कहानी सच्चा प्यार – प्यार के रिश्तों की एक अनूठी कहानी

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कहानी सच्चा प्यार – सभी पाठकों को यथायोग्य अभिवादन। मैं रिंकी जैन एक कहानी आप सबके सामने प्रस्तुत कर रही हूँ। आप सभी का स्नेह मिले..

कहानी सच्चा प्यार

‘डॉक्टर नीरव आप मेरे केबिन में क्या कर रहे हैं?’ डॉक्टर गौरी ने कोध्र से धधकती लाल आँखों से देख कर कहा। ‘मैंने आप को कईओं बार कहा है कि आप मेरे केबिन में मुझे मिलने मत आया करें।’

डॉक्टर नीरव ने तड़पती नजरों से कहा ‘डॉक्टर गौरी, तुम मुझ से गैरों की तरह बात करना बंद करो प्लीज़। तुम्हें मेरी तड़प बिल्कुल भी नहीं दिखती है?’

‘मैं तुम्हें अपने सीने से लगाना चाहता हूं। वो प्यारा सा बिना किसी वासना के मधुर स्पर्श फिर से महसूस करना चाहता हूँ। हम छः बर्षों से दिलो जान से प्रेमी तो रहे पर हम दोनों ने अपनी मर्यादा कभी नहीं लांघी।

‘वो मधुर एहसास, वो सुख-दुख के पल जो हम ने छः बर्ष साथ-साथ बिताये वो सब मैं नहीं भूला सकता हूं। गौरी जब से तुम ने मुझ से बात करना, मेरा कॉल भी रिसीव लेना बंद कर दिया है उसी क्षण से मेरा दिन का सुकून रात का चैन छिन गया है।

डॉक्टर गौरी क्रोध भरे स्वर में फिर से कहती हैं ‘प्लीज डॉक्टर नीरव वो सब बातों को भूल जाएं। आप ने अपने पिता के झूठे – बेबुनियाद आदर्शों की वज़ह से मेरा जीवन बर्बाद कर दिया। अब आप एक और इंसान का जीवन बर्बाद न करें।’

‘मैं ने सुना है कि आप की पत्नी डॉक्टर ऋद्धिमा ने कुछ दिनों पहले ही इसी हॉस्पिटल को जॉयन कर लिया है, उन्हें थोड़ी सी भी भनक हमारे पूर्व प्रेम प्रसंग के बारे में लगी तो तीन-तीन लोगों का जीवन कशमकश में फंस जायेगा। सो मिस्टर नीरव आगे से मुझ से सिर्फ एक प्रोफेशनल डॉक्टर की तरह ही पेश आयें।’

*****

केविन के खुले गेट पर बातों ही बातों में गौरी की नज़र पड़ी तो आँखों से झर-झर गिरते आसुंओं को देख कर आश्चर्य से डॉक्टर गौरी के मुँह से निकल जाता है ‘डॉक्टर ऋद्धिमा आप!!!

गौरी के हाव-भाव देख कर और अचानक से अपनी पत्नी का नाम सुन कर गौरी के तरफ मुँह किये डॉक्टर नीरव चौंक कर खड़े हो जाते हैं और झटके से पीछे मुड़ कर देख कर आश्चर्य से ‘ऋद्धिमा आप इधर?

‘आप इतना चौंक क्यों गये डॉक्टर नीरव, मैं तो इस हॉस्पिटल की जानी मानी गायनोकोलॉजिस्ट डॉक्टर गौरी से अपने एक मरीज के केस के सिलसिले में राय लेने आयी थी । पर मुझे क्या पता था कि मेरे पति भी डॉक्टर गौरी के मरीज निकलेंगे।’ डॉ ऋद्धिमा ने चुभते हुये स्वर में कहा।

