रेयान इंटरनेशनल स्कूल के छात्र प्रद्मन पर कविता। स्कूलों में बच्चों पर हो रहे उत्पीड़न पर कविता। शिक्षा पद्धति पर ज्वलंत प्रश्न उठाती एक कविता। स्कूलों की मनमानी पर एक हाहाकारी कविता
ग्रेटर नोएडा के रेयान इंटरनेशनल स्कूल में सात साल के बच्चे प्रधुम्न की हत्या ने समूचे देश में एक तूफान खड़ा कर दिया। वैसे तो स्कूलों में बाल छात्रों के उत्पीड़न की घटनाएं गाहे-बगाहे सामने आती रहीं हैं। लेकिन इस बार की यह घटना एक हाईप्रोफाइल स्कूल और एक सम्पन्न परिवार से जुड़ी हुई होने के कारण सनसनीख़ेज़ बन गई।
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका के आधार पर कोर्ट ने सरकारों को, cbsc बोर्ड को और संबंधित स्कूल को छात्र सुरक्षा के मानकों पर सफाई देने का नोटिस जारी किया है। यह मुद्दा पूरे देश मे एक बहस बन गया है।
अब समय आ गया है कि पूरा देश स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा के लिये एक आंदोलन खड़ा करे एवम शिक्षा माफ़िया के विरुद्ध सख्त कानून बनाने की मांग करे। मेरी यह कविता इस आंदोलन का एक हिस्सा है। यह कविता इस मुहिम की आवाज़ बने ऐसी मेरी कामना है। आभार
बच्चों वालो बच्चों वालो
ज़रा संभालो ज़रा संभालो
अपने नन्हें हीरे मोतीं
संकट में हैं उन्हें बचा लो
बच्चों वालो बच्चों वालो।
ऐसे भी न व्यस्त रहो तुम
इतना भी न त्रस्त रहो तुम
रोज़ी रोटी के चक्कर में
ग़ाफ़िल होकर कष्ट सहो तुम
अभिभावक का धर्म निभालो
बच्चों वालो बच्चों वालो
ज़रा संभालो ज़रा संभालो।
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बच्चों के स्कूल में जाओ
देखो समझो अक्ल लगाओ
मिलो प्रबन्धन से जा कर के
अपनी चिंता उन्हें जताओ
क्या कमियां हैं देखो भालो
बच्चों वालो बच्चों वालो
ज़रा संभालो ज़रा संभालो।
अभिभावक का संघ बनाओ
मुहिम नहीं इक जंग बनाओ
नहीं करेंगे हम समझौता
मानक हों तय ढंग बनाओ
दविश बनाओ प्रश्न उछालो
बच्चों वालो बच्चों वालो
ज़रा संभालो ज़रा संभालो।
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बनो सूचना के अधिकारी
पूछो लिखकर क्या तैयारी
बस से लेकर कक्षा तक की
मांगो तुम दिनचर्या सारी
मानक की सूची बनवालो
बच्चों वालो बच्चों वालो
ज़रा संभालो ज़रा संभालो।
ज्ञापन भेजो जिलाधीश को
सी बी एस सी बोर्ड शीर्ष को
पूंछो कैसे सहें विदारक
प्रद्मन वाली दग्ध टीस को
सब कुछ ईश्वर पर न डालो
बच्चों वालो बच्चों वालो
ज़रा संभालो ज़रा संभालो।
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स्कूलों की इक लॉबी है
मंहँगी किताबें ओ कॉपी है
मनमानी है फीस सभी की
होड़ कमाने की हावी है
पालक का बस तेल निकालो
बच्चों वालो बच्चों वालो
ज़रा संभालो ज़रा संभालो।
मोदी जी से पूछो जाकर
शिक्षा को व्यापार बना कर
देश नही आंगें जायेगा
ढुल मुलता के नियम बना कर
मापदण्ड अब तो अपना लो
बच्चों वालो बच्चों वालो
ज़रा संभालो ज़रा संभालो।
सही कहा आपने की अब पालको को जागृत होना पड़ेगा तभी ऐसी घटनाएं रुक सकेगी। सुंदर प्रस्तुति।
आदरणीया आपका उड़ती बात बहुत बहुत स्वागत है। अतुल्य आभार आपका सराहना के लिये।
अत्यंत ही प्रभावी रचना,सच का दर्पण दिखाती व्यवस्था पर करारी.चोट करती ।आपकी अभिव्यक्ति जनमानस की आवाज़ है।आपने कविता के पहले जो लिखा वह भी अक्षरशःसत्य है ।अमित जी ऐसी रचनाएँ सोये जनमानस में चेतना का मुखर स्वर है।बधाई आपको बहुत ही सराहनीय रचना के लिए।
आपके संवेदनशील ह्रदय को कविता ने छुआ प्रयास सार्थक हुआ। बहुत बहुत आभार आपका।
वाह बहुत खूब रचनात्मक अभिव्यक्ति
बहुत बहुत शुक्रिया आभार शायर पुष्पेंद्र जी। आपका उड़ती बात पर हार्दिक हार्दिक स्वागत है।