गांधी जयंती स्पीच – महात्मा गांधी पर भाषण, महात्मा गांधी जयंती पर भाषण

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गांधी जयंती स्पीच – साथियों, प्रस्तुत है गांधी जयंती स्पीच । आज से ठीक 2 दिन बाद यानी 2 अक्टूबर 2018 को हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की जयंती है। भारत देश के लिए यह किसी राष्ट्रीय पर्व से कम नहीं है। सारे देश में गांधी जी को याद किया जायेगा। उनके विचारों, उनकी उपलब्धियों पर चर्चा होगी। वतन की आज़ादी के लिए उनके द्वारा किये गये संघर्ष और विजय प्राप्त करने की अनोखी महागाथा सुनी जायेगी-सुनाई जायेगी। इस आर्टीकल गांधी जयंती स्पीच में मैंने इस अवसर पर बोले जाने भाषण का एक सरल ड्राफ्ट आपके समक्ष प्रस्तुत किया है। अगर आप ..

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गांधी जयंती स्पीच

देश की उन्नति में प्रण-पन से रत मंच पर विराजित सभी विभूतियां और इस देश की मिट्टी से बेहद प्यार करने वाले प्यारे साथियों। आप सभी को सादर जय हिन्द – वंदे मातरम।

आज का यह दिन उस प्रत्येक कृतज्ञ भारत वासी के लिये विशिष्ट है जो इस सरज़मीं पर स्वच्छंद होकर जीवन व्यतीत कर रहा है। यह स्वछंदता यह स्वाधीनता, यह निजता का वातावरण, हमें हमारे जिन-जिन पूर्वजों के तप और बलिदान से प्राप्त हुआ है उनमें सबसे प्रथम नाम हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी का आता है। और आज 2 अक्टूबर को हमारे उन्हीं राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी की जयंती है।

चार पंक्तियों में महात्मा गाँधी जी के महान व्यक्तित्व का अल्प परिचय दिया जाये तो मैं कवि अमित मौलिक की इन चार पंक्तियों का उद्धरण करना चाहूँगा कि..

दुर्बल तन का निर्मल मन का, एक फ़रिश्ता आया था
जिसने ताक़तवर दुश्मन को, बिन हथियार हराया था
सत्य अहिंसा और शांति, के बल पर जो लड़ता था
उसे महात्मा-संत, ज़माना गाँधी-गाँधी कहता था।

मेरा नम्र निवेदन है कि स्वतंत्रता के इस महान नायक के लिये ज़ोरदार तालियां बजा दीजिये। धन्यवाद। साथियों, 2 अक्टूबर 1869 को जन्मे गाँधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था। बचपन से ही सात्विक संस्कारों के परिणाम स्वरूप शाकाहार के प्रबल समर्थक मोहनदास, जब साउथ अफ्रीका में बैरिस्टर की पढ़ाई कर रहे थे तो वहाँ अंग्रेजों द्वारा किये गये नस्लीय भेदभाव और अपमान ने, उन्हें अंग्रेजों के ज़ुल्म का विरोध करने के लिए संकल्पित कर दिया। क्योंकि उस दौरान भारत अंग्रेजों की दासता झेल रहा था।

भारत आकर उन्होंने सर्वप्रथम देश में कोढ़ की तरह फैली अश्पृश्यता के विरुद्ध आवाज़ उठानी शुरू की। निर्धनों पर अंग्रेजी शासन द्वारा लादे अनधिकृत कर के बोझ और उनके अधिकारों के लिये उन्होंने फिरंगियों का विरोध करना आरंभ कर दिया। उनके द्वारा किये गये नमक आंदोलन, असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन आदि उनके ऐसे ऐतिहासिक आंदोलन थे जिस के समर्थन में भारत का पूरा जनसमूह सड़कों पर उतर आया और अंतोगत्वा अगस्त 1947 में 200 बर्षों तक गुलाम रखने वाले अंग्रेजों को भारत छोड़ना पड़ा।

ऐसे परम संत, स्वतंत्रता के शीर्ष महान महानायक को चार पंक्तियों के माध्यम से नमन करता हूँ कि…

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सत्य अहिंसा प्रेम की ताकत, दुनिया भर ने जानी
दिल में है तस्वीर आपकी, आँखों में है पानी
हे महात्मा राष्ट्रपिता गाँधी जी, नमन है तुमको
हैं अनंत उपकार आपके, ऋणी हैं हिंदुस्तानी।

ऐसे अमर बलिदानी के लिए आँखों में नमीं, मन में कृतज्ञता और ह्रदय में अश्रुपूरित आदर भाव भरकर ज़ोरदार करतल ध्वनि बजा दीजिये। धन्यवाद

मित्रों, आज यदि हम स्वतंत्र भारत में आनंदित होकर, सर उठाकर जी रहे हैं तो इसका पूर्ण श्रेय महात्मा गाँधी जी और उनके सभी सहयोगी देशभक्तों को जाता है। उनका स्वप्न भारत में छुआछूत को हटाना, स्वालंबन, पूर्ण स्वायत्तता, समानता का अधिकार थे जो आज लगभग पूरे हुये। किन्तु देश में राजनीतिक अशुचिता, भ्रष्टाचार और स्वच्छता का अभाव ऐसी कुछ ज्वलंत समस्याएं हैं जो कि गाँधी जी की आत्मा को आज भी कचोटती होंगीं। हमारा कर्तव्य है कि हम उनके सपनों को पूरा कर, उनके सपनों का भारत बनायें और राम राज्य की स्थापना करें।

मैं राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी के एक कथन के साथ अपनी बात समाप्त करना चाहता हूँ जो वर्तमान में हमारे जीवन को एक क्रांतिकारी दिशा दे सकती है कि..

जियो तो ऐसे जैसे कि तुम कल मरने वाले हो. सीखो तो ऐसे की तुम हमेशा के लिए जीने वाले हो
महात्मा गांधी

जय हिन्द – जय भारत।

इस आर्टीकल गांधी जयंती स्पीच के बारे में आपके विचार आमंत्रित हैं।

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