संयम स्वर्ण महोत्सव – आचार्य श्री विद्यासागर के 50वें संयम स्वर्ण महोत्सव पर कविता
संयम स्वर्ण महोत्सव – महामनीषी, महाकवि, संत शिरोमणि, अहिंसा के दिव्य दूत जैनाचार्य गुरुवर आचार्य श्री विद्यासागर जी महामुनिराज के बारे में जितना पढ़ा जाये, जाना जाये कम ही है। अखंड ब्रम्हचर्य और दुष्कर दिगम्बरत्व पंथ के श्रेष्ठ पद पर निर्दोष चर्या के अनुपालन के 50 बर्ष क्या पूर्ण हुये। सारी दुनियाँ में उनकी जय जयकार ऐसी गूँज उठी मानो स्वयं देवगण उनका यशगान कर कर के जगत में अपूर्व उत्सव मना रहे हों।
मूलतः कन्नड़ भाषी आचार्य विद्यासागर जी ने सभी भाषाओं में साहित्य सृजन किया है। चाहे हिन्दी, संस्कृत, कन्नड़, प्राकृत, बंगला हो या फिर अँग्रेजी, उनके लिये भाषा का मानो कोई बंधन ही नहीं है। आचार्य जी ने निरंजन-शतकं, भावना-शतकं, परीषह-जय-शतकं, सुनीति-शतकं तथा श्रमण-शतकं नाम से पाँच शतकों की रचना संस्कृत में की है। आधुनिक काव्य की हिंदी भाषा की अनुपम कृति ‘मूकमाटी’ महाकाव्य हिंदी साहित्य जगत की वो अतिशय धरोहर है जिसने सारे विद्वत जनों और महा मनीषियों को चकित कर दिया। मनीषियों ने इस महाकाव्य को एक उत्कृष्ट दार्शनिक संत के आत्मिक वैभव का संगीत कहा है। सच्चे अर्थों में यह काव्य अध्यात्म, दर्शन व तप का महासंगम है।
आज ऐसे दिव्य संत के काव्य पर, जीवन दर्शन पर और उनके अपूर्व संयम पर सैकड़ों शोधकर्ताओं द्वारा पीएचडी की जा रहीं हैं एवं शोध पत्र लिखे जा रहे हैं किसी साक्षात जीवित संत पर इस प्रकार का अध्यन और शोध अपने आप में एक अनोखा विश्व कीर्तिमान है। ऐसे विहंगम संत के श्री चरणों में कोटिशः नमोस्तु।
आज जैनाचार्य संत शिरोमणि 108 श्री विद्यासागर जी के 50वें संयम स्वर्ण महोत्सव का एक बर्ष आज समाप्त होने जा रहा है। इस अवसर पर गुरुवर के श्री चरणों में चंद पंक्तियां अर्पित कर रहा हूँ..
संयम स्वर्ण महोत्सव
युग हुआ केशरी मतवाला, पल हुये बसंती महक उठे
आचार्य श्री के उद्भव से, तृण पण रज कण सब चहक उठे
संतृप्त धरा ज्ञानामृत का, कर पान तृप्त आनंदित है
इस युग के नव तीर्थंकर के, चरणों में नमन निवेदित है।
पल पल उपकृत घड़ियाँ कृतज्ञ, युग धन्य काल दिगवंत हुआ
तीर्थंकर की चर्या लेकर, वसुधा पर ‘मौलिक’ सन्त हुआ
जन जन निहाल हो बोल उठा, संयम के स्वर्ण महोत्सव में
गुरुवर श्री विद्यासागर से, जिन शासन फिर जयवंत हुआ।
महाकवि, महामनीषी, आचार्य प्रवर, संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज जी के भव्यतम संयम स्वर्ण महोत्सव के समापन दिवस की आप सबको अनंत शुभ कामनायें एवं बधाइयाँ।
Very nice thought
बहुत बहुत धन्यवाद। बहुत बहुत आभार
Very Nice, great
बहुत बहुत धन्यवाद आभार मित्रवर।
Great Thinking, Nice
बहुत बहुत शुक्रिया आपका। बहुत बहुत आभार
अमित जी, आपके मैलिक लेखन और मंच संचालन प्रशिक्षण से व्यक्तिगत रूप से अत्यंत लाभान्वित हुआ हूँ…हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ…शुभकामनाएं देता हूँ…