पासवर्ड : एक ऐसी कहानी जो सावधान करती है।

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।। पासवर्ड ।।

एक ऐसी कहानी जो सावधान करती है।

शौर्या आज फिर उदास हो कर कहती है ‘मम्मा-पापा, आज आप दोनों ने अपना प्रॉमिस फिर से तोड़ दिया। आप लोगों ने कहा था कि वीकेंड पर हम सब मूवी देखने जाएंगे, फिर वहीं से शॉपिंग पर चलेंगे, और डिनर भी करेंगे, आज पूरा दिन मेरे साथ रहोगे आप दोनों। लेकिन आप लोग आज फिर अपना वादा तोड़ रहे हो।’

सुमन और प्रशान्त दोनों ने अपने-अपने कान पकड़ कर एक साथ कहा ‘शौर्या, हमें माफ़ कर दो बेटा, हमें अपना प्रॉमिस याद है, मगर अचानक से बहुत ही जरूरी मीटिंग आने से हमें जाना पड़ रहा है।’

प्रशान्त ने शौर्या को अपनी गोदी में उठा कर कहा,’मेरी गुड़िया रानी तो बहुत समझदार है।’ पीछे से सुमन भी आ कर शौर्या को गुदगुदी करने लगती है जिससे उसके कोमल
मन को जो ठेस पहुँची है वह दूर हो जाये।

शौर्या भी खिलखिला कर हंसने लगती है। सुमन को राहत मिलती है कि अब वह थोड़ा रिलेक्स दिख रही है।

भोली सी आवाज़ में शौर्या कहती है, ‘अब आप दोनों जल्दी जाओ ऑफिस वरना आप दोनों को बॉस की जोरदार डांट खानी पड़ेगी, और उधर आप दोनों का मूड ठीक करने के लिए कोई भी नहीं होगा।’

प्रशान्त मज़ाकिया अन्दाज में कहता है, ‘ओके मेरी माँ!’ और तीनों जोरों से हँसने लगते हैं।

‘बाय-बाय बेटा, टेककेयर।’ भागते-भागते सुमन कहती है ‘बेटा आप को याद है न कि किसी को भी अपने घर का गेट नहीं खोलना है, और आप को क्या करना है?’ प्यार भरे स्वर में कहती है शौर्या ‘हाँ-हाँ मम्मा।’

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शौर्या अपने मनपसंद स्नेक्स का मजा लेती टी वी पर कार्टून देख रही थी। तभी उसे अपने घर की डोरवेल की आवाज सुनाई दी तो उसने मेन गेट खोला। रिश्ते में दूर के चाचू को देखकर शौर्या ने चहक कर कहा ‘अरे प्रमोद चाचू आप, पर मम्मा-पापा तो अभी ऑफिस गये हैं।’

थोड़ा ड्रामा करता प्रमोद बहुत ही घबराहट भरी आवाज़ में कहता है ‘शौर्या आप के मम्मा-पापा का ऑफ़िस जाते समय एक्सीडेंट हो गया है, और वह हॉस्पिटलाइज हैं, उन्हीं ने मुझे आप को लाने को कहा है।’

यह सुन कर शौर्या घबरा कर चीख़ती है। प्रमोद जाली वाला गेट के अंदर हाथ डाल उसे खोलने का प्रयास करता है मगर लोह का मज़बूत और बारीक़ जाली होने के वजह से वह गेट खोलने में नक़ाम हो जाता है।

प्रमोद फिर कहता है ‘चलो जल्दी चलो।’

शौर्या को अपनी मम्मा की कही बातें याद आती हैं ‘चाचू मेरे मम्मा-पापा ने आप को पासवर्ड बताया होगा।’

प्रमोद थोड़ा हड़बड़ा जाता है ‘हाँ-ना,,,, अरे बेटा शायद तुम्हारी मम्मा बताना भूल गई होगी, क्योंकि उन्हें चोटें जो बहुत आयीं हैं, बेचारे वो दोनों तो दर्द से तड़प रहे थे।’

‘पर शौर्या आप तो मुझे जानती हो, फिर इतना क्या सोच रही हो बेटा।’

शौर्या के दिमाग में अपनी माँ के वह कहे शब्द बार-बार याद आ रहे थे। दस वर्षों से ऑफिस जाते समय हर रोज रिपीट करती थी चाहे वह ऑफिस के लिए कितना भी लेट हो रही हो ।

फिर से प्रमोद की आवाज़ से वह चौंक कर माँ की कही बातों से बाहर आती है, ‘हाँ चाचू मैं अभी अपने कपड़े चेंज कर के आती हूँ।’

‘अरे बेटा हम कहीं मॉल थोड़ी न घूमने जा रहे हैं, हम तो अस्पताल जा रहे हैं, वो भी तुम्हारे पापा-मम्मा के पास।’

‘बस चाचू पाँच मिनट में आयी रेडी हो कर।’ कहकर शौर्या जल्दी से बिना कोई उत्तर सुने अंदर चली जाती है।

