सरोगेसी पर नुक्कड़ नाटक-Surrogacy par Nukkad naatak
सरोगेसी पर नुक्कड़ नाटक – प्रिय पाठक गण, उड़ती बात पर आपका बहुत – बहुत स्वागत है। मित्रों, यह आर्टीकल सरोगेसी पर नुक्कड़ नाटक मेरी पत्नी जी लेखिका रिंकी जैन Kahanikar Rinki Jain Jabalpur जी द्वारा लिखित है जो कि भारत में पनप रहे सरोगेसी के विकृत व्यवसायिक रूप को चित्रित करने वाला नुक्कड़ नाटक है। सरोगेसी यानि किराए की कोख। आधुनिकता की दौड़, पाने – खोने की जहद, कुछ बनकर दिखाने की अहद और समय के अभाव ने लोगों में शॉर्ट कट लेने की प्रवत्ति पैदा कर दी है। प्रकृति के सिद्धांतों के विरुद्ध जाकर कुछ पा लेने की तरकीब ढूंढना आदमियत के लिए विनाशकारी सिद्ध हो रहा है।
विगत कुछ बर्षों से उच्च तबके के भारतीय जनमानस में बच्चा पैदा करने की ज़हमत से बचने के लिये किराये की कोख लेने का कुचलन चल गया है। हालाँकि मुझे इस बात से इंकार नहीं कि शारीरिक अक्षमता के चलते मातृत्व सुख से वंचित रह जाने वाली दंपत्तियों के लिए यह एक वरदान है। किंतु बिना तकलीफ़ के शॉर्ट कट में बच्चा पाने की ओछी सोच ने इस व्यवस्था को व्यापारिक रूप में बदल दिया है जो कि बहुत ही दर्दनाक है। यह लेख सरोगेसी पर नुक्कड़ नाटक सरोगेसी के इस निहायत गिरे हुये बाज़ारीकरण का पुरज़ोर विरोध करता है। मेरा विश्वास है कि यह play इस गम्भीर विषय के प्रति समाज में जागरूकता पैदा करेगा। यदि आप
हिन्दी नुक्कड नाटक स्क्रिप्ट, ड्रामा स्क्रिप्ट इन हिंदी विथ मोरल, सरोगेसी पर नुक्कड़ नाटक , ड्रामा स्क्रिप्ट इन हिंदी, ड्रामा स्क्रिप्ट इन हिंदी ऑन एजुकेशन, कॉमेडी नाटक स्क्रिप्ट, हिंदी नाटक स्क्रिप्ट, नुक्कड़ नाटक स्क्रिप्ट इन हिंदी पीडीएफ, नुक्कड़ नाटक टॉपिक्स, नुक्कड़ नाटक का महत्व, सामाजिक समस्या पर नुक्कड़ नाटक, लड़कियों की शिक्षा पर लघु नाटक स्क्रिप्ट, सामाजिक मुद्दे पर लघु नाटक स्क्रिप्ट, युवा पीढ़ी के भटकाव पर नाटक, सामाजिक समस्याओं पर नाटक, सामाजिक मुद्दे पर नाटक, सामाजिक नाटक, सामाजिक नुक्कड़ नाटक, नुक्कड़ नाटक स्क्रिप्ट इन हिंदी, सामाजिक मुद्दे पर लघु नाटक स्क्रिप्ट, रिंकी जैन के नुक्कड़ नाटक
आदि ढूंढ रहे हैं तो यह आर्टीकल आपके काम का हो सकता है।
सरोगेसी पर नुक्कड़ नाटक
शीर्षक-भटकाव
लेखिका – रिंकी जैन जबलपुर
Time-18 minutes
दृश्य 1.
