ख़्वाहिशें और थीं हाल हैं कुछ ज़ुदा सूरतें किस्मतों की बदलती नहीं थक गये हम दुआ मांगते मांगते हाथ की कुछ लकीरें बदलती नहीं हमने सुन लीं हैं ढेरों नसीहत है गज़ब की तुम्हारी शरीयत गर्क हो जायेंगे हम तुम्हारी कसम बेरहम ये नजीरें बदलती नहीं आपको आपकी साफगोई क्या कहूँ हर दफ़ा आँख रोई