डॉक्टर गौरी व नीरव की प्रतिक्रिया जाने वगैर ही डॉक्टर ऋद्धिमा तेज कदमों से हॉस्पिटल से घर चली जाती हैं। डॉक्टर गौरी और भी ज्यादा क्रोध में बरस पड़ती हैं ‘डॉक्टर नीरव ये सारी गलतियाँ तुम्हारी हैं, मैंने तुम्हें उसी दिन मुक्त कर दिया था जिस क्षण तुम्हारे और रिद्धमा के साथ फेरे हुए थे।’

डॉक्टर नीरव भी क्रोध में आकर अच्छा ही हुआ सच रिद्धमा के सामने ख़ुद ब ख़ुद आ गया। ये तो एक न एक दिन होना ही था।’

डाक्टर गौरी ने चिढ़ते हुये कहा ‘अपनी बकबास बंद करो, और मेरे साथ चलो।’

‘कहाँ ?’

डॉक्टर गौरी बिना कुछ कहे सीधा रिसेप्शनिस्ट से पूछती हैं
डॉक्टर ऋद्धिमा का कहाँ हैं?

‘मैम मैंने उन्हें अभी अभी हॉस्पिटल से बाहर जाते देखा है’।

डॉक्टर गौरी ने बिना कुछ कहे फोन रखा और तेज कदमों से हॉस्पिटल से बाहर निकल कर ड्राइवर से कार की चाभी ली और कार स्टार्ट करने लगी। पीछे पीछे आये डॉ नीरव ने हड़बड़ाते हुये पूछा ‘ये क्या कर रही हो ? बिना कुछ कहे गौरी ने नीरव का हाथ खींच कार में ड्राइवर की सीट के पास बिठा लेती हैं और गाड़ी आगें बड़ा देती हैं।

नीरव थोड़ा हैरान हो कर पूछता है ‘गौरी तुम क्या करने वाली हो। मुझे कुछ बताओगी भी, तुम मुझे ये कहाँ ले कर जा रही हो?

****

ऋद्धिमा को अचानक वापिस आता देख कर नीरव के पेरेंट्स चौंक जाते हैं ‘बेटी ऋद्धिमा क्या हुआ? इतनी जल्दी वापिस आ गईं, और इतनी उदास क्यों हो। सब ठीक है न?’ उन्होंने प्रश्नों की झड़ी ही लगा दी। लेकिन ऋद्धिमा ने नीरव के माता-पिता की बातों का कोई जबाब न देते हुए तेज कदमों से अपने बेडरूम में जा कर खुद को बंद कर लेती है।

****

बिना कुछ जबाब दिये गौरी कार ड्राइव करती है। और सीधा नीरव के घर के सामने रोक देती है।

नीरव हड़बड़ा उठता है ‘ यह तो मेरा घर है।’ लेकिन गौरी कार का गेट तेजी से बंद करती तेज-तेज कदमों से नीरव के घर के अंदर चली जाती है। नीरव के पिता गौरी को आया देखकर आश्चर्य से ‘गौरी बेटा आप? पीछे से नीरव को आता देख कर कुछ समझने की कोशिश करते हुये पूछा ‘सब ठीक तो है। गौरी ने परेशान स्वर में कहा ‘प्लीज मुझे एक मिनिट ऋद्धिमा से मिलने दीजिये।’

नीरव की माँ ऋद्धिमा के रूम की ओर इशारा करती है।
गौरी रुम का गेट खटखटाती है। दरवाजा खुलता है। रिद्धमा गेट पर गौरी को देख कर क्रोध से भर गई लेकिन संभलते हुये ‘आप यहाँ? वैसे मैं इतनी कमजोर हृदय की लड़की नहीं हूँ मैं ठीक हूँ।’

‘क्या मुझे रूम के अंदर आने को नहीं कहोगी।’ बिना कोई प्रतिक्रिया किये गेट से हटकर ऋद्धिमा अपने बेड पर बैठ जाती है। डॉक्टर गौरी भी अन्दर चली जाती है। नीरव घबराया सा रूम में प्रविष्ट करता है।नीरव को देख कर रिद्धमा अपना मुँह टेड़ा कर लेती है।

