अवार्ड सेरेमनी पर एंकरिंग स्क्रिप्ट । Award ceremony anchoring script । खिलाड़ियों के अभिनंदन समारोह पर एंकरिंग स्क्रिप्ट । खिलाड़ी के सम्मान समारोह की एंकरिंग स्क्रिप्ट

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यह यात्रा एक मुकाम पर तब पहुंची जब इन्होंने संस्कार tv के लिये रिकॉर्डिंग की। इनके एलबम भी निकले जो कि पूरे देश भर में सराहे गये। लेकिन सिम्मी की शिक्षा में गहन रुचि होने के कारण इन्होंने शिक्षा को वरीयता दी। परिणामस्वरूप रचनात्मक गतिविधियां तो गौण होती चलीं गईं किन्तु शिक्षा के क्षेत्र में चमकती चलीं गईं। कक्षा 12वीं में 95% प्लस अंक प्राप्त करना इस बात का सपष्ट प्रमाण है।

आज सिम्मी लन्दन में उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहीं हैं। वहाँ भी अपनी उत्कृष्टता की भूख इन्हें ऊंचाइयों पर ले गई। लंदन में अपने midterms एग्जाम में इन्होंने पूरी यूनिवर्सिटी को टॉप किया।

आइये इनकी सफलतम यात्रा की कुछ झलकियाँ आप को दिखाते हैं।

( क्लिप् & पीपीटी प्रदर्शन-30 सेकंड से 1.5 मिनिट्स)

ज़ोरदार तालियाँ सिम्मी के लिये।

हम उनकी प्रतिभा को नमन करते है। मैं कटारिया family के सिम्मी के ……………..जी से, सिम्मी को समर्पित इन पंक्तियों के माध्यम से अनुरोध करती हूँ कि वो मंच पर पधारें और सिम्मी का पुष्प गुच्छ देकर अभिनंदन करें-उन्हें शुभ आशीर्वाद प्रदान करें। पंक्तियाँ कहती हूँ कि..

 

ये सितारे चाँद आपके नूर से चमके
दिल से हम सबकी दुआयें हैं
ये सारा ज़हान आपका मुरीद हो जाये
ऐसी हम सबकी शुभ कामनायें हैं।

 

बहुमुखी प्रतिभा की धनी सिम्मी के लिये एक बार जोरदार तालियाँ की गड़गड़ाहट हो जाये।

स्नेही स्वजनों, आइये अब कटारिया परिवार की दूसरी होनहार लाड़ली, उनकी छोटी बेटी शील की बात करते हैं।

कहते हैं किसी भी परिवार में उनके अग्रज या पूर्वज, वट बृक्ष की मजबूत जड़ों की तरह होते हैं। जब हमारे अग्रज आदर्श परम्पराओं का निर्धारण और उनका पालन पूर्ण अनुशासन से करते हैं तो आने वाली पीढियां उन्हें आदर्श के रूप में देखती हैं। परंपराएं नियमों में परिवर्तित हो जाती हैं। और यह नियम एक विरासत के रूप में देखे जाने लगते हैं।

धर्म और सद्कर्म में सदा विश्वास रखने वाले शील के दादाजी एक गृहस्थ तपस्वी रहे। संयम और व्यवहारिक अनुशासन, शील को अपने दादाजी से मानो विरासत में प्राप्त हुआ। बचपन से ही अपनी दीदी की बहुआयामी सक्रियता देख शील अपनी दीदी के पदचिन्हों पर चल पड़ीं और एक एक करके उपलब्धियों का एक कारवां सा शील के नाम जुड़ता चला गया।

7 वर्ष की उम्र में ही शील ने, दीदी की ही भांति बैडमिंटन खेलना आरम्भ किया और जिलास्तर तक की स्पर्धाओं में विजेता रहीं। किन्तु शील का रुझान तैराकी की ओर ज्यादा होने की वजह से बैडमिंटन पर focus कम हो पाया। मात्र 9 बर्ष की अल्प आयु में ही शील state lable की तैराकी प्रतियोगिता बटर फ्लाई के लिये चुनीं गईं। और इस प्रतियोगिता को जीतकर शील का नेशनल लेबल की स्पर्धा के लिये चयन हुआ।

इधर बेडमिन्टन और तैराकी से ही शील को संतुष्टि नही हुई। शील की रुचि शतरंज में होने के कारण उन्होंने शतरंज पर भी साथ साथ फोकस बनाये रखा और जिला स्तर की ही नही राज्य स्तर की ही नही वरन नेशनल लेबल की ढेरों प्रतियोगिताओं में शील ने लगातार स्वर्ण पदक जीते और मध्य प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया। गौरव बढ़ाया।

आप इस बात पर ढेरों तालियाँ बजा सकते हैं कि शील मध्य प्रदेश सरकार का शतरंज और तैराकी में लगातार पांच साल से प्रतिनिधित्व कर रहीं हैं और मध्यप्रदेश सरकार उन्हें पूर्ण सम्मान देते हुये खेल स्कॉलरशिप प्रदान कर रही है। संगीत की भी शिक्षा ले रहीं शील की यह यात्रा, क्या इतनी सहज़ है। क्या सब कुछ इतना आसान है। जी नहीं, बिल्कुल नहीं।

मैं दो पंक्तियों के साथ शील की इस महायात्रा की क्लिप दिखाने जा रही हूँ कि..

 

कतरा कतरा लहू निचोड़ा, फूल चमन के सींचे थे
शहद दूर था लक्ष्य कठिन थे, शूलों भरे दरीचे थे।
एक मंत्र बस हार न मानो, तभी हौसले जीत सके
गिरकर भी हिम्मत न हारी, कदम न पीछे खींचे थे।।

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