सूत्रधार – सभी दर्शकों को नमस्कार ।
विगत कई वर्षो से हमारे देश एवं समाज में बेटीयों को लेकर बडा ही सकारात्मक बदलाव आया है। अब प्रायः लड़कों एवं लडकीयों में कोई अंतर नहीं गिना जाता है। हम माता पिता अब अपनी बेटीयों की अच्छी शिक्षा एवं उनका अच्छा पालन पोषण कर रहे हैं।
निश्चित रूप से यह बड़ा बदलाव है। लेकिन इस बराबर की महत्ता एवं आजादी के कारण कई बार माता पिता के सामने बड़ी ही भयानक स्थिती उत्पन्न हो जाती है। युवा मन कई बार भटक जाता है। और इसका दुष्परिणाम एक ऐसा तबाही का मंजर सामने लाता है कि हमारी रूह तक कांप जाती है।
इस लघु नाटक के द्वारा आप सब को तस्वीर का वह पहलू दिखाने की कोशिश की जायेगी जिसमें हमारे युवक और युवतियाँ भावनाओं में फस कर अपने जीवन को बरबाद कर लेते हैं।
इस नाटक के मुख्य पात्र एक प्रतिष्ठित परिवार की लड़की प्रियंवदा है, जो कि इंजिनियरिग के अंतिम सेमेस्टर की छात्रा है। प्रियंवदा को एक लड़के वरूण से प्रेम हो जाता है जो कि एक छोटा मोटा सिंगर है।
आइये देखते हैं यह प्रेमका सफर प्रियंवदा को किस अंधे दलदल में फसा देता है।
दृष्य 2
गार्डन का दृश्य:
एक तरफ से लडका एवं एक तरफ से लडकी प्रवेश करती हुई दिखती है-
लड़का – बाहें फेलाए हुए स्टाइल से प्रवेश करता हुआ गाता है..
वरूण – मेंहदी लगा के रखना, डोली सजा के रखना,
लेने तुझे ओ गोरी, आयेंगे तेरे सजना।
लड़की :- (अदा से थोडा शर्माती है ) रहने दो रहने दो। बस बस। वरूण बहुत हो गया, इनफ-इनफ।
दोनो एक बेंच पर बैठ जाते हैं लड़की थोड़ी चिन्तित हो जाती है।
लड़की – वरूण ऐसा कब तक चलेगा ?
लड़का – क्या मतलब ?
लड़की – अब मैं इस सिलसिले को और लंबा नहीं खीचना चाहती अब हमें शादी कर लेना चाहिये।
लड़का – रोमॉटिक मूड़ में, अभी चलें !!
लड़की – मै मजाक नहीं कर रहीं हूँ। मेरे मम्मी पापा मेरी शादी के लिए बहुत परेशान हैं, ऐसे ही किसी दिन मेरी शादी कहीं तय हो जायेगी और कोई खड़ूस लडका मुझे विदा कर के ले जायेगा और तुम गाना ही गाते रह जाआगे..
(चिढ़कर) मेंहदी लगा के रखना!!
लड़का – तुम सिर्फ मेरी किस्मत में लिखी हो। सब ठीक हो जायेगा। चिंता मत करो। हम जल्दी ही शादी करेंगे।
लड़की – अब मैं चलती हुं बाय, मुझे घर पहुचना है।
लड़का – ठीक है कल मिलते है। बाय हनी।
दृश्य 3.
एक घर में बैठक (ड्राइंग रूम का दृश्य )
लडकी प्रियंवदा के पिता जी अखबार पढ़ रहे हैं
तभी मोबाइल की घंटी बजती है लेकिन पिता जी अखबर पढ़ने में मशरूफ़ रहते हैं पीछे से प्रियंवदा की मम्मी की आवाज आती है-
मम्मी – सुनते हो जी। फोन बज रहा है!!
पिता जी अखबार पढने में मगन रहते हैं।
ये भी पढ़ें: नारी शक्ति पर कविता
ये भी पढ़ें: मंच संचालन स्क्रिप्ट
मम्मी – पीधे से ड्राईगरूम में से गुस्से से बढ़बढ़ाती हुई, तेज तेज कदमो से आती हैं ‘हद हो गई, आपको फोन की घंटी नहीं सुनाई दे रही??
पिता जी – ओह। सॉरी कह कर फोन उठाते हैं भाई साहब प्रणाम। सब ठीक है, वहां आप लोग कैसे हैं, जी जी, ठीक है, अरे वाह, खुशी की बात है, जी, जी । जी भाई साहब मैं ऐसा ही करता हूं, जी बिल्कुल, जी। ठीक है। प्रणाम।
मम्मी – क्या हुआ ? कौन था?
इतने में प्रियंवदा भी वहाँ आ जाती है।
प्रियंवदा – किसका फोन था पापा ?
