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गुरु पर कविता। गुरु की महिमा पर कविता। शिक्षक दिवस पर कविता। शिक्षक दिवस कविता। poem on teachers day

      घोर अमावस रात में, नीरवता इतराय वैसे ही अज्ञान में, कुमति पुष्ट हो जाय। मति है नीरज तुल्य ये जानो, ह्रदय पात्र सम है ये मानो जैसा इसमें द्रव्य मिलाओ, जस का तस परभाव विचारो। नीम मिलाओ कड़वा पानी, कर्कशता ना जाय बखानी घोलो इसमें शहद चासनी, सरस मधुरतम होवे प्राणी।। घोला

शिक्षक दिवस पर कविता । शिक्षक दिवस पर दोहे । teachers day poem in hindi

सद्गुरु के उपकार को, कोउ चुका न पाय रंग चोखो लग जात है, उतरे न उतराय। पिता जन्म देता महज़, कच्ची माटी होय गुरुजनों के शिल्प से, मिट्टी मूरत होय। अवगुण कुमति निहार के, गुरु देवें मुस्काय ज्यों लख उत्तम शिला को, शिल्पकार हर्षाय। अंधकार चहुँ दिशि घना, रात अमावस आय रवि सम सतगुरु देत