प्रमोद थोड़ा परेशान हो कर आस-पास नज़र मारता है। जाने क्यों वो कुछ डरा हुआ सा था।

‘अच्छा शौर्या में तुम्हारी मदद करता हूँ, तुम्हें तैयार होने में। तुम ये ताला खोलो मेन गेट का।’ प्रमोद थोड़ी उतावली सी आवाज़ में बोलता है।

‘बस चाचू अभी आयी।’ शौर्या की अंदर से आवाज़ आती है।

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मीटिंग में बैठी सुमन शौर्या का फोन आया देख कुछ घबरा सी जाती है और मन ही मन बुदबुदाती शौर्या का फोन उठाती है। उस के बॉस और क्लाइंट आश्चर्य से उस की तरफ देखते हैं, पर वह बिना किसी की परवाह किये बिना ही ‘एक्सक्यूज मी सर’ और फोन रिसीव करती हुई मीटिंग हॉल से बाहर चली जाती है।

घबराई आवाज में सुमन पूँछती है ‘क्या हुआ बेटा?

‘मम्मा वह चाचू कह रहे हैं……. शौर्या एक्सीडेंट का किस्सा बताती है।

सुमन आश्चर्य से ‘नहीं बेटा, आई एम फाइन, मैं और तुम्हारे पापा तुरंत आते हैं मेरी ब्रेव बेबी, डरना मत। और गेट किसी भी हालात में नहीं खोलना।’

‘शौर्या, तुम्हारे पापा और मुझे पहुँचने में 15 मिनिट लगेंगे, और मैंने हंडरेड नंबर पर कॉल भी कर दिया है, पुलिस हम से पहले पहुँच जायेगी।’ सुमन के चेहरे पर हवाइयां उड़ रहीं थीं।

तभी बॉस एकदम गुस्से में केविन से बाहर सुमन के पास आते हैं ‘तुमने मीटिंग को क्या समझ रखा है?’

‘प्लीज़ सर मीटिंग का आप को जो करना हो कीजिए, मुझे अभी घर जाना है। मैं कारण आपको बाद में बताती हूँ।’ और सुमन बॉस की प्रतिक्रिया जाने बिना ही दौड़ लगाती ऑफिस से बाहर निकल जाती है।

*****

सुमन गाड़ी ड्राइव करते-करते अपने पति प्रशान्त को कॉल करती है और सारा माज़रा उसे जल्दी जल्दी बताती है। प्रशान्त हैरानी से ‘क्या?……

‘मैं उसे जान से मार दूँगा।’ प्रशान्त की दहाड़ती हुई आवाज़ उसे सुनाई दी।

‘उस की जरूरत नही पड़ेगी। मैंने पुलिस………

‘ओके मैं भी पहुंचाता हूँ।’

*****

प्रमोद अपने दोस्त को फोन लगा कर कहता है ‘ तूँ मुझे वियर-मियर के साथ पुराने अड्डे पर मिल।

प्रशान्त बेसब्री से शौर्या को आवाज़ देने ही वाला था कि पुलिस आकर प्रमोद को पकड़ लेती है।

प्रमोद इनोसेंट होने का नाटक करता है, ‘सर मैंने क्या किया है।

एक पुलिस वाले ने उसे खींचकर एक थप्पड़ लगाया और कहा कि ‘बस तू थोड़ा सब्र कर, तुझे सब समझ आ जाएगा। ‘
इतने में सुमन और प्रशान्त भी पहुँच जाते हैं।

सुमन- प्रशान्त को देखकर प्रमोद घबरा जाता है। प्रशान्त बिना कुछ कहे ही उसे एक जोरदार थप्पड़ मारता है।

सुमन की आवाज़ लगाने पर शौर्या ताला खोलकर बाहर आती है और रोती हुई माँ की बांहों को जकड़ लेती है।

प्रशान्त शौर्या को गोद में उठा लेता है। और सुमन को भी गले लगाकर कहता है ‘सुमन ये सब तुम्हारी समझदारी व मेहनत का ही परिणाम है। साथ में शौर्या की भी तारीफ़ है । क्योंकि इसने अपनी माँ की बातों को अपने दिमाग से फॉलो किया।’

प्रशान्त इंस्पेक्टर की ओर देखता है और दाँत पीसते हुये कहता है ‘सर, जब तक ये अपना अपराध स्वीकार न कर ले कि मेरी बेटी के साथ क्या करने वाला था तब तक इस की हड्डी-पसली का चूरमा बनाते रहना।’

पुलिस प्रमोद को थाने ले जाती है और बाद में उसे जेल भेज दिया जाता है।

छब्बीस जनवरी पर सुमन के संस्कार देने के लिये और शौर्या को उसकी समझदारी के लिए एसपी द्वारा स्कूल में सम्मानित किया जाता है।

लेखिका – रिंकी जैन

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