पिता जी – तुमहारे बड़े पापा का। नेहा कि सगाई तय हो गई है। परसों सगाई है। आज लडके वाले आए थे उन्होने नेहा को पसन्द कर लिया बहुत अच्छा लड़का मिला है। लड़का डॉक्टर है और बडे ही प्रतिष्ठित परिवार का है।
मम्मी – नेहा की कितनी अच्छी किस्मत है। ये उसके अच्छे पुण्यो का प्रतिफल है।
प्रियंवदा – सच में मम्मी। नेहा दीदी इज सो लकी।
पिता जी – और एक ख़ुशी की बात है लड़के के मौसा जी का लडका सॉफ्टवेयर इन्जीनियर है। भाई साहब ने प्रियंवदा की चर्चा चलाई है, उसके मौसा जी का लड़का भी सगाई में आ रहा है उसे प्रियंवदा की फोटो भी पसंद आ गई है। वह भी प्रियंवदा को देखना चाहते हैं।
अपनी प्रियंवदा का इंजीनियरिंग का यह आखिरी सेमेस्टर है, अगर सब कुछ ठीक ठाक रहा तो हम प्रियंवदा का भी संबन्ध कर देगे।
मम्मी – (खुश होते हुये) वाह!! तुमने तो बड़़ी ही अच्छी खबर सुनाई। प्रियंवदा, चलने की तैयारी शुरू कर दो।
प्रियंवदा – (उदास होते हुए) क्या मम्मी! आप लोग भी कितनी जल्दबाजी कर रहे हो। अभी तो मेरी पढाई भी पूरी नहीं हुई। मेरे एग्ज़ेम बिलकुल सामने हैं। मै नहीं जा सकती। वेसे भी मेरी तबीयत खराब हो जाने के कारण मैं पिछड़ गई हुं, मुझे बेक लॉक पूरा करना है, सॉरी। आप लोग लड़का देख आइये और पसंद आने पर उनको अपने घर आने को कह दीजियेगा।
दृश्य.4
सूत्रधार :- प्रिंयवदा के माता पिता अपने बड़े भाई के यहाँ सगाई कार्यक्रम में चले जाते हैं, एवम् प्रियंवदा को अपने पड़ोसी की देखभाल में सौंप कर निश्चिंत हो जाते हैं।
प्रियंवदा अपने प्रेमी वरूण को फोन लगा कर पूरी स्थिती बताती है और कहती है कि अब करो या मरो वाली स्थिती है। अगर तुम मुझे प्यार करते हो तो हम कहीं दूर भाग कर के शादी कर लेते हैं नही तो मेरी शादी जल्दी ही किसी अन्य लड़के के साथ कर दी जाएगी।
अगले ही दिन वरूण एंव प्रिंयवदा कुछ गहने और पैसे लेकर घर से भाग जाते है एंव नोएडा पहुंच जाते हैं। नोएडा में वरूण का एक डॉक्टर दोस्त उसकी मदद करता है एवं एक खाली फ्लैट उनके रहने के लिये अरेंज करा देता है। उसी सप्ताह में वो दोंनों एक मंदिर में शादी कर लेते हैं।
कुछ दिन बीत जाते हैं तो उनके पैसे खत्म होने लगते है तो उनकां जीवन की सच्चाइयों से सामना होने लगता है। उनकी चिंता इस बात की बढ़ जाती है कि घर का खर्च केसे चलेगा, पैसे कहां से आएंगे ।
आइए देखते है कि आगे क्या होता है…
दृश्य – 5
फ्लैट में ड्राइग रूम का दृश्य:
प्रियंवदाः- (चिंतित आवाज में ) वरूण तुमने कुछ सोचा है कि हमारा घर कैसे चलेगा? मुझे तो तुम इस बारे में कोई परवाह करते ही नहीं दिख रहे हो।
वरूण 🙁 थोड़ा सा बेपरवाह होकर ) परेशान तो मैं भी बहुत हॅू. लेकिन समझ ही नहीं आ रहा है कुछ भी।
प्रियंवदाः- मैं भी कहीं नौकरी कर सकती हॅू. तुम अपने डॉक्टर मित्र को बोलों ना कि वो मेरे लिये कहीं बात करें?
वरूण :- मैंने बात तो की है कुछ..!
प्रियंवदाः- ( उत्साहित होकर ) क्या बताओ !!
