गीत  हर राग रंग हर अंतरंग, हर कण में तुम्ही तृण तृण में तुम्हीं हर गाँव-गाँव हो धूप-छांव, हो रात-रात के चाँद तुम्हीं  झरने की कल-कल मधुर ध्वनी, पहली-पहली बारिश की नमीं तुम उगते सूरज की लाली, और भौंरे का गुंजन हो तुम्हीं  बेला गुलाब की गंध तुम्हीं, तुमहीं हरी घास पै ओस के