‘डॉक्टर रिद्धमा जी, मैं आप से रिक्वेस्ट करती हूं आप मुझे से आज शाम 6 बजे रॉयल रेस्टोरेंट में मिलने ज़रूर आयें।बहुत सी बातें क्लियर करनी है आप से। और गौरी जाने लगती है। जाते जाते रुककर ‘सिर्फ ऋद्धिमा जी आप ही आयें।’

गौरी को जाता देख डॉक्टर नीरव एक बुत की तरह खड़ा रह जाता है। मन ही मन सोचता है गौरी आखिर कार करना क्या चाहती है। नीरव का दिमाग कुछ क्षणों के लिए सुन्न हो जाता है। कुछ भी सोचने-समझने की स्थिति में नहीं रहता है।

थोड़ी देर बाद नीरव कहता है ‘ऋद्धिमा, मैं तुम से कुछ कहना चाहता हूँ।

‘पर मुझे कुछ नहीं सुनना है।’

‘तुम्हारा रूठना जायज़ है पर एक बार मेरी बात सुन लो, फिर हम दोनों अपने-अपने रास्ते चुन सकते हैं। ऋद्धिमा मैं मानता हूँ कि तुम ने अपने पिता के आदर्शों के दबाव की वज़ह से शादी की लेकिन इसकी कीमत हम तीन लोगों को चुकानी पड़ रही है। पर मैंने कहीं किसी बुक में पढा था कि लव मैरिज में पहले प्यार होता है पर अरेंज में बाद में। और लव मैरिज से ज्यादा अरेंज मैरीज अधिक सक्सेज रहती है।’

‘बस यही सोच कर मैंने अब तक तुम को अपने पूर्व प्रेम प्रसंग के विषय में कुछ भी नहीं बताया था या यूँ कहूँ कि खुद को समय दे रहा था तुम से प्यार होने का।’ नीरव का स्वर बहुत गंभीर था।

‘नीरव तुम ने सही पढ़ा था किताबों में, लेकिन अरेंज मैरीज से पूर्व दिल में कोई और न बसा हो जैसे कि गौरी तुम्हारे दिल में … ऋद्धिमा ने ताना देते हुये कहा।

‘नीरव तुम नहीं जानते हो, तुम मुझे पहली ही नजर में अच्छे लगे थे।और तुम ने मुझे बातों ही बातों अपनी ओर आकर्षित कर लिया था।

‘कल तक तुम्हारा सच जानने से पहले तक मैं तुम से बहुत प्यार करती थी। मुझे लगा था कि जो मेरे दिल का हाल है वही तुम्हारे दिल भी का होगा। इसीलिए मैंने खुशी – ख़ुशी विवाह के लिए हाँ कर दी थी। पर मुझे क्या पता था कि तुम ने तो अपने पिता के ख़ातिर मुझे से विवाह किया है।’ कहते कहते ऋद्धिमा की आँखे भर आईं।

नीरव के कुछ कहने से पहले ही ऋद्धिमा के मोबाइल की घंटी बजने लगती है। कॉल रिसीव करती है ‘हैलो।’

‘डॉक्टर ऋद्धिमा मैं गौरी, प्लीज न मत कहना शाम को 6 बजे रॉयल रेस्टोरेंट में, सिर्फ एक बार मुझे से मिलने आ जाओ।’

ऋद्धिमा न चाहते हुए भी, ‘ठीक है।’

*****

ऋद्धिमा जैसे ही रेस्टोरेंट के अन्दर पहुँचती है। गौरी खड़े हो कर टेबिल की ओर आने का इशारा करती है। ‘बैठिये रिद्धमा, और वेटर को कुछ स्नैक्स और दो कॉफी का ऑडर देती है।

