कविता-देश का हाल । Kavita-Desh ka haal । जागो मतदाता जागो । राजनैतिक भ्रस्टाचार पर कविता इन हिंदी । hindi poem on curruption

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कविता-देश का हाल : यह कविता-देश का हाल भारतीय मतदाताओं की मनःस्थिति को समझने और उन्हें जागरुक करने की दृष्टि से लिखी गई है। व्यंग्यात्मक शैली की यह कविता-देश का हाल भारतीय जनमानस को अंदर तक आंदोलित करती है और कहीं ना कहीं उनकी व्यक्तिगत जिम्मेदारी भी तय करती है। जातिगत, धार्मिक, वैयक्तिक, आर्थिक एवम अन्य प्रभावित करने वाले कारकों की वजह से अयोग्य जनप्रतिनिधि चुन लेना स्वयं अपने लिये और देश के लिये आत्मघाती कदम साबित हो सकता है-हुआ भी है। चुटीली लेकिन गहरी चोट करने वाली यह कविता, एक मतदाता को भी जागरूक कर पाई तो मैं समझूँगा कि मेरा प्रयास सार्थक हुआ।

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कविता-देश का हाल

किया है तुमने बड़ा कमाल
किया है तुमने बड़ा कमाल
मोहन प्यारे आँख खोल कर
देखो देश का हाल
किया है तुमने बड़ा कमाल
किया है तुमने बड़ा कमाल।

ढेर घोटालेबाजों को
तुमने सिंहासन दीना
ताबूतों और कफ़न घोटाले
वालों ने हक़ छीना
सात दशक से नेताओं ने
भोली जनता लूटी
भरीं तिजोरीं तुम क्या पाये,
बाबा जी की बूटी
सोना ले गये कुंदन दादा
मोती मोतीलाल
किया है तुमने बड़ा कमाल
किया है तुमने बड़ा कमाल।

नज़र बचाकर आंगे बढ़ना
अच्छी बात नहीं है
पीठ फेर सोने से कटने
वाली रात नहीं है
इंच इंच धरती खिसकेगी
तुमको पता नहीं है
फिर ना कहना गिरे कुयें में
मेरी खता नहीं है
चोरों को दी चौकीदारी
मजे में चंपत लाल
किया है तुमने बड़ा कमाल
किया है तुमने बड़ा कमाल।

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रावण हो तो राम बना लें
कंस तो कृष्ण बुलालें
दुर्योधन होता तो बनके
अर्जुन शस्त्र उठा लें
यहाँ तो मुख में राम
बगल में छुरी छिपाने वाले
देश बेच कर खा जायेंगे
देश चलाने वाले
किससे लड़ें कहें किससे हम
सब हैं नटवर लाल
किया है तुमने बड़ा कमाल
किया है तुमने बड़ा कमाल।

नीलकंठ मत बनना तुम ये
ज़हर ना सह पाओगे
पड़ती आई और पड़ेगी
मार ना कह पाओगे
जात पात अपनी ज़मात की
बातों को मत सुनना
जिये मरे जो देश की खातिर
मौलिक नेता चुनना
वरना फिर अंजाम हमारा
कहना बड़ा मुहाल
किया है तुमने बड़ा कमाल
किया है तुमने बड़ा कमाल।

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 यह कविता-देश का हाल आपको कैसी लगी अपनी बहुमुल्य प्रतिक्रिया से हमें अवगत अवश्य करायें। धन्यवाद

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