वरूणः- उनका एक सर्जिकल प्रोजेक्ट चल रहा है उसमें ही वो हमें बिजनेस पाटर्नर बनाने को तैयार है। अगर तुम्हें पंसद आये तो।
ये भी पढ़ें: भंसाली की पद्मावती विवाद पर कविता
ये भी पढ़ें: नोटबंदी पर कविता
प्रियंवदाः- इसमें सोचना कैसा ये तो बहुत ही अच्छी खबर है।
वरूणः- ठीक है। वैसे मुझे डॉक्टर साहब ने कल दस बजे बुलाया है चाहो तो तुम भी साथ चलो।
प्रियवंदाः- श्योर । मैं कल तुम्हारे साथ चल रही हॅू।
दृश्य – 6
हॉस्पीटल का एक कामन वार्ड जैसा दृश्य । तीन चार पलंग बिछे हुए है। जिन पर कुछ मरीज महिलांए लेटी हुई है। एक कौने में तीन कुर्सियां एवं एक टेबल लगी हुई है।
प्रियवंदा एवं वरूण प्रवेश करते हुए।
वरूण :- सर नमस्ते ।
डॉक्टर :- अरे वरूण आओ, आओ. आइए भाभी जी.। वरूण, ये क्या सर,-सर लगा रखा है। हम दोस्त है, आप लोग बैठिये ना!
वरूण एव प्रियवंदा मुस्कुराते हुए बैठते हैं.
वरूणः- कैसा चल रहा है तुम्हारा प्रोजेक्ट?
डॉक्टर :- एक दम बढ़िया। काम बढ़ता ही जा रहा है।
वरूणः- यार हमें भी बताइये कुछ। मैने प्रियवंदा से भी बात की है. वो भी बहुत उत्साहित है।
प्रियवंदाः- वैसे भाई साहब यह कैसा प्रोजेक्ट है ? और हमें क्या करना पड़ेगा?
डॉक्टरः- तुम्हें यह जगह देखकर क्या समझ में आ रहा है।
प्रियवंदा एवं वरूण कुर्सी पर बैठे बैठे उस जगह का मुआयना करते हैं ।
प्रियवंदाः- मुझे तो यह जगह एक गायनिक वार्ड या फिर शुद्ध भाषा में कहें तो जच्चा वार्ड जैसा दिख रहा है।
डॉक्टर :- बिलकुल ठीक पहचाना भाभी जी, यह एक गायनिक वार्ड ही है. और मेरा प्रोजेक्ट गायनिक से सम्बंधित ही है।
प्रियवंदाः- मै समझी नहीं भाई साहब।
डॉक्टरः- भाभी जी आप ने सरोगेट मदर के बारे में तो सुना ही होगा।
प्रियवंदाः- जी थोड़ा कुछ।
डॉक्टर :- बहुत अच्छा। इसको हिन्दी में ‘किराये की कोख’ कह सकते है। हमारे देष में सरोगेसी होने के तीन कारण हैं :-
1. ऐसी औरतें जो किसी शारीरिक अक्षमता के कारण बच्चे को जन्म नहीं दे सकती।
2. ऐसी महिलांए जो अभिनेत्री या मॉडल हैं और अपनी छरहरी काया खराब नहीं करना चाहती हैं।
3. ऐसी महिलांए जो कारपोरेट में उच्च पदों पर हैं. एवं उनके पास प्रिग्नेंसी के लिये समय नहीं रहता है या फिर वो इस प्रकिंया से उत्पंन्न दर्द से बचना चाहती हैं।
वरूणः- जी ।
डॉक्टर :- हमारे देश में शाहरूख खान जैसे फिल्म स्टार ने भी सरोगेसी के जरिये बच्चे को प्राप्त किया हैं। हमारा प्रोजेक्ट उसी के बारे में हैं ।
आमतौर पर गरीब महिलांए ही सरोगेसी के लिये आगे आती है। ऐसे केसेस में स्टे्टस भी महत्व रखता है. क्योंकि गरीब महिलाओं से पैदा हुये बच्चे में हीन भावना आने की सम्भावना रहती है. एवं सम्बंधित परिवार को भी अच्छा महसूस नहीं होता।
प्रियम्बदा :- जी मैं कुछ समझी नहीं। हमें आखिर करना क्या है।
डॉक्टरः- देखिये, आम तौर पर अच्छे खानदान या जाति की महिलांओं के सरोगेसी के लिये बहुत डिमांड रहती है. और ऐसे केस में बहुत सारे पैसे मिलते है।
वरूणः- कितने ?
डॉक्टर :- चालीस लाख से पचास लाख ।
प्रियवंदा :- मै समझ गई । मुझसे आप क्या चाहते है।
डॉक्टर- कुछ बड़े केसेस मेरे पास आलरेडी पेंडिग हैं। उन केसों में तुम्हें सरोगेट करना होगा. जिसमें तुम दोनों को एक केस के बीस लाख रूपये मिलेंगे।
प्रियम्बदा यह बात सुनकर सन्न रह जाती है।
प्रियवंदाः- ( गुस्से में ) वरूण क्या तुम्हें पहले से पता था?