‘ऋद्धिमा मैं आप से इधर-उधर की बात नहीं करुँगी सीधे मुद्दे पर आती हूँ। नीरव और मैं कभी एक -दूजे के लिए बन चुके थे किंतु वर्तमान व भविष्य आप दोनों का ही है।’

‘पर गौरी जी केबिन में जो मैंने देखा-सुना उसका तो कुछ और ही साउंड था। ‘ ऋद्धिमा ने तंज़ कसते हुये कहा।

‘प्लीज ऋद्धिमा मैं आप से एक सवाल पूछना चाहती हूँ। जिस का शायद मैं हक नहीं रखती हूँ। आप मुझे एक पर्सनल साबाल पूछने की परमिशन दें।’

‘पूछिये बताना उचित समझूँगी तो जरूर बताऊँगी।’ ऋद्धिमा ने ठंडे स्वर में कहा।

‘थैंक्यू रिद्धमा ‘ गौरी की आवाज़ निर्णायक हो गई ‘क्या तुम नीरव से सच में प्यार करती हो?

रिद्धमा थोड़ा असहज हो कर ‘पहली ही नज़र में, तभी तो नीरव को अपना जीवनसाथी चुना था। पर मैं प्यार करती थी।’

गौरी आश्चर्य से कहती है ‘करती थी का क्या अर्थ है,? एक अतीत आप के सामने आ गया और नीरव के लिए आप का प्यार खत्म हो गया?’

‘डॉक्टर ऋद्धिमा प्यार तो अक्सर सभी करते हैं l मगर मंजिल सभी को नहीं मिलती है जैसे कि मुझे, बस मैं आप को ये बताने आयी थी कि मैंने तो सारे रिश्ते नीरव से उसी दिन खत्म कर लिए थे जिस दिन वह आप के साथ विवाह के बंधन में बंधा था।

‘पहले मैंने सोचा था की इसी शहर इसी हॉस्पिटल में रह कर जॉब करुँगी मगर तुम्हें विश्वास दिलने और तुम्हारे सुखमय जीवन के लिए यहां से दूर जाने का फैसला किया है।’

आप का इस शहर से दूर जाने से क्या मुझे नीरव का प्यार वापिस मिल जायेगा, जो वह आप से करता है।’ रिद्धमा ने गौरी से दो टूक लहज़े में पूछा ।

गौरी ने कहा ‘मैं तुम और नीरव हम सब एक उच्च वर्ग के पढ़े-लिखे युवा हैं, फिर भी हम सभी अपनी-अपनी कुछ परम्पराओं का सम्मान और उनसे प्यार करते है। सच्चाई यही है कि एक पत्नी ही एक पुरूष का बुरे से बुरे वक्त में जिंदगी के आखिरी पड़ाव तक साथ दे सकती है। ऐसा और कोई औरत नहीं कर सकती, प्रेमिका भी नहीं । वह किसी न किसी मोड़ कमजोर पड़ ही जाएगी’।

थोड़ी दूरी छिपकर गौरी और रिद्धमा की बातें सुन रहा नीरव दोनों के सामने आ जाता है। नीरव के चेहरे पर पश्चाताप के भाव साफ-साफ दिखते हैं। वह कहता है ‘गौरी तुम शायद सही कह रही हो, मैं अपनी भूल सुधारता हूँ, अब से कभी रिद्धमा को शिकायत का मौका नही दूँगा। तुम से ज्यादा प्यार करूँगा।’

‘गौरी आप चाहे तो इसी शहर और हॉस्पिटल में रह कर जॉब कंटीन्यू रख सकती हो। देर से ही सही मैं भी समझ चुका हूं कि प्यार का सिर्फ एक ही रिश्ता नहीं होता है। गौरी अब मैं सिर्फ बिना किसी अपेक्षा तुम्हारा दोस्त बन कर रहूँगा वो भी अगर रिद्धमा को कोई एतराज न हो तो।’

