रोमांटिक लव ग़ज़ल – पढ़िये इश्क़ और तकरार से लबरेज़ दो शानदार रोमांटिक लव ग़ज़लें। आपकी प्रतिक्रिया और सुझाव आमंत्रित हैं- रोमांटिक ग़ज़ल – आज रहने दो मिलेगा तुमको हर ज़बाब, आज रहने दो करेंगें फिर कभी हिसाब, आज रहने दो। नक़ाब नोंचकर सबको, यहीं दिखाऊँगा शहर में कौन है ख़राब, आज रहने दो। फिर
ग़ज़ल-कश्मीर उन्हें इतनी शिकायत है, कि सब उनको नहीं देता मेरे हिस्से का मेरा आसमां, उनको नहीं देता। यही अंदाज़ है मेरा, नज़र अंदाज़ करता हूँ जो नामाकूल हैं उनको, तवज़्ज़ो मैं नही देता। नज़र मुझसे बचाकर चल दिये हो, याद भी रखना मुक़द्दर एक सा हर दिन, ख़ुदा सबको नहीं देता। हिसाबी मुआमला था
ग़ज़ल-नवाज़िश नींद में चांद चल रहा होगा।। ख़्वाब कोई मचल रहा होगा। हूक़ उठती है दिल लरज़ता है कोई कहके बदल रहा होगा। वो हवाओं से बैर क्यों लेगा जो चिरागों सा जल रहा होगा। आँख नींदों से भर गया कोई ख़्वाब नैनों में मल रहा होगा। आप आये बड़ी नवाज़िश है आपका दिल पिघल
ग़ज़ल-बदमाश मेरा हाल क्या है न पूछिये ये न ख़ास था ये न ख़ास है दिल कल भी था यूँ ग़मज़दा और आज भी ये उदास है। यूँ तमाशा होता है रात दिन मेरी हसरतों का न पूछिये गोया रहनुमा हो बहार का जिसे खुश्बुओं की तलाश है। ये नज़ारे चाँद धनुक घटा तेरा नूर
। ग़ज़ल-दर्द । प्यार अगर सच्चा हो जाये, दर्द तो होता है। सब कुछ जब अच्छा हो जाये, दर्द तो होता है। घूंघट अगर उठा लेता मैं, चांद हमारा होता ख़्वाब अगर किस्सा हो जाये, दर्द तो होता है। ये भी पढें-ग़ज़ल ‘बेशरम’ ये भी पढें-ग़ज़ल ‘कतरनें’ तुझमें
ग़ज़ल-बेशरम : मोहब्बत में रुसवाई हो जाती है, लड़ाई हो जाती है, अलहदगी तक भी हो जाती है लेकिन बेशरम दिल का क्या करें, याद उसी बेमुरब्बत को करता है जिसने दिल को दर्द दिया है। इसीलिये शायद कहा जाता है कि दिल है कि मानता नहीँ। इस आर्टिकल में प्रस्तुत ग़ज़ल-बेशरम में ऐसे ही अलहदगी
आतिश थी बेपनाह शमां ने फ़ना किया परवाने जल गए हैं इबादत किये वगैर सुलगी थी रूह अब्र में उड़ता रहा धुआँ दीवाने जल गये हैं मुहब्बत किये वगैर बे-होश रहीं आँखें घटा झूम के गिरी आंसू हथेलियों पै गिरे नीर के वगैर बांधे थे साथ हमने जहाँ मन्नतों के तार चुपचाप तोड़ आया शिकायत
मोहब्बत से भरी दो प्यारी ग़ज़लें – कहते हैं ज़िंदगी का सबसे मुश्किल लम्हा वो होता है जब हमें किसी के सामने अपने इश्क़ का इज़हार करना हो। ज्यादातर प्यार करने वाले यहीं अटक जाते हैं। किसी की मोहब्बत में जीवन भर ठंडी-ठंडी साँसे, दर्द भरीं आहें भरने से अच्छा होता है अपने प्यार का
ग़ज़ल आसमां है ना जमीं है पूछते हो क्या कमी है रात भर रोया है कोई धूप कम ज्यादा नमी है फूल तितली खुश्बुयें हैं सब तो है बस तू नहीं है नूर बूँदों में बरसता तू जहाँ ज़न्नत वहीँ है कैसे उसके ऐब देखूं खूबियां ज्यादा कहीं है लौट आ मुझे माफ़ कर दे