रबीन्द्रनाथ टैगोर पर कविता – रविंद्रनाथ टैगोर पर कविता , रबीन्द्रनाथ टैगोर जयंती पर कविता, rabindranath tagor poem in hindi
रबीन्द्रनाथ टैगोर पर कविता – नमस्कार दोस्तो, आने वाली 7 May को विश्वविख्यात कवि महान साहित्यकार नोबेल पुरस्कार से सम्मानित महामना रविंद्रनाथ टैगोर जी की जयंती है। आज के आर्टीकल रबीन्द्रनाथ टैगोर पर कविता के द्वारा मैं इस महान विभूति को हृदयांजली अर्पित करना चाहता हूँ। रबीन्द्रनाथ टैगोर पर कविता में मैंने उनकी उपलब्धियाँ समाविष्ट करने का प्रयास किया है। बहुमुखी प्रतिभा के धनी गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगौर जी के लिखे हुये दो गीत दो देशों के राष्ट्रगान हैं, जन गण मन भारत देश का और आमार सोनार बांग्ला गीत बांग्ला देश का राष्ट्रगान है।
गुरुदेव उपाधि से सम्मानित रबीन्द्रनाथ टैगोर जी गाँधी जी के परम मित्रों में से एक थे। महात्मा का अलंकरण रबीन्द्रनाथ टैगोर ने ही गाँधी जी को दिया था। उल्लेखनीय है कि महान वैज्ञानिक आइंस्टीन के ख़ास मित्रों में रबीन्द्रनाथ टैगोर जी भी थे। उन्हें आइंस्टीन रब्बी टैगोर के नाम से बुलाते थे। गुरुदेव के बारे में जितना कुछ लिखा जाये उतना कम है। एक बात और मैंने नोटिस की है कि इस महान विभूति पर लेख और शोध ग्रंथ तो बहुत लिखे गये लेकिन उनके ऊपर कवितायें बहुत ही कम लिखीं गईं। मैंने सरल भाषा मे 2 कवितायें उनको समर्पित करने का प्रयास किया है। ये कवितायें ऐसीं हैं कि इन्हें बच्चे भी स्कूली कार्यक्रम में सुना सकते हैं। आशा करता हूँ कि यह रचना रबीन्द्रनाथ टैगोर पर कविता आप सबको पसंद आएगी।
रबीन्द्रनाथ टैगोर पर कविता – 1
गुरुजी तुम हो बड़े महान
गुरुजी तुम हो बड़े महान
आपके लिक्खे गीत बने हैं
दो देशों की जान
गुरुजी तुम हो बड़े महान-2
जनगण मन अधिनायक गाता
भारत सात दशक से
देश बांग्ला झूम रहा है
उदय हुआ है जबसे
आपकी धुन पर झूम रहे हैं
दो-दो देश महान
गुरुजी तुम हो बड़े महान-2
गिने चुने ही लोग हुये हैं
जो ऐसा यश पायें
जिसके लिक्खे गीत
वतन के राष्ट्रगीत बन जायें
सदा ऋणी है देश बांग्ला
उपकृत हिंदुस्तान
गुरुजी तुम हो बड़े महान-2
मात शारदा की कुछ ऐसी
कृपा रही है तुम पर
लेखक कवि श्रेठतम तुम थे
दुनियां में थे अद्भुत
जिसे मिला है सर्व प्रतिष्ठित
नोबेल का सम्मान
गुरुजी तुम हो बड़े महान-2
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रबीन्द्रनाथ टैगोर पर कविता – 2
राष्ट्रगान को गढ़ने वाले
सबके दिल को पढ़ने वाले
सच्चाई पर अड़ने वाले
तुम्हें प्रणाम तुम्हें प्रणाम।
रंग बसंती ओढा जिसने
भ्रम गोरों का तोड़ा जिसने
रुख़ तूफ़ां का मोड़ा जिसने
तुम्हें प्रणाम तुम्हें प्रणाम।
कविताओं को कहने वाले
सबके दिल में रहने वाले
धुन के पक्के सबसे सच्चे
नई राह पर चलने वाले।
भारत माँ का राजदुलारा
जिसे तिरंगा सबसे प्यारा
कभी नहीं जो हिम्मत हारा
तुम्हें प्रणाम तुम्हें प्रणाम।
ह्रदय उड़ेला रचनाओं में
देशप्रेम गीतों गानों में
नोबेल देकर जग ने माना
सर्व श्रेष्ठ थे विद्वानों में
देश बांग्ला इतराता है
हिंद गर्व से मुस्काता है
राष्ट्र गान जब बज जाता है
तुम्हें प्रणाम तुम्हें प्रणाम।