वह कदम्ब का पण स्पंदन, सावन सी छाया वह पुष्पों के कुंज निकुँजों, की मनभावन माया। वह जमुना का अमृत सा जल, लहर लहर बंतियाँ वह बौराई अनुपम सुन्दर, गोकुल की सखियां। ◆ये भी पढ़ें-बरसाने के अद्भुत दोहे भले नहीँ वो युग आये पर, आप चले आओ हो सम्भव तो पुनः धरा पर, कृष्ण