माँ पर ग़ज़ल – दोस्तो, आपके सामने प्रस्तुत है माँ पर दो ऐसी ग़ज़लें जिन्हें पढ़कर आप वाह किये बिना नहीं रहेंगें।  माँ पर ग़ज़ल-माँ का मुक़द्दर ज़न्नत वहीं दिखती है जहाँ घर होता है। माँ जब ख़ुश होती है तो असर होता है। माँ आँखे खोलती है तो रौशनी होती है अंधेरा रोज मेरे