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याद शायरी – उड़ती बात के सभी प्रशंसकों को स्नेहिल अभिवादन। आज का यह आर्टीकल याद शायरी yaad shayari हमारे उन पाठकों को नज़र कर रहा हूँ जिन्हें अपने पुराने प्यार की टीस अभी भी रह रह परेशान करती है। आशा है कि ये दिल को छू लेने वाली शायरी एवम दिल को चुभ जाने वाली शायरी आप सबको पसंद आयेगी।
दोस्तों, मैंने एक youtube channel भी अभी अभी लांच किया है जिसका नाम मौलिक मंच Maulik Manch है। आज के इस आर्टिकल याद शायरी का वीडियो भी मैंने इसी पोस्ट में आपके सामने अपने स्वर में गाकर आपके समक्ष प्रस्तुत किया है। इसे ज़रूर देखें। मेरा प्रयास है कि आने वाले मेरे ज्यादातर आर्टीकल आपको वीडियो के रूप में भी प्रस्तुत करूँ। रोमांटिक शायरी, जुदाई शायरी, लव शायरी, प्यार मोहब्बत शायरी, एंकरिंग शायरी, गेस्ट वेलकम शायरी ग़ज़ल कवितायें आदि के वीडियो बनाकर आपके समक्ष पेश करने का प्रयास करूँगा। आप सबसे अनुरोध है कि मेरे यूट्यूब चैनल को ज़रूर देखे उसे सब्सक्राइब करें, लाइक करें एवम पसंद आने पर शेयर करें और कमेंट करके अपना प्यार मुझे ऐसे ही दें जैसे कि आप सबने उड़ती बात को दिया है।
याद शायरी
दिल मेरा तोड़ने को, मचलते हुये
देखता रह गया, उनको चलते हुये
नींद में रह गया, ख़्वाब आधा मेरा
रह गये और हम, आँख मलते हुये।
उन फ़िज़ाओं में हम, ढूंढते रह गये
सूनी राहों में हम, ढूंढते रह गये
जिस जगह शाम अपनी, बिताते रहे
उन पनाहों में हम, ढूंढते रह गये।
बात क्या हो गई, तुमको मालूम है
क्यों सज़ा हो गई, तुमको मालूम है
प्यार में क्यों हमारा, हुआ हाल यूँ
क्या ख़ता हो गई, तुमको मालूम है।
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वो दौर बाँकपन का, मुझे याद आ गया
यूँ मन से मिला मन था, मुझे याद गया
कितना है प्यार मुझसे, बताओ ज़रा मुझे
मासूम तेरा प्रश्न, मुझे याद आ गया।
पहली नज़र का प्यार, कोई भूलता नहीं
वो सोणा-सोणा यार, कोई भूलता नहीं
बेताबियों का दौर कि, हो जाये किस तरह
उस यार का दीदार, कोई भूलता नहीं।
वो हसरतों का साज, मोहब्बत की रागिनी
वो रातरानी से उतरती, नर्म चाँदनी
वो नूर भरी शाम, और मिश्रियों से दिन
कैसे मैं भूल जाऊँ बता, रुत बहार की।
दुनियाँ में कौन है वो जिसे, प्यार ना हुआ
इक सोणा-सोणा, प्यारा प्यारा यार ना हुआ
है कौन जिसे दर्द नहीं, झेलना पड़ा
है कौन ज़ुदा जिसका, पहला प्यार ना हुआ।
लहर उठेगी अगर, चाँद मुस्करायेगा
अगर जो नूर घूँघटों से, नज़र आयेगा
मचल उठा जो दीवाना, तेरी मोहब्बत को
कुसूर इसमें भला, किसका माना जायेगा।
हरे दुपट्टे का वो छोर, याद आता है
हवा का चलना तेरी ओर, याद आता है
तेरे रुख़सार पे बदमाशियाँ, वो ज़ुल्फ़ों की
तेरी आँखों मे छुपा चोर, याद आता है।
ख़ुशी के तौर गुलाबों ने, कभी सीखे थे
सलीके मस्त हवाओं ने, कभी सीखे थे
तुम्हें मैं कैसे भूल जाऊँ, भला तुमसे ही
हसीन ख़्वाब निगाहों ने, कभी सीखे थे।
गुलों का इत्र ले साँसों में, मेरे मलती है
हमारी नींद इशारों पे, तेरे चलती है
अभी भी आँख मेरी, तेरे नूर से रौशन
अभी भी तूँ ही चिरागों में, मेरे जलती है।
तड़प कितनी अभी बाकी, तुम्हें कैसे बताऊँ मैं
अभी कितना बचा बाकी, तुम्हें कैसे बताऊँ मैं
कोई तो बात है ऐसी, जो अब तक जी रहा हूँ मैं
कोई उम्मीद है बाकी, तुम्हें कैसे बताऊँ मैं।
ना पूछो ख़ैरियत मेरी, ना पूछो हाल कैसा है
गुजरते दिन गुजरते पल, गुजरता साल कैसा है
मैं कैसा हूँ कहाँ हूँ, आजकल क्या काम करता हूँ
ना मुझसे पूँछ ऐ हमदम, हमारा हाल कैसा है।
कभी गमगीं हुआ इनसे, कभी गमगीं किया इनको
कभी नाराज़ हो बैठा, कभी मैं जी गया इनको
समंदर भर दिये हैं गम जो तूने, आँख में लेकर
कभी मोतीं पिरोये हैं, कभी मैं पी गया इनको।
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