रिद्धमा कुछ क्षण सोच में पड़ गई पर दूसरे ही क्षण गौरी के सेलफोन की आवाज सुन कर चौंक जाती है। गौरी फोन रिसीव करती है। चेहरे पर एक मुस्कान आ जाती है ‘ ओह सर, थैंक्यू।’

‘एक खुश खबरी है, मेरा सिलेक्सन बैंगलोर के एक अच्छे हॉस्पिटल में हो गया है और मुझे दो दिन बाद ही ज्वाइन करना है। मैं कल की फ्लाइट से ही बैगलोर चली जाऊँगी।’ गौरी दोनों को कुछ कहने का मौंका दिये बिना ही ‘गाइज टेक केयर। गुड वाय, नहीं पता अब हम कब मिलेंगे।’

नीरव के होंठ कुछ कहने के लिए हिलते इससे पहले ही उसकी नज़र रिद्धमा से मिल जाती है और नीरव के लफ्ज़ मुँह में ही रह जाते हैं।

***

तीन बर्ष बाद रिद्धमा बैंगलोर की उसी हॉस्पिटल में अपना ब्लड कैंसर का इलाज कराने जाती है। लिफ्ट से फोर्थ फ्लोर पर कैंसर वार्ड में शिफ्ट होने के लिये जाते समय उस की नज़र डॉक्टर गौरी पर पड़ी जो सेकंड फ्लोर पर लिफ्ट का वेट कर रही थी। एकदम आश्चर्य से उसकी आँखे फैल जाती हैं रिद्धमा की क्या वो डॉक्टर गौरी है या मेरा भ्रम है ?’

ऋद्धिमा ने नीरव का हाथ पकड़ कर उसे हिलाया ‘क्या तुम ने भी डॉक्टर गौरी को देखा वो यहीं हैं।’

नीरव थोड़ा अचकचा जाता है ‘क्या ?’

‘हाँ नीरव बस मुझे एक बार गौरी से मिलना है, उनका पता कीजिये।’ नीरव कुछ कहे इस से पहले ही,में डॉक्टर सुभि टीम के साथ रूम में आ जाती हैं।

‘हैलो डॉक्टर रिद्धमा कैसी हो, डॉक्टर ने बड़ी आत्मीयता और मुस्काराकर पूछा। डॉक्टर सुभि ने कुछ टेस्ट लिख कर अपनी टीम को दिये, ये सारे टेस्ट अभी करा लें, सुबह मैं रिपोर्ट चैक करुँगी।’ सुभि सेलफोन पर नम्बर डायल करती रूम से निकलते-निकलते ‘टेक केयर डॉक्टर रिद्धमा और फोन पर बस गौरी मैं कार की ओर ही आ रही हूँ।’ कहकर निकल जाती है।

****

‘यार सुभि कितना लेट कर दिया कार का गेट बंद करते हुए पूछा गौरी ने, सुभि ने कहा यार गौरी बहुत ही सीरियस केस आया है, तुझे पता है, वो तेरे शहर कानपुर से हैं। वह अभी एक यंग लेडी ही है।’

गौरी झपकी लेती ‘मुझे बहुत नींद आ रही, मैं तो सीधा बिना कुछ खायें- पिये ही सो जाऊँगी। वैसे भी रात के बारह बज रहे है।’

‘वह भी हमारी तरह एक डॉक्टर है और उस का हसबैंड भी डॉक्टर है।’

गौरी एकदम झटके से ‘क्या-क्या नाम है दोनों का??’

