देवी वंदना  सर्वेश्वरी जग्दीश्वरी तेरी शरण अज आये हैं मन शांत सरल किया है माँ कुविचार भी तज आये हैं आँखे विव्हल भक्ति प्रबल मेरा रोम रोम प्रसन्न है नयनाभिराम है छवि तेरी लख पाये जो हम धन्य हैं श्रीफल सुपारी लौंग चंदन पुष्प केशर लाये हैं शुभ दीप ज्योति है उज्जवला हम आरती को