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ग़ज़ल-बेशरम। Gazal-Besharam । तक़रार की ग़ज़ल । रुसवाई की ग़ज़ल । अलगाव की ग़ज़ल । एक प्यारी सी ग़ज़ल

ग़ज़ल-बेशरम : मोहब्बत में रुसवाई हो जाती है, लड़ाई हो जाती है, अलहदगी तक भी हो जाती है लेकिन बेशरम दिल का क्या करें, याद उसी बेमुरब्बत को करता है जिसने दिल को दर्द दिया है। इसीलिये शायद कहा जाता है कि दिल है कि मानता नहीँ। इस आर्टिकल में प्रस्तुत ग़ज़ल-बेशरम में ऐसे ही अलहदगी

दो बेहद शानदार ग़ज़लों की प्रस्तुति। मोहब्बत से भरी दो प्यारी ग़ज़लें। Two very sweet Ghazals

मोहब्बत से भरी दो प्यारी ग़ज़लें – कहते हैं ज़िंदगी का सबसे मुश्किल लम्हा वो होता है जब हमें किसी के सामने अपने इश्क़ का इज़हार करना हो। ज्यादातर प्यार करने वाले यहीं अटक जाते हैं। किसी की मोहब्बत में जीवन भर ठंडी-ठंडी साँसे, दर्द भरीं आहें भरने से अच्छा होता है अपने प्यार का