‘मरीज़ का नाम… सॉरी यार ठीक से तो याद नहीं शायद ऋद्धि ऐसा ही कुछ नाम है।

‘प्लीज सुभि ठीक से याद कर के बताओ न मेरा जानना बहुत जरूरी है मेरी दिल की धड़कन तेज हो रही हैं।’ गौरी ने आशंका भरे स्वर में पूछा।

‘गौरी मुझे जैसे ही याद आयेगा मैं तुझे घर पर ही बता दूँगी। डॉक्टर सुभी ने उसका हाथ थपथपाया।

अब गौरी के सामने हज़ार सवाल खड़े हो जाते हैं। और उस का दिमाग सोचने लगता है कि कहीं डॉक्टर रिद्धमा तो नहीं है मरीज डाक्टर नीरव ….नहीं नहीं!!! तुरंत अपने मन को झिड़कती है ऐसा नहीं हो सकता। कभी नहीं ।

कार बैंग्लो के परिसर में रुक जाती है। ‘अरे गौरी तू कहां खो गई, चल हमारा घर आ गया । गौरी बस एक रात की ही तो बात है तू सुबह हॉस्पिटल जा कर तसल्ली कर लेना।’

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‘अरे राधाताई, देखो तो ज़रा गौरी अभी तक अपने रूम से ब्रेक फ़ास्ट के लिये डाईनिंग टेबल पर क्यों नहीं आयी?’ सुभी ने अपनी मेड से पूछा

‘नहीं मैडम जी, गौरी मैडम जी तो आज बिना नाश्ता किये ही हॉस्पिटल चली गईं और बहुत ही टेंशन में दिख रही थीं।’

‘ओ यह लड़की भी न… जैसे इस के शहर में इसके जानने वाले एक ही डॉक्टर कपल हो, बिना सच जाने ही वे- वजह टेंशन ले लिया। ठीक है मैं उस से वहीं मिल लूंगी।’ शुभि ने कहा।

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गौरी थोड़ी नर्वस हो कर , जहां रिद्धमा एडमिट थी ।उस रूम में पहुँच जाती है। रूम में एकदम शांति होती है । पेशेंट आराम कर रहा है, और कोई भी नहीं है रूम में। गौरी मन में यह सब सोच कर रूम के गेट से ही वापिस जाने लगती है।पर उस का मन नहीं मानता है फिर वह रूम के अंदर जा कर पेशेंट को पास जा कर देखती हैं।

जिस बात का डर था वहीं हुआ। वह एकदम से चौंक कर धीरे से कहती है रिद्धमा!! और दोनों हाथों को अपने ओठों पर रख कर कुछ क्षण यों ही खड़ी रह जाती है।

रिद्धमा की नींद अचानक से टूट जाती है जैसे उसे किसी ने तेज आवाज दे कर जगा दिया हो।

रिद्धमा अचानक से गौरी को अपने बेड के सिराने देख चौंक जाती है। ‘गौरी जी आप को नीरव ने ढूँढ ही लिया है। ‘नहीं रिद्धमा जो डॉक्टर तुम्हारा इलाज कर रही वह मेरी अच्छी दोस्त है और बैंग्लो पाटर्नर भी। जब डाक्टर शुभि ने मेरे शहर और वह भी पति-पत्नी दोनों डॉक्टर है बताया तो यह जान कर मुझे न जाने क्यों एक अजीबोगरीब सी बैचेनी हो गई थी । बस इसीलिए देखने चली आयी थी पर मुझे क्या पता… गौरी की आवाज़ भर्रा गई थी।

‘बस – बस अब कुछ मत कहो, मैं आप से मिलना चाहती थी गौरी जी, और देखिए भगवान का करिश्मा फांसी देने से पहले जेलर भी कैदी की एक आख़िरी इच्छा पूरी करता है।
शायद भगवान भी अपने पास बुलाने से पहले मेरी आख़िरी इच्छा पूरी करना चाहते हैं। इसीलिए आप को उन्होंने खुद- ब खुद मेरे पास भेज दिया।’

गौरी, रिद्धमा के मुँह पर हाथ रखकर दुःखी मन से कहती है ‘रिद्धमा ऐसा मत कहो, तुम्हें अभी बहुत जीना है अपने लिए न सही तो कम-कम नीरव के लिए ही सही। ‘

‘नहीं गौरी जी आप मुझे मत रुकिये, मुझे अभी आप से बहुत सारी बातें करना हैं।’

