अवार्ड सेरेमनी पर एंकरिंग स्क्रिप्ट । Award ceremony anchoring script । खिलाड़ियों के अभिनंदन समारोह पर एंकरिंग स्क्रिप्ट । खिलाड़ी के सम्मान समारोह की एंकरिंग स्क्रिप्ट

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ज़ोरदार तालियाँ इस बेमिसाल खिलाड़ी के लिये।

( क्लिप्स & पीपीटी प्रदर्शन-30 सेकंड से 2 मिनिट्स)

शानदार। शानदार। तालियों की बरसात बनती है शील के लिये।
मैं शील के गुरुजनों Mr…………, एवं Mr…………से एवम उनके मम्मी पापा जी से अनुरोध करती हूँ कि वो शील को पुष्प गुच्छ देकर समान्नित करें।

ज़ोरदार तालियाँ शील के लिये।

जैसा कि आपने क्लिप में देखा। अथक परिश्रम, बचपन की चाहतों से समझौते। प्रातः 4:45 बजे से शुरू हुई यात्रा स्विमिंग अभ्यास, फिर स्कूल, घर पर आकर होमवर्क, फिर पुनः स्विमिंग अभ्यास, फिर शतरंज का अभ्यास, फिर खाना खा कर सो जाना। इस दिनचर्या में कोई tv नही, रिलेक्स नही, मस्ती नही, मूवी, पार्टी, बाहर खाना पीना तो दूर की कौड़ी है।

और मैं आप सबको पुनः आभास कराना चाहती हूँ कि यह किसी वयस्क लड़की की दिनचर्या नही है। यह एक बच्चे की दिनचर्या है। आप सबको मैं यह भी बता देना चाहती हूँ शील और सिम्मी की इस शानदार सफलता में इनके मम्मी एवम पापा का योगदान बेमिसाल है। अतुल्य है। महज़ अभ्यास को छोड़ दिया जाये तो इनके मम्मी और ख़ासकर पापा का तो वही संघर्ष रहा। वही यात्रा रही। वही भागदौड़ रही जो शील की रही।

सुबह 4:30 उठना, शील को स्विमिंग पूल ले जाना, फिर ले के आना, हर तरह का साधन एवम प्रशिक्षण उपलब्ध कराना, स्पर्धाओं और competitions में शहर से बाहर जाना, अपने व्यापार पर उतना ध्यान न दे पाने के बावज़ूद ख़ुश रहकर बच्चों को प्रोत्साहित करना।

कटारिया दंपत्ति नज़ीर हैं। मिसाल हैं। एक अद्वितीय उदाहरण हैं उन parents के लिये जो बच्चों से तो उच्च सफलता की आशा करते हैं लेकिन स्वयं उनको साधन, प्रशिक्षण, समय उपलब्ध नही कराते। मैं चंद पंक्तियाँ इनके नाम करना चाहती हूँ कि..

 

जब शुभ सयोंग पनपते हैं, जब नीले छाते तनते हैं
जन्नत से तब जब होता है, तब ऐसे जोड़े बनते हैं।

 

आप सब लोगों से अनुरोध करतीं हूँ कि एक बार ज़ोरदार तालियाँ शील और सिम्मी के माता पिता के लिये बजा दीजिये।

कहते हैं जब हम किसी लक्ष्य की ओर कदम बढ़ाते हैं तो अपने आप को submit करना पड़ता है। झोंकना पड़ता है। और जब आप ख़ुद को अपने सपनों की ओर झोंकते हैं तो आपको सभी शुभ सयोंग प्राप्त होते हैं। और तब कहीं यह सफलता का स्वाद चखने को मिलता है। शील सदा ख़ुशक़िस्मत रहीं कि उनको तैराकी और शतरंज विधा के, अपने-अपने फन के धुरंदर गुरु मिले। एक अच्छे कोच के बिना यह विराट सफलता दुर्लभ थी।

गुरु की महिमा और महत्व तो वेदों में भी वर्णित है। कबीरदास जी ने कहा है कि..

 

कबीरा ते नर अंध है, गुरु को कहते और
हरि रूठे गुरु ठौर है, गुरु रूठे नही ठौर।

 

जी हाँ बिना गुरु के एक शिष्य को ना तो ईश्वर प्राप्त हो सकते और ना ही किसी विधा या खेलों में वांछित सफलता। यहाँ पधारे शील के गुरुजन तैराकी के पुरोधा Mr…………., एवम शतरंज के द्रोणाचार्य Mr………. का हार्दिक हार्दिक स्वागत करती हूँ अभिनंदन करती हूँ।
ज़ोरदार तालियों की करतल ध्वनि इनके लिये।

मैं शील के गुरुजनों का अभिनंदन करने के लिये शील के……….. श्री……..से निवेदन करती हूँ कि वो आयें और पुष्प गुच्छ से उनका स्वागत करें अभिनंदन करें।

कार्यक्रम के अंत मे श्री कटारिया जी से आग्रह करती हूँ कि वो आभार रूप में अपने उद्गार व्यक्त करें और कार्यक्रम का समापन करें। धन्यवाद

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