शेरों सी हुंकार हुई है, तब जा के जयकार हुई  दुश्मन को जब जब ललकारा, तब तब उसकी हार हुई  अब ना कोई रोशनी चाहिये अब तो सूरज ले लेंगे  लहरों से भिड़ जायेंगे हम अंगारों से खेलेंगे  थर-थर कापेंगा अब दुश्मन ली हमने अंगड़ाई है  गला काट देंगे हम छल का सच की