‘नहीं रिद्धमा आप की सेहत लिए ज्यादा बात करना ठीक नहीं, पहलेआप ठीक हो जाओ फिर हम दोनों जी भर कर बातें करेंगे।’

‘गौरी जी मेरे पास समय बहुत कम है, आप और मैं मेरी स्थिति को बेहतर समझ सकते हैं। मैं सिर्फ मरीज होती तो आप की बातों पर यकीन कर लेती, मगर क्या करूँ इत्तिफाक से मैं भी डॉक्टर हूँ, हंस कर रिद्धमा ने कहा।’
दूसरे पल ही उदास हो कर ‘पता नहीं ये नीरव कहाँ रह गये।’

डॉक्टर एस.के.मेहता रिद्धमा का चैक अप करने आते है ‘गुडमार्निंग मिस डॉक्टर गौरी जी।’ रिद्धमा के चेहरे पर एक मुस्कान बिखर जाती है, यह जानकर की गौरी ने अभी तक शादी नहीं की, डॉक्टर एस.के.मेहता के जाने के बाद रिद्धमा कहती है, ‘मैं नीरव को अकेला छोड़ कर नहीं जाऊँगी।’

‘क्या?’ गौरी आश्चर्य से कहती है। ‘मेरी एक बहुत बड़ी चिंता खत्म हो गई है, जब मुझे पता चला की मुझे ब्लड कैन्सर हुआ है और मेरे बचने के चान्स बहुत ही कम है। बस तब से
मैं भगवान से एक ही दुआ कर रही थी। आप ने मैरिज न की हो।’

‘रिद्धमा ये फालतू की बकबास मत करो, तुम कहीं नहीं जा रही हो’ तुम नीरव का साथ इस जन्म में तो क्या अगले जन्म में भी निभाओगी, और मैं इस जन्म की तरह ही अगले जन्म भी सिर्फ नीरव की प्रेमिका ही बन कर तुम्हें टेंशन देती रहूंगी।’ गौरी फ़ीकी हँसी हँसते हुये बोली।

‘डॉक्टर शुभि जो तुम्हारा ट्रीटमेंट कर रही हैं। वो बहुत ही जानी-मानी डॉक्टरों में से एक है, और तुम्हें मैं बता ही चुकी हूँ वो मेरी अच्छी दोस्त भी है, रिद्धमा तुम चिंता मत करो
मैं शुभि से तुम्हरा बेस्ट से बेस्ट इलाज करने के लिए कहूंगी।साथ में भगवान से भी दुआ करुँगी कि तुम जल्दी से ठीक हो जाओ।’ गौरी ने ऋद्धिमा को आश्वस्त किया

तभी गौरी का सेलफोन बजता है। फोन पर बात सुन कर ‘ओह नो, सॉरी रिद्धमा मुझे सिर्फ दो दिनों के लिए आउट ऑफ स्टेशन जाना पड़ेगा। मुझे अभी निकलना पड़ेगा। पर मेरा दिल तुम को छोड़ कर जाने का नहीं हैं।’ गौरी ने आँखों से आंसू पोंछते हुये कहा।

‘यह मेरा कार्ड रखो नीरव से कहना वो मुझे फोन करें ।
काश मेरी मुलाकात हो जाती, अब दो दिनों बाद ही मैं नीरव से मिल पाऊँगी।’

****

गौरी के जाने बाद नीरव कुछ क्षणों बाद रुम में आ जाता हैं। ‘नीरव तुम ने आने में बहुत देर कर दी, तुम्हें पता है डॉक्टर गौरी मुझ से मिलने आयी थीं।’

‘क्या ?’ आश्चर्य से नीरव का मुँह खुला का खुला रह जाता है कुछ पलों के लिए, ‘तो तुम सही थीं। पर वो तुम से मिलने?’ ‘मैं तुम्हें सब बताती हूं..