वरूणःः- (लापरवाही से) हां, लेकिन मैंने डाक्टर से कह दिया था कि प्रियवंदा अगर तैयार होती है तो मुझे कोई दिक्कत नहीं है। और वैसे भी यह एक पुण्य का काम है!
प्रियवंदा- ( चीखकर ) वरूण मुझे तुमसे नफरत हो रही है। तुम अब मुझे व्यापार की वस्तु बनाना चाहते हो ? लानत है आप दोनों पर। अगर किसी को बच्चा चाहिये तो अनाथालय से जा कर ले लें। वहाँ कितने ही बच्चे बेमौत मरते हैं। अपनी इज्जत बेचकर किसी को हीरे जवाहरात भी मिल जांए तो वह मिट्टी समान है। मै इसके लिये कतई तैयार नहीं हूँ!!
वरूणः- (थोड़ा कठोर स्वर में) प्रियवंदा मेरी बात सुनो। अगर हम ऐसे दो तीन केसेस ले लेते है तो हम अमीर बन सकते हैं । और फिर यहाँ पर तुम्हारी पूरी देखभाल करने के लिये मै स्वंय रहूंगा।
प्रियवंदाः- (गुर्रा कर) यू शट्अप। नीच कमीने आज मैं तेरा दोगला चरित्र जान गई हूँ।
वरूणः- (गुस्से में) चुप कर बेवकूफ। अच्छे से मान जा। नही तो हमें सख्ती करनी पड़ेगी।
प्रियवंदाः- तुम मेरे साथ क्या सख्ती करोंगे। अब मैं पुलिस मैं जाऊंगी और तुम लोगों के खिलाफ कम्पलेंड करूंगी।
वरूणः- ( जोर से चिल्लाता है ) चोप्प!!!!!
डॉक्टर :- (क्रूर स्वर में) इसे पकड़कर एक कमरे में बंद कर दो। इसके हाथ में मोबाइल नहीं रहना चाहिये। मै इसे अभी बेहोशी का इंजेक्शन दिलवाता हूँ, ये क्या इसका बाप भी अब बच्चा पैदा करेगा।
प्रियवंदा को पकड़ लिया जाता है। प्रियवंदा जोर से रोने लगती है..
प्रियवंदाः-(बेकाबू होकर छूटने कि कोशिश करती है) मुझे छोड़ दो…मुझे जाने दो…
वरूणः- ( प्रियवंदा को एक थप्पड़ मारता है ) चुप कर। तू!! तू पुलिस को बतायेगी। अब तू जिन्दगी भर यहीं सड़ेगी और एक नहीँ दस बच्चे जनेगी।
प्रियवंदा को एक कमरे में बंद कर दिया जाता है.। प्रियवंदा दहाड़े मार मार कर रोती है।
प्रियवंदाः- (मार्मिक आवाज़ में रोते हुये) मैं तुम्हारे पैर पड़ती हॅू वरूण प्लीज ऐसा मत करो। वरूण इतनी बड़ी सजा मत दो, तुम्हें मेरे प्यार की कसम। वरूण प्लीज, रहम करो..मुझे जाने दो।
दृश्य.7
सूत्रधारः– देखा आपने। एक छोटी सी नादानी प्रियवंदा को कहाँ से कहाँ ले गई। प्रियवंदा को दवाईयों के नशे में रखा जाने लगा। उसके मुंह पर टेप लगाकर एवं उसके हाथ पैर बॉधकर बिस्तर पर लिटा दिया गया। उसे जबरदस्ती सरोगेसी करा दी जाती है। इस प्रकार तीन महीने बीत जाते हैं।
हॉस्पीटल के लोग भी प्रियवंदा की तरफ से लापरवाह हो जाते हैं। प्रियवंदा एक कमरे में चुपचाप बिस्तर पर पड़ी रहती है। उसके व्यवहार के कारण उसके हाथ पैर खोल दिये जाते हैं।
एक बार प्रियवंदा के हाथ किसी का मोबाइल लग जाता है और वह अपने पापा को फोन लगाकर रोते रोते सारी कहानी बता देती है। वह अपने पापा मम्मी से क्षमा मॉगती है और गिड़गिड़ाती है कि मुझे बचा लो पापा, नही तो ये लोग मुझे मार डालेगे।
प्रियंवदा के एक रिश्तेदार की मदद से, जो कि नोएडा में ही रहते थे, पुलिस मे तुरन्त कम्पलेन की जाती है और आनन फानन पुलिस रेड डाली जाती है जिसमें एक बड़ा गैंग पकड़ाया जाता है जो कि अवैध रूप से सरोगेसी का काम कर रहा था।
