December 12, 2016
कैशलेस भारत पर कविता। poem on cashless india
दुनिया के इस नील गगन में, सूरज हिंदुस्तान बने काम करो कुछ ऐसा यारो, दुनिया हमें सलाम करे। रही चुनौती की बातें तो, वो आतीं हैं आयेंगीं धूप खिलेगी दिन निकलेगा, परछाई भी छायेंगीं हमने पहले ही प्रयास में, मंगल यान उड़ाया है घर की परमाणु पनडुब्बी, का डंका बजवाया है। तकनीकी स्टार्टअप वाले,