December 5, 2016
ग़ज़ल ‘कतरनें । Gazal ‘katrane’
![](https://i0.wp.com/udtibaat.com/wp-content/uploads/2016/12/pexels-photo-160190.jpeg?resize=150%2C150&ssl=1)
आतिश थी बेपनाह शमां ने फ़ना किया परवाने जल गए हैं इबादत किये वगैर सुलगी थी रूह अब्र में उड़ता रहा धुआँ दीवाने जल गये हैं मुहब्बत किये वगैर बे-होश रहीं आँखें घटा झूम के गिरी आंसू हथेलियों पै गिरे नीर के वगैर बांधे थे साथ हमने जहाँ मन्नतों के तार चुपचाप तोड़ आया शिकायत