो राणा प्रताप मिल जायें।
मिला था गर्व ऊँची शान, जिससे राजपूतों को
कराया था हलाहल पान, मुगलों के कपूतों को
लहू से लाल कर दी घाटियाँ, बन मौत नाचे थे
नमन करता है हिंदुस्तान, इन सच्चे सपूतों को।
भालों से था प्रेम बहुत, ओ तलवारों से यारी थी
मुठ्ठी भर सेना थी लेकिन, नभ जैसी मुख्तारी थी
चेतक पर चढ़ कर जब आये, वीर प्रतापी राणा जी
काँप उठी अकबर की सेना, काँपी हल्दीघाटी थी।
नाम गगन पर लिखने वाले, वो प्रताप थे मतवाले
स्वाभिमान पर मिटने वाले, वो प्रताप थे मतवाले
मातृ भूमि की आन की ख़ातिर, जान हथेली रखते थे
अकबर जिससे हार गया था, वो प्रताप थे मतवाले।