ग़ज़ल-ख़फ़ा सारा चमन जला बैठे वो क्यों ख़फ़ा ख़फ़ा बैठे। देर लगी क्यों आने में कब से हम तन्हा बैठे। प्यार से पूछा उसने जो सारा हाल सुना बैठे। गज़ब हुआ उस रात को हम चाँद को चाँद दिखा बैठे। हंगामा क्यों बरपा है जो उसको खुदा बना बैठे। ◆ये भी पढें-इश्क़ के दोहे। प्यार