इक दीप जलाकर कर श्रद्धा का, भीगी भीगी सी अंखियाँ कुछ । कुछ विनत भाव कुछ ह्रदय चाव, आज़ाद पार्क क़ुछ जलियाँ कुछ। बिस्मिल का दिल मन भगतसिँह, रग-रग में राजगुरु हों कुछ। आओ कर लें उस जज़्बे को, अर्पित फूलों की कलियाँ कुछ।।   स्नेहिल स्वजनों,  जय हिंद-वंदे मातरम।। वक्त आ गया कि