‘और वो मुझे बिना मिले ही चली गई’ नीरव ने उसकी बात अनसुनी कर दी।

‘नहीं उन्हें किसी बहुत जरूरी काम से बाहर जाना पड़ा।’

‘ गौरी अपना सैलफोन नम्बर दें गई हैं। मेरी भी अभी अधूरी बात रह गई है जब तक वो वापिस नहीं आ जाती तब तक मुझे उनका इन्तिजार करना होगा।’ ऋद्धिमा ने एक गहरी साँस छोड़ते हुये कहा।

एक दिन बाद हड़बड़ाती आवाज में नीरव का फोन गौरी के पास जाता हैं। ‘हैलो गौरी में नीरव बोल रहा हूं , गौरी के कानों में नीरव की काँपती हुई आवाज़ पड़ती है।

‘तुम्हारी आवाज में इतना कम्पन क्यों हैं। रिद्धमा तो ठीक तो है?’

‘नहीं गौरी वो तुम से आख़िरी बार मिलना चाहती है, एक-एक सांस सिर्फ तुम से मिलने के लिए ही ले रही है।’ दर्द भरी आवाज में नीरव ने कहा।

गौरी ने चिंतित स्वर में कहा ‘नहीं ऐसा कुछ नहीं होगा, मैं अगली फ्लाइट से शाम तक पहुंच जाऊँगी।’

****

एयरपोर्ट से गौरी सीधे रिद्धमा के पास आ जाती है।

बालों को सहला कर गौरी कहती है ‘रिद्धमा तुम ठीक हो जाओगी ऐसे जीने की उम्मीद…

रिद्धमा बीच में ही टोक कर कहती ‘अब मुझे बोलने दीजिए प्लीज आप सुनिए शायद भाग्य को मेरा और नीरव का साथ रास नहीं आया तभी तो नीरव से मेरा बहुत ही कम समय में साथ छूट रहा है।’

‘विधाता आप दोनों को मिलना चाहता है, तभी तो अब तक आप ने कोई दूसरा जीवन साथी नहीं चुना पर अब कोई भी मुश्किल आये मगर नीरव का साथ मत छोड़ना रिद्धमा गौरी का हाथ नीरव के हाथ में थमा कर कहती है, और आप दोनों का प्यार पाने के लिए मैं आप दोनों की बेटी बन कर आऊँगी।’ ऋद्धिमा ने डबडबाई आँखों से कहा।

रूम का माहौल भारी हो गया था। तीनों की आँखों में आँसू थे। गौरी तो अपनी रुलाई रोकने के प्रयास में अपने होंठ काट रही थी।

‘जो प्यार मुझे इस जन्म में नहीं मिला वह प्यार मैं आप दोनों की बेटी बन कर पाऊँगी। आप दोनों मुझे बड़े ही लाड़-प्यार से पालोगे, पालोगे न??।’ ऋद्धिमा ने इतनी मासूमियत और कातर स्वर में पूंछा, और मानो बाँध टूट गया। गौरी और नीरव फफक – फफक रो पड़े।

गौरी नीरव ने हां में सिर हिलाते हैं। नीरव, रिद्धमा को अपनी बांहो में भर लेता है। आँखों से गिरते आँसू और दर्द भरी आवाज़ में कहता है ‘रिद्धमा मैं तुम से बहुत प्यार करता हूँ।’ I love you so much.

रिद्धमा आखरी सांस नीरव की बांहो में लेती है। उसके चेहरे पर एक शांत और निश्छल मुस्कान फैली हुई होती है।

******

नीरव और गौरी की शादी के एक वर्ष बाद उनके घर में एक प्यारी सी बेटी जन्म लेती है। गौरी ,नीरव से मुस्कराकर कहती है लो हमारी रिद्धमा वापिस आ गई।

यह कहानी सच्चा प्यार आपको कैसी लगी कृपया अपनी कीमती प्रतिक्रिया अवश्य दें। धन्यवाद

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