कविता-देश का हाल : यह कविता-देश का हाल भारतीय मतदाताओं की मनःस्थिति को समझने और उन्हें जागरुक करने की दृष्टि से लिखी गई है। व्यंग्यात्मक शैली की यह कविता-देश का हाल भारतीय जनमानस को अंदर तक आंदोलित करती है और कहीं ना कहीं उनकी व्यक्तिगत जिम्मेदारी भी तय करती है। जातिगत, धार्मिक, वैयक्तिक, आर्थिक एवम