February 3, 2016
ग़ज़ल ‘रंगत’/Gazal ‘Rangat’
![](https://i0.wp.com/udtibaat.com/wp-content/uploads/2016/02/girl-about-red-blue-eyes-90757.jpeg?resize=150%2C150&ssl=1)
ग़ज़ल तेरे रुख़सार की रंगत गुलाब देखेंगे छलकता नूर सुबह शाम आब देखेंगे इक यही ख्वाब है दीदार तेरा हो जाये हमें हक है कि हम भी माहताब देखेंगे मैं जिद भी करता हूँ तो एक बार करता हूँ तुम्हे मिलता या हमें आफ़ताब देखेंगे हमारे इश्क को ‘मौलिक’ मजाक ना समझो वो हम ही