October 27, 2016
गीत-सर्वत्र तुम्हीं/Geet-Sarvatra Tumhi
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गीत हर राग रंग हर अंतरंग, हर कण में तुम्ही तृण तृण में तुम्हीं हर गाँव-गाँव हो धूप-छांव, हो रात-रात के चाँद तुम्हीं झरने की कल-कल मधुर ध्वनी, पहली-पहली बारिश की नमीं तुम उगते सूरज की लाली, और भौंरे का गुंजन हो तुम्हीं बेला गुलाब की गंध तुम्हीं, तुमहीं हरी घास पै ओस के