प्रियवंदा की चिकित्सा की गई लेकिन प्रियमवदा लम्बे समय तक गहरे सदमें में रहती है। उसके परिवार को अपने शहर से पलायन करना पड़ता है और सब कुछ तबाह हो जाता है।
दोस्तो । हमें अपने बच्चों को अजादी तो देना है, उन पर भरोसा भी करना है लेकिन उनके साथ मित्रवत व्यवहार भी रखना है। जिससे वो किसी भी प्रकार की बात आपसे ना छिपायें। डरें नहीं। घबड़ाए नहीं।
साथ ही उन पर पूर्ण नियन्त्रण भी रखना है। बच्चों से गलती हो सकती है।
युवा मन की भटकन एक स्वाभाविक घटना है।
और हमारे युवाओं से मुझे यही कहना है, कि जिन्दगी में कोई शॅार्टकट नहीं होता। आज भी भारत मे 99.99 विवाह माता पिता की सहमति से होते हैं और सबके सब आलमोस्ट सफल होते हैं।
इसी के साथ मैं और मेरी टीम आप से विदा लेती हैं।
जय हिन्द।
पात्रो का परिचय…
यह आर्टीकल सरोगेसी पर नुक्कड़ नाटक आपको कैसा लगा। कमेंट करके अवश्य बतायें। धन्यवाद
Author – Rinki Jain लेखिका – रिंकी जैन
good
प्रतिसाद के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया। बहुत आभार ।
Amit sir aapne ek bahut hi achhi topic pe nukkad natak likha jisse samaj ko sikh leni chahiye.
Sir Aasha karta hu ki samaj ki har buraii pe aap ek achhi,aur saral natak likhenge.
Bahut hi umda …. amazing article …. Thanks for sharing this!! 🙂 🙂
आपका बहुत-बहुत शुक्रिया। आप जैसे सुधिजनों से सराहना मिलना खिताब मिलने जैसा है ।
उत्साह बढ़ा। ऊर्जा मिली। बहुत-बहुत आभार।
amazing act
बहुत बहुत शुक्रिया सिंघ साब। बहुत आभार । शुभ प्रभात
Bahut hi sundar ek ek sabad me jaan ha
Aapko or Aapki lekhani ko Naman ha
Bahut dhanyvaad joshi ji. Aabhar apka.
thanks
bohut hi sundar lekh hai padhke bohut accha laga.
बहुत बहुत धन्यवाद आकाश जी। बहुत आभार आपका
Apka lekh padhke accha laga
बहुत बहुत धन्यवाद मित्र
आप का लेख बहुत ही सुंदर है
Sir mera naam madhusudan kumar mai ek medical student hu mujhe apka play bahut achcha lga hai mai iski ek short film banana chahata hu karpiya mujhe ijazat de.
Namaskar sir ji
mai yamuna nand pandey Nehru yuva Kendra(govt) ke tahat 5 nukkad natak kari hai
District youth co-ordinator , DSP or DSP fire bragged ke dvra sammanit or certified koya gya hu
mai bade level pr kary krna chahta hu
ap ak bar opportunity de to pahut kripa hogi
sir apki permission ho to kya hm is pr videos bna skte hai
जी अवश्य, लेखक का नाम अवश्य दें
बहुत ही अच्छी रचना है आपकी
आपसे एक निवेदन है क्या मैं आपके इस रचना पर एक वीडियो बना सकता हु सामाजिक साक्षरता को बढ़ाने के लिए और समाज में जानकारी बढ़ाने के लिए
अतः आपसे अनुरोध है की आप हमे इसकी अनुमति दे आपका बहुत बहुत आभार होगा ।
धन्यवाद सत्यम पाल
9956302950
ज़रूर बनाइये, लेखक का नाम अवश्य दें।
Hmko ek achha natak chahiye AAP Likh ke mail kr dijiye mere mail I’d pe 27ko natak khelenge hm log plz 🙏🙏new generation pe natak likhiye